टीचर से कहती थीं तुमसे पहले मैं रिटायर हो जाऊंगी:पिता की मौत के दिन ही बेटी-दामाद की गई जान
टीचर से कहती थीं तुमसे पहले मैं रिटायर हो जाऊंगी:पिता की मौत के दिन ही बेटी-दामाद की गई जान

श्रीगंगानगर : हरियाणा में शेरगढ़ के पास सोमवार दोपहर हुए हादसे में श्रीगंगानगर के रहने वाले बनवारी लाल(57) और उनकी पत्नी दर्शना देवी (52) की मौत हो गई। हादसे से कुछ देर पहले ही दर्शना को पता चला था कि उनके पिता का देहांत हो गया।
अपने परिवार के साथ हिसार के लिए निकली थीं, लेकिन घरवालों को पता नहीं था कि कुछ ही देर में इनकी मौत की खबर आ जाएगी। सभी के शव मंगलवार शाम को घर पहुंचे और उनका अंतिम संस्कार हुआ।
जिन पड़ोसियों को दर्शना घर की चाबी सौंप कर गई थीं, उन्हीं पड़ोसियों ने जब शवों को रखने के लिए घर का दरवाजा खोला तो रो पड़े। बोले- दर्शना अपने पड़ोस की स्कूल की टीचर रेखा से कहती थीं कि तुमसे पहले मैं रिटायर हो जाऊंगी।

काफी खुशमिजाज थीं दर्शना
पड़ोसी रमेश कुमार ने बताया कि दर्शना काफी खुशमिजाज थीं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता होने के कारण इलाके के हर घर में उनकी पहुंच थी। दो दिन पहले पड़ोस के स्कूल की टीचर घर आईं तो दर्शना उनसे बात करने लग गईं। बातों-बातों में रिटायरमेंट तक बात पहुंच गई। शिक्षिका ने अपने रिटायरमेंट में 4 साल शेष होने की बात कही। इस पर दर्शना ने कहा था कि मेरे रिटायरमेंट में 8 महीने बाकी हैं, लेकिन हो सकता है मैं पहले ही रिटायर हो जाऊं। शायद विधि को भी यही मंजूर था।

शव पहुंचे तो पूरी कॉलोनी के लोग रो पड़े
हरियाणा के शेरगढ़ के पास सोमवार को पेड़ से टकराने से कार सवार एक ही परिवार के 5 लोगों और ड्राइवर की मौत हो गई थी। कार सवार बनवारी लाल और दर्शना श्रीगंगानगर की रामदेव कॉलोनी के रहने वाले थे। उनके भाई की पत्नी चंद्रकला, बनवारी लाल के हनुमानगढ़ निवासी भाई-भाभी और गांव अठ्ठारह जीबी के कार ड्राइवर सुभाष विश्नोई की मौत हो गई थी। इनमें से बनवारी लाल और दर्शना के शव मंगलवार को श्रीगंगानगर की रामदेव कॉलोनी पहुंचे तो पूरी कॉलोनी के लोगों की आंखें नम हो गईं।
कहा था- 2 दिन में लौट आएंगे
पड़ोसी सुखदेव सिंह का कहना है कि सोमवार दोपहर उन्हें दर्शना के पिता की मौत की सूचना मिली थी। पड़ोसी होने के नाते उनके घर पहुंच कर सांत्वना दी। इसके बाद परिवार के लिए कार की व्यवस्था करवाई। दोपहर एक बजे दर्शना पड़ोसियों को घर की चाबियां संभला कर गई थीं। जाते समय उन्होंने बस इतना ही कहा था- दो दिन में लौट आएंगे। किसे पता था कि वे अब कभी लौट कर नहीं आएंगी।
घर-घर जाकर करती थीं सहयोग
पड़ोसी जगदीश का कहना है कि दर्शना देवी घर-घर जाकर सभी का सहयोग करती थीं। किसी को दवा देनी हो या आंगनबाड़ी से मिलने वाला अन्य कोई सहयोग हो, दर्शना हर किसी के घर तक जाकर परिवार की तरह उनका सहयोग करती थीं। कुछ ऐसा ही स्वभाव बनवारी लाल का था। बनवारी चिनाई मिस्त्री थे। पूरा परिवार धार्मिक आयोजनों में आगे रहता था। दर्शना और बनवारी के 2 बेटी और 1 बेटा है। दोनों बेटियों की शादी हरियाणा के फतेहाबाद में हुई है। बेटा इंजीनियर है।