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जयपुर में पित्त की थैली से बिना ऑपरेशन निकाली पथरी:होम्योपैथी दवा से मिला फायदा, दावा- बिना सर्जरी इतनी बड़ी पथरी निकालने का ये पहला केस


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जयपुर में पित्त की थैली से बिना ऑपरेशन निकाली पथरी:होम्योपैथी दवा से मिला फायदा, दावा- बिना सर्जरी इतनी बड़ी पथरी निकालने का ये पहला केस

जयपुर में पित्त की थैली से बिना ऑपरेशन निकाली पथरी:होम्योपैथी दवा से मिला फायदा, दावा- बिना सर्जरी इतनी बड़ी पथरी निकालने का ये पहला केस

जयपुर : राजधानी जयपुर में महिला मरीज के गॉल ब्लैडर (पित्त की थैली) में मौजूद 27MM की पथरी को बिना ऑपरेशन किए होम्योपैथिक दवाई से निकाला गया। होम्योपैथिक डॉक्टर विकास सैनी का दावा है कि बिना ऑपरेशन के गॉल ब्लैडर से इतनी बड़ी पथरी निकालने का ये पहला केस है। उन्होंने बताया कि पथरी के इलाज के दौरान ही मरीज का जानलेवा एक्यूट पेनक्रिएटाइटिस का भी ट्रीटमेंट किया गया।

डॉक्टर विकास सैनी ने महिला की पित्त की थैली से 27MM की पथरी निकाली। उनका दावा है कि बिना ऑपरेशन किए इतनी बड़ी पथरी निकालने का पहला केस है।
डॉक्टर विकास सैनी ने महिला की पित्त की थैली से 27MM की पथरी निकाली। उनका दावा है कि बिना ऑपरेशन किए इतनी बड़ी पथरी निकालने का पहला केस है।

डॉ. सैनी ने बताया कि जयपुर के पास चाकसू की रहने वाली नगमा (30) पिछले डेढ़ साल से पेट के दर्द से परेशान थी। जब उन्होंने एक हॉस्पिटल में डॉक्टर को दिखाया और वहां जांच हुई तो पता चला उनकी पित्त की थैली में 27MM की पथरी है। इस पथरी के कारण उनके इंफेक्शन बढ़ गया और एक्यूट पेनक्रिएटाइटिस हो गया। इस बीमारी में इंफेक्शन के कारण पेनक्रियाज में सूजन आ जाती है।

ऑपरेशन करने से किया मना
डॉ. सैनी ने बताया कि उस समय जांच के बाद एलोपैथी डॉक्टरों ने एक्यूट पेनक्रिएटाइटिस के कारण ऑपरेशन करने से मना कर दिया। उन्होंने पहले एक्यूट पेनक्रिएटाइटिस का इलाज करवाने और उसे ठीक करने के बाद ही पित्त की थैली का ऑपरेशन करने की सलाह दी।

महिला की पहली सोनोग्राफी जिसमें गॉल ब्लेडर में 27 एमएम की पथरी का जिक्र है, जबकि दूसरी सोनोग्राफी में गॉल ब्लेडर में पथरी नहीं है।
महिला की पहली सोनोग्राफी जिसमें गॉल ब्लेडर में 27 एमएम की पथरी का जिक्र है, जबकि दूसरी सोनोग्राफी में गॉल ब्लेडर में पथरी नहीं है।

पेन किलर इंजेक्शन लेने पड़ते थे
डॉक्टर सैनी ने बताया कि मरीज को आए दिन दर्द होने पर पेन किलर इंजेक्शन लेने पड़ते थे। इसके बाद मरीज ने जयपुर आकर मुझे दिखाया तो हमने एक्यूट पेनक्रिएटाइटिस का इलाज करने का फैसला किया। पहले मुझे यह असंभव लग रहा था। हालांकि इससे पहले में छोटे साइज (जैसे 10 और 15 MM) की पथरी का इलाज कर चुका था तो मैंने इलाज शुरू किया।

पहले हमने एक्यूट पेनक्रिएटाइटिस का होम्योपैथी से इलाज किया और कुछ समय बाद वह ठीक हुआ। रिपोर्ट सही आने के बाद हमने पथरी को निकालने का ट्रीटमेंट शुरू किया।

करीब 6-7 महीने चले इस इलाज के बाद मरीज को फायदा मिलने लगा। जब मरीज की सोनोग्राफी करवाई गई तो पित्त की थैली में मौजूद पथरी छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट गई। इसके बाद हमने दवाइयां जारी रखी और अगले एक-डेढ़ महीने के बाद तीसरी बार सोनोग्राफी करवाई। इस सोनोग्राफी में पित्त की थैली में पथरी नहीं पाई गई।

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