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नि-क्षय मित्र बनकर बनाएं टीबी मुक्त भारत : सत्यानी


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नि-क्षय मित्र बनकर बनाएं टीबी मुक्त भारत : सत्यानी

जिला कलक्टर पुष्पा सत्यानी बनी नि-क्षय मित्र, टीबी के 5 मरीजों को उपलब्ध करवाएंगी पोषण, सभी अधिकारियों सहित आमजन से की नि-क्षय मित्र बनकर टीबी मरीजों को पोषण उपलब्ध करवाने की अपील, राष्टीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की मल्टी सेक्टोरल बैठक में दिए निर्देश, कहा- टीबी की जांच होकर मिले प्रॉपर इलाज

चूरू : जिला कलक्टर पुष्पा सत्यानी ने कहा है कि नि-क्षय मित्र बनकर टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाएं। इसके लिए आमजन व भामाशाहों का भी समुचित सहयोग लिया जा सकता है। टीबी मरीजों को पोषण सामग्री उपलब्ध करवाते हुए उनका सहयोग करना परम पुण्य का काम है।

जिला कलक्टर सत्यानी ने सोमवार को जिला कलक्ट्रेट सभागार में टीबी मल्टी सेक्टोरोल इंगेजमेंट कार्यशाला में आवश्यक निर्देश दिए। इस अवसर पर जिला कलक्टर ने नि-क्षय मित्र बनकर 5 टीबी मरीजों को पोषण सामग्री उपलब्ध करवाने का संकल्प लिया और उपस्थित अधिकारियों व आमजन से भी नि-क्षय मित्र बनने का आह्वान किया। चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि टीबी की अधिकतम स्क्रीनिंग हो और जांच के उपरांत प्रॉपर इलाज मिले। उपलब्ध मशीनरी का समुचित उपयोग करते हुए सब सेन्टर, पीएचसी, सीएचसी सहित अस्पतालों में आने वाले मरीजों की समुचित जांच की जाए। उन्हें टीबी के बारे में समुचित जानकारी दी जाए ताकि आमजन टीबी के लक्षण, बचाव व उपाय के बारे में जागरूक हो सके।

जिला कलक्टर ने कहा कि जिले को टीबी मुक्त बनाने हेतु सभी विभागों सहित आमजन, सामाजिक संगठनों, जन प्रतिनिधियों एवं स्वयं सेवकों को अपना योगदान देना होगा। इसके लिए सभी विभागों एवं संस्थाओं आदि में स्क्रीनिंग कर उन्हें टीबी फ्री घोषित करें।

इस अवसर पर एडीएम उत्तम सिंह शेखावत ने कहा कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में पर्याप्त जागरूकता बढ़ाते हुए आमजन को नि-क्षय मित्र बनने तथा टीबी मरीजों की सहायता के लिए प्रेरित किया जाए।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ वेदप्रकाश ने बताया कि वर्ष 2025 तक जिले को क्षय मुक्त बनाने हेतु चिकित्सा विभाग दृढ़ संकल्पित है। क्षय (टीबी) मुक्त जिले की परिकल्पना को साकार करने हेतु चिकित्सा विभाग द्वारा विभिन्न नवाचार किए जा रहे हैं। एनटीईपी कार्यक्रम के अंतर्गत मल्टीसेक्टोरोल इंगेजमेंट कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य एनटीईपी का विस्तार एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागों, उद्योगों व स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित कर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की समाज के सभी वर्गो तक पहुंच सुनिश्ििचत करना, सीएसआर फंड एवं अन्य संस्थाओं से आर्थिक व अन्य सहायता प्राप्त करना, टीबी रोग के प्रति जन जागरूकता फैलाना एवं समुदाय का व्यवहार परिवर्तन करना आदि है।

उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों को टीबी रोग, टीबी फ्री वर्कप्लेस पॉलिसी, मल्टीसेक्टोरोल इंगेजमेंट की आवश्यकता एवं सभी विभागों से एनटीईपी कार्यक्रम में अपेक्षित सहयोग आदि के बारे में संवेदीकरण किया गया। इसी के साथ  नि-क्षय सम्बल योजना के बारे में भी जानकारी देते हुए सभी विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों से ज्यादा से ज्यादा निक्षय मित्र के तौर पर योजना से जुड़ने को आग्रह किया, जिससे अधिक से अधिक टीबी मरीजों को पोषण सहायता प्रदान की जा सकेे।

कार्यशाला में एसीईओ दुर्गा ढाका, डॉ देवकरण गुरावा, डीओआईटी संयुक्त निदेशक मनोज गरवा, एसीएमएसओ डॉ अहसान गौरी, डब्ल्यूएचओ कन्सलटेन्ट डॉ. मानवेन्द्र सिंह, पीएचईडी एसई रमेश राठी, डीटीओ ओमसिंह शेखावत, आईसीडीएस उपनिदेशक डॉ नरेन्द्र शेखावत, उद्योग महाप्रबंधक नानुराम गहनोलिया, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक अरविंद ओला, डीएसओ सुरेन्द्र महला, अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मुकेश धनखड़, डिस्कॉम एसई वीआई परिहार, डीईओ प्रारंभिक संतोष महर्षि, एडीपीसी सांवरमल गहनोलिया, जिला क्षय निवारण केन्द्र रतनगढ़ के मो. आसिफ, चिन्तन सिंह बारी, मुकेश भाम्बू  आदि उपस्थित रहे।

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