जयपुर के 14 कोचिंग-स्कूल पेपर लीक गैंग से संपर्क में:गिरोह से पेपर लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाया था, कुछ एसआई जॉइन करने नहीं पहुंचे
जयपुर के 14 कोचिंग-स्कूल पेपर लीक गैंग से संपर्क में:गिरोह से पेपर लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाया था, कुछ एसआई जॉइन करने नहीं पहुंचे

जयपुर : एसआई भर्ती-2021 परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण में जयपुर के 6 बड़े कोचिंग सेंटर व 8 स्कूल एसओजी के राडार पर और आ गए हैं। जांच में एसओजी को इनपुट मिला है कि ये कोचिंग व स्कूल संचालक पेपर लीक गिरोह के संपर्क में थे। इन्होंने गिरोह से पेपर लेकर अन्य अभ्यर्थियों को पढ़ाया था। एटीएस-एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि कुछ कोचिंग व स्कूल संचालकों के नाम सामने आए हैं। इनकी जांच व तस्दीक की जा रही है।
इधर, मास्टरमाइंड जगदीश की गिरफ्तारी के बाद पकड़े गए 14 ट्रेनी थानेदारों से क्रॉस पूछताछ में 24 और थानेदारों के नाम सामने आए हैं, जो आरपीए में ट्रेनिंग ले रहे हैं। उनकी भूमिका जांची जा रही है। इस भर्ती में चयनित सभी एसआई के दस्तावेज व फोटो की एफएसएल जांच, हस्ताक्षर मिलान की प्रक्रिया भी जारी है।
कुछ एसआई प्रशिक्षण लेने ही नहीं पहुंचे
जांच में सामने आया कि कुछ अभ्यर्थी पेपर लीक में शामिल थे। कार्रवाई के कारण कुछ अभ्यर्थी जॉइन करने ही नहीं पहुंचे। आरपीए से दो अन्य प्रशिक्षु थानेदारों को भी एसओजी मुख्यालय लाकर पूछताछ की गई। मास्टरमाइंड जगदीश, भूपेन्द्र, शिक्षक राजेन्द्र, पटवारी हर्षवर्धन, लाइब्रेरियन शिवरतन, राजेन्द्र उर्फ राजू व 14 थानेदार रिमांड पर हैं।
2010 की SI भर्ती भी सवालों के घेरे में
नकल का ऐसा ही मामला 2010 की एसआई भर्ती में भी सामने आया था लेकिन जांच ही नहीं हुई। 575 पदों की इस भर्ती का विज्ञापन 2010 में निकला था। परीक्षा 2012 में हुई, फाइनल रिजल्ट 2014 में आया। मई-2014 में ये बैच ट्रेनिंग के लिए राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए) आया। अकादमी के तत्कालीन डायरेक्टर बीएल सोनी ने इन्हें हिंदी में एक पत्र लिखने के लिए कहा तो 100 से ज्यादा ट्रेनी एसआई ने आसान माने जाने वाले शब्दों को भी अशुद्ध लिखा। यह चौंकाने वाला था, क्योंकि परीक्षा में हिंदी का 200 नंबर का पेपर होता है।
सोनी ने डीजीपी को जानकारी दी। उनके ऑफिस ने आरपीएससी से पूछा कि कई ट्रेनी एसआई का चयन संदिग्ध लग रहा है, भर्ती में गड़बड़ी तो नहीं हुई? जवाब में आयोग ने कहा कि चयन सही तरीके से हुआ है। इसके बाद मामला ठंडा पड़ गया।
बता दें कि तब ओमेंद्र भारद्वाज डीजीपी व पूर्व आईपीएस हबीब खान गौरान आरपीएससी के चेयरमैन थे। गौरान पर आरजेएस भर्ती पेपर लीक का केस दर्ज हुआ था। जांच में सामने आया है कि वे अपनी बेटी के लिए प्रिंटिंग प्रेस में पेपर लेने गए थे।
भर्ती ‘ब्लूटूथ बैच’ नाम से चर्चित
पत्र में हिंदी के आसान शब्दों को भी अशुद्ध लिखा देख सोनी ने कई ट्रेनी एसआई से सामान्य ज्ञान के आसान सवाल पूछे। संदिग्ध ट्रेनी एसआई ज्यादातर का जवाब नहीं दे पाए। जबकि सामान्य अध्ययन का पेपर 200 नंबर का होता है। साल 2014 का यह बैच आज भी पुलिसकर्मियों के बीच ‘ब्लूटूथ बैच’ के नाम से चर्चित है। बता दें कि प्रदेश में 2012 के बाद हुई भर्तियों में ब्लूटूथ से नकल के मामलों में एकाएक बढ़ोतरी हुई थी।
12 अफसरों ने माना- 2014 बैच के कई SI को अब भी ढंग से काम करना नहीं आता
भास्कर ने 12 से ज्यादा एडिशनल एसपी व डिप्टी एसपी स्तर के उन अफसरों से बात की जिनके अधीन 2014 बैच के किसी एसआई ने काम किया। सभी ने माना कि इनमें से कई को अभी तक काम नहीं आता जबकि इनके दूसरे साथी तेजतर्रार हैं। एक अफसर ने बताया, कई को ठीक से न तो फील्ड का काम आता है, ना ऑफिस का। हर बैच में उन्नीस-बीस का अंतर होता है, लेकिन इनमें जमीन-आसमान का फासला है।
सोनी बोले- हां, तब ऐसा हुआ था
तत्कालीन आरपीए निदेशक बीएल सोनी बोले- ट्रेनिंग के दौरान कई अभ्यर्थियों की नाॅलेज का स्तर संदेहास्पद था। चयन पर संदेह हुआ तो तत्कालीन डीजीपी को बताया था। डीजीपी ऑफिस ने आरपीएएसी से जानकारी मांगी लेकिन उन्होंने चयन में गड़बड़ी होने से इनकार कर दिया था।’
डीजीपी-चेयरमैन को मामला याद नहीं
तत्कालीन डीजीपी ओमेंद्र भारद्वाज बोले- मुझे मामला अब ध्यान में नहीं है। सोनी बता रहे हैं तो ऐसा हुआ होगा। मैं न तो पुष्टि कर सकता हूं, न खारिज।
तत्कालीन आरपीएससी चेयरमैन बोले- मुझे याद नहीं है कि ऐसा कोई पत्र मेरे पास आया था। हो सकता है कि सचिव को पत्र मिला हो और उन्होंने जवाब भेजा हो।’