Justice BV Nagarathna on demonetisation :नोटबंदी गैरकानूनी थी, 98 फीसदी मुद्रा वापस आ गई, तो काला धन का क्या हुआ? : जस्टिस नागरत्ना
Justice BV Nagarathna on demonetization : नोटबंदी से पहले 86 फीसदी मुद्रा 500 और 1000 के नोटों की थी। केंद्र सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। कल्पना करें कि रोजमर्रा की चीजाें के लिए नोट बदलवाने पड़े। यदि 98 फीसदी मुद्रा वापस आ गई, तो काला धन खत्म करने के उद्देश्य का क्या हुआ?

Justice BV Nagarathna on demonetization : हैदराबाद सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि वे नोटबंदी के बाद आम आदमी की दुर्दशा से व्यथित थीं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, हम सब जानते हैं कि 8 नवंबर 2016 को क्या हुआ था। तब चलन में 86% करेंसी 500 और 1000 रु. की थी। उस मजदूर की कल्पना कीजिए जिसे रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नोटों को बदलना पड़ा। इसके बाद 98% करेंसी वापस आ गई, तो कालेधन का खात्मा कहां हुआ (जो उसका लक्ष्य था)? तो मैंने सोचा (उस समय) कि यह कालेधन को सफेद बनाने का एक अच्छा तरीका था, जिससे बेनामी नकदी सिस्टम में शामिल हो रही थी। आयकर कार्यवाही का क्या हुआ, हम नहीं जानते। जिस तरह नोटबंदी की गई, वह सही नहीं थी। कुछ लोगों का कहना है कि तत्कालीन वित्त मंत्री को भी जानकारी नहीं थी। जस्टिस नागरत्ना नालसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ में ‘कोर्ट्स एंड द कॉन्स्टिट्यूशन’ सम्मेलन में बोल रही थीं। उन्होंने कहा, एक शाम आदेश जारी हुआ और नोटबंदी हो गई।
नोटबंदी काले धन को सफेद बनाने का तरीका था. नोटबंदी के बाद अगर 98% करंसी वापस आ गई तो काला धन कहां गया?
ये बात सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कही है.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा- वह नोटबंदी के बाद आम आदमी की दुर्दशा से व्यथित थीं.
इस बयान से साफ है कि नोटबंदी मोदी सरकार… pic.twitter.com/NpDXSWxVma
— Congress (@INCIndia) March 30, 2024
राज्यपाल संविधान के अनुसार काम करें
जस्टिस नागरत्ना ने राज्यों- राज्यपालों के बीच विवाद पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, चलन बन गया है कि राज्यपाल द्वारा बिलों को मंजूरी देने में चूक या उनके द्वारा किए जाने वाले अन्य कार्य मुकदमेबाजी का मुद्दा वन जाते हैं। यह गंभीर संवैधानिक पद है और राज्यपालों को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए ताकि इस ऐसे मुकदमे कम हों।