कोई हाथियों की दोस्त, कोई सब्जियों से भर रही जीवन में रंग; जानें इन 8 पद्मश्री महिलाओं को
International Women Day 2024: हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है और इस अवसर पर महिलाओं के लिए यह दिन बेहद खास होता है, क्योंकि महिलाओं के हक से लेकर हर चीज में समानता हो, इसके लिए यह दिन मनाया जाता है। आज हम बात करेंगे पद्म पुरस्कार पाने वाली महिलाओं के बारे में जिन्होंने अपने दम पर पुरस्कार हासिल किया है..
International Women Day 2024: हम सब ये तो जानते ही हैं कि महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के लिए यह दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसके तहत अलग अलग तरह के प्रोग्राम किए जाते हैं। पॉलिटिकल से लेकर साइंस, आर्ट, कल्चर और भी कई अन्य क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है और इसी में आज बात करते हैं उन महिलाओं के बारे में जिन्हें गणतंत्र दिवस पर ‘पद्मश्री’ सम्मान से नवाजा गया है।
यानुंग जमोह लेगो (Yanung Jamoh Lego)
पूर्वी सियांग की रहने वाली यानुंग जमोह लेगो हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट हैं। उन्होंने 10,000 से ज्यादा रोगियों की देखभाल की है और औषधीय जड़ी-बूटियों के बारे में भी शिक्षित किया है।
चामी मुर्मू (Chami Murmu)
चामी मुर्मू पिछले 28 साल में 28 हजार महिलाओं को रोजगार दे चुकी हैं। चामी मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
Padma Awards 2024 announced. Two Padma Shri awardees from Assam:
1. Parbati Baruah: India’s 1st female elephant mahout.
2. Sarbeswar Basumatary: Once a daily wage labourer, his enduring spirit and enthusiasm has become a role model for the agricultural community. pic.twitter.com/Tsfjc4ugka
— Nandan Pratim Sharma Bordoloi (@NANDANPRATIM) January 25, 2024
पार्वती बरुआ (Parvati Barua)
असम की पार्वती बरुआ को शुरू से ही जानवरों से बहुत लगाव था और खासतौर पर हाथियों से काफी ज्यादा प्यार रहा है। उन्होंने अपनी पूरी लाइफ जानवरों के बीच उनकी सेवा में लगा दिया।
के चेल्लम्माल (K Chellammal)
अंडमान व निकोबार के ऑर्गेनिक फार्मर के. चेल्लम्माल (नारियल अम्मा) को अन्य (कृषि जैविक) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया गया। उन्होंने 10 एकड़ के ऑर्गेनिक फार्म को विकसित किया है।
प्रेमा धनराज (Prema Dhanraj)
प्रेमा धनराज प्लास्टिक रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन और सोशल एक्टिविस्ट हैं। वह आग में झुलसे पीड़ितों की देखभाल के लिए काम करती हैं। इसके अलावा आग से जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता के लिए काम करती हैं।
शांति देवी पासवान (Shanti Devi Paswan)
दुसाध समुदाय से आनी वाली शांति ने ग्लोबल लेवल पर मान्यता प्राप्त गोदना चित्रकार है। जापान, अमेरिका और हांगकांग जैसे देशों में अपनी कला का दम दिखाया है और 20,000 से ज्यादा महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी है।
उमा माहेश्वरी डी (Uma Maheshwari D)
उमा माहेश्वरी डी को ‘स्वर माहेश्वरी’ के नाम से भी जाना जाता है। ये पहली महिला हरिकथा प्रतिपादक (Harikatha Exponent) हैं। संस्कृत पाठ में उनकी कुशलता है।
स्मृति रेखा चकमा (Smriti Rekha Chakma)
त्रिपुरा की स्मृति रेखा चकमा लोनलूम शाॅल बुकर हैं। चकमा एनवायरनमेंट के हिसाब से सब्जियों से रंगें सूती धागों को पारंपरिक डिजाइनों में ढालने का काम करती हैं। उन्होंने एक सोशल कल्चर ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना की, जहां ग्रामीण महिलाओं को बुनाई कला की ट्रेनिंग दी जाती है।