जयपुर : शहर के एक निजी अस्पताल में 126 किलो से अधिक वजनी रोगी में ड्यूल लोब लिवर प्रत्यारोपण किया गया। डॉक्टर्स का दावा है कि इतने अधिक वजन वाले व्यक्ति में प्रदेश में पहली बार लिवर प्रत्यारोपण किया गया है। एमजीएच के डॉ. नैमिष एन मेहता ने बताया कि लिवर फेलियर की समस्या से जूझ रहे इंद्रपाल को पीलिया, पेट में पानी भरने, सूजन, खून की कमी जैसे लक्षण थे। जांच करने के बाद लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था। इंद्रपाल के लिवर का आकार बड़ा था, ऐसे में पत्नी तारावती के साथ रोगी की भाभी मंजू को भी लिवर डोनेट करने के लिए तैयार किया गया।
रोगी को 20 दिनों के ऑब्जर्वेशन के बाद घर भेजा
16 घंटे चले ऑपरेशन में 20 से अधिक सर्जन और स्टाफ मौजूद रहे। अब डोनर्स और रोगी को भी 20 दिनों के ऑब्जर्वेशन के बाद घर भेज दिया गया है। एमजीएच के चेयरमैन डॉ. विकास चंद्र स्वर्णकार ने बताया कि टीम में डॉ. नैमिष एन मेहता के साथ डॉ. आनंद नागर, डॉ. विनय महला, लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ. करण कुमार सहित अन्य डॉक्टरों की भूमिका रही।
इसलिए मुश्किल था ट्रांसप्लांट
सामान्यतः डोनर से मिले दाहिने हिस्से को रोगी के लिवर में दाईं तरफ और बाएं डोनर अंग को बाईं तरफ जोड़ा जाता है। बॉलपेन की रिफिल जैसे आकार की बारीक पोर्टल आर्टरी, पोर्टल वेन, पित्त की नली तथा लिवर से खून को लाने तथा बाहर ले जाने वाली चार रक्त वाहिनियों को बारीकी और सावधानी से जोड़ा जाना था। लेकिन वजन अधिक होने की वजह से लिवर भी बड़े साइज का था और दो जनों से लिया जाना था।
ऐसे में केवल पत्नी तारावती से मिले 520 ग्राम लिवर के दाएं हिस्से का आकार पर्याप्त नहीं था। इसीलिए पेशेंट की भाभी मंजू से भी लिवर लिया जाना तय किया। पत्नी से मिले दाईं और तथा भाभी से मिले लिवर को बाईं ओर प्रत्यारोपित किया गया। रोगी को पंद्रह बोतल खून भी चढ़ाया गया।