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रुपए दिलाने के लिए कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:जिले के सवा 2 लाख लोगों के डूबे है सवा 2 करोड़ रुपए


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रुपए दिलाने के लिए कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:जिले के सवा 2 लाख लोगों के डूबे है सवा 2 करोड़ रुपए

रुपए दिलाने के लिए कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:जिले के सवा 2 लाख लोगों के डूबे है सवा 2 करोड़ रुपए

टोंक : इन्वेस्टर सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन के बैनर तले मंगलवार को पीएसीएल के निवेशकों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। इसके बाद केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा लोढा कमेटी के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। इसमें उनके पल्स ग्रुप ऑफ कंपनी में डूबे सवा 2 लाख लोगों के सवा 2 करोड़ रुपए दिलाने की मांग की है।

ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामचरण ने बताया कि वर्ष 1983 से पल्स ग्रुप ऑफ कंपनी भारत सरकार से मान्यता लेकर कारोबार कर रही थी। इसी क्रम में 1996 से पीएसीएल लिमिटेड नाम से रियल एस्टेट का कार्य कर रही थी। जिसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड सेबी ने कंपनी की योजना को कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट मानकर 22 अगस्त 2014 को प्रतिबंधित कर सारी संपत्तियों को जब्त कर ली। इससे निवेशकों का पैसा मिलना बंद हो गया। सरकार की केंद्रीय एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सामने आया कि देश के 5.85 करोड़ निवेशकों का 49100 करोड रुपए है। जिसमें टोंक जिले के लगभग 2 लाख 25 हजार निवेशकों का 2 करोड़ 25 लाख रुपए है। ऑल इंडिया इन्वेस्टर सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन पीएसीएल के निवेशको द्वारा गठित राष्ट्रीय पंजीकृत संगठन है । जो अपनी पूंजी की वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपनी पैरवी की।

सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के हित को ध्यान में रखते हुए 2 फरवरी 2016 को भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश से आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर कंपनी की संपत्तियों को नीलाम कर निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की क्रियान्वयन के लिए निवेशकों द्वारा अपने संगठन के बैनर तले क्षेत्रीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर लाखों की संख्या में अनेकों धरना- प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे, लेकिन बाद भी निवेशकों के समाधान के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा कोई भी पहल नहीं की। जबकि सेबी केंद्र सरकार की एजेंसी है। लोढा कमेटी के कार्यों का निस्तारण पूर्ण रूप से सेबी द्वारा ही किया जा रहा है। सेबी द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों एवं भुगतान प्रक्रिया अनुसार किसी भी निवेशक को सही रूप में पैसा मिलना संभव नहीं है। कंपनी द्वारा निवेशकों के नाम प्लांट अलॉटमेंट नहीं करने के आरोप में सेबी द्वारा कंपनी का कार्य बंद करवाया। सेबी की मनमानी के चलते निवेशकों का पैसा वापस मिलना संभव नहीं है। वही कंपनी की प्रॉपर्टी रेजिडेंशियल ,कमर्शियल तथा कृषि फार्म हाउस के रूप में है। जिसका बाजार मूल्य सरकार की केंद्रीय एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार 1.85 लाख करोड़ है। जो कुल देनदारी से लगभग चार गुना अधिक है। जो कि सेबी की वेबसाइट में अपलोड है। निवेशकों के हित में केंद्र सरकार का लौढा कमेटी द्वारा जल्द समाधान करवाने की मांग को लेकर प्रदेश में अनेको धरना प्रदर्शन किए गए । इसी क्रम में मंगलवार को कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया है।

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