झुंझुनूं : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहली बार झुंझुनूं व नीमकाथाना जिले में आ रहे हैं। हालांकि पहले भी दो बार कार्यक्रम बने लेकिन निरस्त हो गए थे। अब वे शेखवाटी को यमुना जल के लिए हरियाणा सरकार के साथ हुए एमओयू को लेकर शनिवार को आयोजित धन्यवाद सभा में आ रहे हैं। जिले की जनता को उनसे उम्मीद है कि वर्षों से अधूरे पड़े जिले के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी वे पूरे कराएंगे।
जिले में कुछ ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो पूर्ववर्ती सरकारों ने मंजूर किए, काम शुरू हुआ, लेकिन कई वर्षों बाद भी अूधरे ही हैं। जिले की जनता को डबल इंजन की सरकार व प्रदेश के मुखिया से इन प्रोजेक्ट को नई गति मिलने की उम्मीद है। जिले में यह प्रोजेक्ट है जिसको पूरा करने पर जनता को सुविधाएं मिलेंगी और जिले के विकास को भी गति मिलेगी।
रेलवे 9 करोड़ नहीं दे रहा, 5 साल से अधूरा है ओवरब्रिज झुंझुनूं का पुलिस लाइन ओवरब्रिज रेलवे व राज्य सरकार के बीच बजट की लड़ाई के कारण आठ साल में भी पूरा नहीं बन पाया है। जयपुर हाइवे स्थित पुलिस लाइन रेलवे फाटक पर 2015 में राज्य सरकार व रेलवे की सहभागिता से फोरलेन आरओबी मंजूर हुआ था। इसके लिए 36.12 करोड़ रुपए का बजट मंजूर हुआ था। 18.06 करोड़ राज्य सरकार और इतनी ही राशि रेलवे को देनी थी। मार्च 2019 में काम शुरू हुआ। जनवरी 2021 में रेलवे ने हाथ खींच लिए। तर्क दिया कि फाटक की ट्रैफिक वेल्यू यूनिट तीन लाख से कम कम है। ऐसे में यदि टू लेन आरओबी बनाए तो ही रेलवे 50 फीसदी राशि दे सकते हैं।
आरओबी का काम अप्रैल 2021 में बंद हो गया। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के प्रयासों से रेलवे ने 2022 में दिल्ली से जोधपुर वाया झुंझुनूं- सीकर होते हुए ट्रेन चलाने की मंजूरी दी थी। रेलवे बोर्ड ने टाइम शेड्यूल भी जारी किया था। हरियाणा के सीएम के बयान से यमुना जल पर असमंजस बढ़ा हरियाणा व राजस्थान के बीच 17 फरवरी को हुए एमओयू के बाद बुधवार को हरियाणा सीएम मनोहरलाल खट्टर का बजट सत्र में दिए गए बयान से असमंजस हो गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की क्षमता 24 हजार क्यूसेक पानी की है। इसे पूरा करके यदि बरसात में अतिरिक्त पानी प्रदेश में आता है, उसमें से ही राजस्थान को पानी दिया जाएगा। इसमें भी शर्त यह लगाई है कि अतिरिक्त पानी का एक चौथाई पहले हम लेंगे। दोरासर में बनाया गया शौर्य उद्यान बजट नहीं मिलने से वीरान पड़ा है।
2015 में वसुंधरा राजे सरकार ने बजट में साढ़े चार करोड़ रुपए मंजूर किए थे। राजस्थान धरोहर एवं प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा एक साल में बनकर तैयार होना था। इसमें शहीदों की शौर्य गाथा, युद्ध की पॉजिशन समेत अनेक संस्मरण थे। प्राधिकरण चेयरमैन ओंकारसिंह लखावत की देखरेख में इसका काम शुरू हुआ, 3.5 करोड़ रुपए का बजट मिला। यह बजट कम पड़ने के कारण यहां लाइट, फुटपाथ, मुख्य प्रवेशद्वार, गार्ड रूम, पार्किंग व प्रतिमा स्थापित करने का काम अटक गया। 18 सितंबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे ने वर्चुअल लोकार्पण भी कर दिया, उसके बाद गहलोत सरकार ने भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब तक शौर्य उद्यान बजट के अभाव में अधूरा पड़ा है। सरकार ने 2013 के बजट में जिले में खेल यूनिवर्सिटी की घोषणा की थी। 25 जुलाई 2013 में यूनिवर्सिटी के लिए दोरासर में 50.58 हैक्टेयर जमीन आबंटित की गई।
25 नवंबर 2013 को वाइस चांसलर के रूप में डॉ. एलएस राणावत को नियुक्त किया गया। उन्होंने जयपुर राजभवन में जॉइन किया लेकिन वे दोरासर नहीं आए। यहां आज भी खाली जमीन पड़ी है। यूनिवर्सिटी को 2014 में उदयपुर ले जाने की तैयारी की गई। लोगों ने आंदोलन किया तो सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ा। 2017 में वसुंधरा राजे सरकार ने स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की जगह राज्य क्रीड़ा संस्थान खोलने की घोषणा करते हुए 91 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया, लेकिन मिला नहीं। यदि आप ध्यान दें तो प्रदेश का यह इकलौता खेल विश्वविद्यालय बन सकता है।