सरकार के सूर्य नमस्कार के निर्णय़ को HC में चुनौती:याचिका में बताया धार्मिक स्वतंत्रता का हनन, शिक्षा मंत्री बोले- सूर्य नमस्कार धार्मिक क्रिया नहीं
सरकार के सूर्य नमस्कार के निर्णय़ को HC में चुनौती:याचिका में बताया धार्मिक स्वतंत्रता का हनन, शिक्षा मंत्री बोले- सूर्य नमस्कार धार्मिक क्रिया नहीं

जयपुर : प्रदेश सरकार के स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई हैं। हाई कोर्ट में आज मामलें की सुनवाई होगी। जस्टिस महेन्द्र गोयल की अदालत में मामलें की सुनवाई करेगी। एआईएमआईएम के प्रदेश महासचिव कासिफ जुबैरी और अन्य ने हाई कोर्ट में सरकार के निर्णय़ के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं।
याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य सरकार का स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने का निर्णय गैर संवैधानिक हैं। यह संविधान के आर्टिकल-25 का उल्लंखन करता हैं। आर्टिकल-25 में हर व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता दी गई हैं। सरकार का यह आदेश व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हैं। इसे रद्द किया जाए, अथवा इसे अनिवार्य रूप से लागू नहीं करके ऑप्शनल रखा जाए।
शिक्षा मंत्री बोले, सूर्य नमस्कार धार्मिक क्रिया नहीं
हाई कोर्ट में याचिका के सवाल पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन सूर्य नमस्कार धार्मिक क्रिया नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों ने इसे स्वीकार किया हैं। इसलिए 21 जून को योग दिवस मनाया जाता हैं। सूर्य नमस्कार एक तरह का सर्वांग योग हैं। इसमें सभी तरह के योग समाहित हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के आदेश सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से लागू रहेंगे। स्कूल में आने वाले सभी लोगों को सूर्य नमस्कार करना होगा।

जमियत उलेमा-हिन्द ने की सूर्य नमस्कार के बहिष्कार की अपील
जमियत उलेमा-हिन्द ने प्रस्ताव पास करके मुस्लिम समुदाय से स्कूलों मे सूर्य सप्तमी के उपलक्ष्य में हो रहे सूर्य नमस्कार के आय़ोजन के बहिष्कार की अपील की हैं। संगठन का कहना है कि इस तरह का आदेश धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप और संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंखन हैं।
संगठन के प्रदेश महासचिव अब्दुल वाहिद खत्री के अनुसार जमियत उलेमा-हिन्द की राज्य कार्यकारिणी ने स्पष्ट किया है कि बहुसंख्यक हिन्दु समाज में सूर्य की भगवान/देवता के रूप में पूजा की जाती है। इस अभ्यास में बोले जाने वाले श्लोक और प्रणामासन्न, अष्टांगा नमस्कार इत्यादि क्रियाऐं एक इबादत का रूप है और इस्लाम धर्म में अल्लाह के सिवाय किसी अन्य की पूजा अस्वीकार्य है। इसे किसी भी रूप या स्थिति में स्वीकार करना मुस्लिम समुदाय के लिए सम्भव नहीं है।
संगठन ने मुस्लिम समुदाय से 15 फरवरी को विद्यार्थियों को स्कूल नहीं भेजने की अपील करते हुए इस आयोजन का बहिष्कार करने के लिए कहा हैं।