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अपने तनाव को खुलकर सामने नहीं रख पा रहे मनोरोगी:OPD में हो रही काउंसिलिंग, नहीं मिल रहा पर्याप्त इलाज


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अपने तनाव को खुलकर सामने नहीं रख पा रहे मनोरोगी:OPD में हो रही काउंसिलिंग, नहीं मिल रहा पर्याप्त इलाज

अपने तनाव को खुलकर सामने नहीं रख पा रहे मनोरोगी:OPD में हो रही काउंसिलिंग, नहीं मिल रहा पर्याप्त इलाज

झुंझुनूं : झुंझुनूं के राजकीय बीडीके अस्पताल में आने वाले मनोरोगी अपने पर्सनल तनाव को सामने नहीं रख पा रहे है। इसका बड़ा कारण अस्पताल में काउंसिलिंग रूम नहीं होना है। विशेषज्ञ ओपीडी में ही काउंसिलिंग करने पर मजबूर हो रहे है। जिसके चलते मनो-रोगियों को पर्याप्त काउंसिलिंग नहीं मिल पा रही है।

मरीज ओपीडी में भीड़ को देखकर दवा लेकर लोट जाते है। अलग से कक्ष नहीं होने से विशेषज्ञ भी सीधे ही दवा लिख रहे है। इससे मनोरोगी को सही से इलाज नहींं मिल पा रहा है। कई बार मामला गंभीर होने पर विशेषज्ञ को काउंसिलिंग करनी जरूरी होती है। दवा से पहले काउंसिलिंग की जरूरत होती है, लेकिन भीड़ होने के कारण मरीज अपने पर्सनल तनाव को नहीं बता पाते।

इससे मरीज को पर्याप्त इलाज नहींं मिल पाता है। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ कपूर थालौर ने बताया कि अस्पताल में अलग से काउंसिलिंग कक्ष नहीं है। वर्तमान में अस्पताल में प्रतिदिन 40 से 50 रोगी आ रहे है। कई बार काउंसिलिंग की जरूरत पड़ने पर चेंबर में ही काउंसिलिंग करते हैं। गंभीर होने पर जयपुर रेफर करते हैं।

अपनी समस्या गोपनीय रखना चाहते हैं मरीज

रोगी बेझिझक एकांत माहौल में मनो चिकित्सक के सामने अपनी बात रख पाएं। इसके लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 की एडवाइजरी जारी की गई है। जिसमें मनोरोगियों को बेहतर सुविधा देने के साथ उनकी गोपनीयता का ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके साथ ही ओपीडी व वार्ड में सीसीटीवी कैमरा लगाने होते हैं। लेकिन यहां रोगियों का डिजिटल रिकॉर्ड तक नहीं रखा जा रहा है। मानसिक तनाव कम करने के लिए योगा थैरेपी मिलनी चाहिए। काउंसिलिंग कक्ष नहीं होने के कारण कोई भी सुविधा नहीं मिल पा रही है।

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