Politics: ‘हर कोई नीतीश, अजित या एकनाथ नहीं, कुछ स्वाभिमानी…’, सामना में हेमंत सोरेन को लेकर कही ये बात
संपादकीय में कहा गया, मात्र सात एकड़ जमीन के सौदे में मोदी-शाह ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के माध्यम से राजभवन में ही गिरफ्तार करवा दिया। भाजपा को उम्मीद थी कि सोरेन की पार्टी के विधायकों में फूट पड़ जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

हेमंत सोरेन : हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद से झारखंड में सियासी बवाल जारी है। इस बीच, सामना के संपादकीय में कहा गया है कि आज के राजनीतिक माहौल में हर कोई नीतीश कुमार, अजित पवार या एकनाथ शिंदे नहीं होते। कुछ स्वाभिमानी हेमंत सोरेन भी होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को इसका एहसास हो गया होगा।
मात्र सात एकड़ जमीन के सौदे में
संपादकीय में आगे कहा गया, मात्र सात एकड़ जमीन के सौदे में मोदी-शाह ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के माध्यम से राजभवन में ही गिरफ्तार करवा दिया। भाजपा को उम्मीद थी कि सोरेन की पार्टी के विधायकों में फूट पड़ जाएगी, ईडी के दबाव में विधायक दल बदलेंगे और भाजपा के मंसूबे पूरे होंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और हेमंत सोरेन के उत्तराधिकारी चंपई सोरेन ने विधानसभा में विश्वासमत जीत लिया। 47 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया, जबकि 29 विधायकों ने इसके खिलाफ वोट किया। इतने बहुमत के बावजूद राज्यपाल ने चंपई सोरेन को चार दिनों तक शपथ नहीं दिलाई। मोदी-शाह ने सोचा कि इन चार दिनों में वे सोरेन के विधायकों को किसी भी तरह से मजबूर कर देंगे, लेकिन झारखंड के स्वाभिमानी आदिवासी मोदी-शाह के भीड़तंत्र के आगे नहीं झुके।
आगे कहा गया कि महाराष्ट्र के 4०+4० घाती विधायकों को इन आदिवासी विधायकों का चरणामृत प्राशन करना चाहिए। सोरेन के गठबंधन के विधायकों ने अपना ईमान नहीं बेचा और मोदी-शाह की भ्रष्ट राजनीति को झारखंड की आदिवासी जमीन पर फलने नहीं दिया।