राजस्थान (बीकानेर) : “मेरे सब कागज पूरे हैं, सर्टिफिकेट में कोई खोट नहीं है, सर्टिफिकेट क्रमांक नहीं लगे, इसलिए मुझे नियुक्ति नहीं दी जा रही। सर्टिफिकेट पर क्रमांक लगाना हमारी जिम्मेदारी थोड़े हैं, किसी को नौकरी से वंचित करने के लिए ये कैसा आधार है?” ये कहते हुए सीकर की अनीता कुमारी की आंखों में आंसू आ जाते हैं। वो सामान्य महिला नहीं है, बल्कि दिव्यांग है। सरकारी मशीनरी में उसकी नौकरी ऐसी उलझी है कि जिस परचून की दुकान से घर चल रहा था, वो भी बंद हो गई। हालात ये है कि ना नौकरी मिली और न ही दुकान में ग्राहकी बची है। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार कर रहे शिक्षा विभाग की खिलाफत करने के लिए कोई संगठन भले ही खड़ा नहीं हुआ लेकिन सीकर के कई दिव्यांग उसके साथ व्यवस्था से लड़ने के लिए बीकानेर पहुंच गए। हालांकि यहां भी उन्हें टका सा जवाब ही मिल पाया है।
क्या है मामला?
दरअसल, शिक्षा विभाग ने ग्रेड थर्ड टीचर के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की तो दिव्यांगों के लिए भी कोटा तय किया। इसी कोटे के तहत सीकर की अनीता कुमारी ने भी आवेदन किया। झुंझुनूं की रहने वाली अनीता ने आवेदन किया तो उसे सीकर जिले में नियुक्ति मेरिट में नंबर आ गया। सीकर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने अनीता को अपात्र घोषित कर दिया। कारण बताया गया कि उसके सर्टिफिकेट पर क्रमांक नहीं लगा हुआ है। इस अपात्रता के खिलाफ अनीता कुमारी ने कहा कि उसके रिकार्ड की जांच करवाई जाए। पैरालंपिक खेल चुकी अनीता कुमारी के रिकार्ड की जांच पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (PCI) से जांच करवाई गई थी। इसी रिकार्ड के आधार पर जयपुर में एक केंडिडेट को नियुक्ति दी गई थी।
निदेशक ने दिए जांच के आदेश
सोमवार को दिव्यांग अनिता कुमारी के साथ उसके कई दिग्यांग खिलाड़ियों ने निदेशालय पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल से मुलाकात की। दिव्यांगों ने आरोप लगाया कि सीकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में व्यक्तिगत द्वेष के चलते अनीता कुमारी को अपात्र घोषित कर दिया है। इस पर निदेशक ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
बेडमिंटन खिलाड़ी है अनीता
अनीता बेडमिंटन खिलाड़ी है। वो तीसरे नेशनल पेरा बेडमिंटन चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी है, जो डॉ. अखिलेश दास गुप्ता मेमोरियल में उत्तराखंड में आयोजित हुई है।