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झुंझुनूं की ईशा बिजारणिया बनेगी नौसेना में लेफ्टिनेंट:पहली कोशिश में सफलता मिली; देशभर से 9 लड़कियों का चयन


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झुंझुनूं की ईशा बिजारणिया बनेगी नौसेना में लेफ्टिनेंट:पहली कोशिश में सफलता मिली; देशभर से 9 लड़कियों का चयन

झुंझुनूं की ईशा बिजारणिया बनेगी नौसेना में लेफ्टिनेंट:पहली कोशिश में सफलता मिली; देशभर से 9 लड़कियों का चयन

झुंझुनूं : नेवी के अधिकारियों को जब फुल यूनिफॉर्म में सैल्यूट मारते देखती थी तो बहुत गर्व होता था। बचपन में ही ठान लिया कि नौसेना में अधिकारी ही बनना है। यह मेरा ऐसा सपना था, जिसे लेकर मेरे मन में जुनून था।

यह कहना है 19 साल की ईशा बिजारणिया का। जिनका सिलेक्शन भारतीय नौसेना में टेक्निकल ब्रांच में लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ है। देशभर की सिर्फ 9 बेटियों का चयन हुआ है, जिसमें ईशा एक हैं।

झुंझुनूं जिले के छोटे से गांव बेरला की ईशा बिरजाणिया को 1 जनवरी को सिलेक्शन की जानकारी मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। भारतीय नौसेना में ‘सेवा चयन बोर्ड’ (SSB) में टेक्निकल ब्रांच से 12वीं व JEE मेंस में पास अभ्यर्थियों के लिए जून 2023 में 30 पदों के लिए भर्ती निकली थी। इस भर्ती की खास बात ये थी कि पहली बार इसमें महिलाओं के लिए 9 पदों पर वैकेंसी थी।

झुंझुनूं के बैरवा गांव की बेटी ईशा का चयन पहले ही प्रयास में हो गया।
झुंझुनूं के बैरवा गांव की बेटी ईशा का चयन पहले ही प्रयास में हो गया।

विशाखापत्तनम में 5 दिन तक चला सिलेक्शन प्रोसेस

देशभर से 3 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने इन 30 पदों के लिए आवेदन किया। इसके बाद 16 से 21 सितम्बर के बीच 5 दिन तक विशाखापट्टनम (आन्ध्रप्रदेश) में चयन प्रक्रिया चली। जिसमें ईशा ने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की। मेडिकल, चरित्र सत्यापन, मेरिट आदि सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय (नौसेना) ने सोमवार 1 जनवरी को जब चयन सूची जारी की तो ईशा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ईशा के परिवार व रिश्तेदारों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया।

ईशा के पिता अजीत सिंह बिरजाणिया जिला परिषद झुंझुनूं में IEC समन्वयक हैं। उन्होंने कहा- बेटी का नौसेना में चयन होने पर गर्व है। अब 14 जनवरी से एशिया की सबसे बड़ी भारतीय नौसेना अकादमी (INA) एझिमाला, केरल में ईशा की ट्रेनिंग शुरू होगी। इसके बाद उसकी पहली पोस्टिंग लेफ्टिनेंट के पद पर होगी। नौसेना में चयनित ईशा जिले की पहली नेवी अफसर होगी।

ईशा के पिता जिला परिषद झुंझुनूं में IEC समन्वयक और मां सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं।
ईशा के पिता जिला परिषद झुंझुनूं में IEC समन्वयक और मां सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं।

नेवी में जाने के सपने देखती थी

ईशा ने इस सफलता को लेकर कहा- बचपन से ही मेरा डिफेंस में जाने का सपना था। इसके लिए मैंने बहुत मेहनत की है। जब स्कूल में थी तब ही मैंने स्काउट गाइड और एनसीसी जॉइन कर लिया था। मुझे स्कूल टाइम से ही इसकी यूनिफॉर्म पसंद थी। मैं नेवी में जाने के सपने देखती थी। स्काउट और एनसीसी के दौरान मुझे स्कूल लेवल से ही काफी अनुभव मिले। मैंने कई एक्टिविटी में भाग लिया। स्कूल में स्पोर्ट्स में भी उतना ही पार्टिसिपेट किया, जितनी मेहनत एकेडमिक में कर रही थी।

मैं जब फुल यूनिफॉर्म में सैन्य अधिकारियों को देखती थी तब बहुत गर्व का अनुभव होता था। फुल ड्रेस में जब नौसेना के अधिकारी सैल्यूट करते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। उनकी यूनिफॉर्म से मैं बहुत प्रभावित हूं। ठान लिया था कि मैं भी नेवी में अफसर बनूंगी। ऐसे में पिछले साल जब पहली बार नौसेना में लड़कियों के लिए वैकेंसी देखी तो तय किया कि इसके लिए अप्लाई करना है और इसे क्लियर करना है।

ईशा ने बताया कि बचपन से ही उन्हें सैन्य अधिकारियों की यूनिफॉर्म का अट्रेक्शन था।
ईशा ने बताया कि बचपन से ही उन्हें सैन्य अधिकारियों की यूनिफॉर्म का अट्रेक्शन था।

ठान लिया- मौका नहीं जाने दूंगी

इसके बाद मैंने सितंबर में होने वाली SSB की चयन प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी। मैंने अखबार पढ़ना शुरू किया और देश-दुनिया के साथ हर जरूरी जानकारी जुटाई। नागपुर (महाराष्ट्र) में आफपा संस्थान में इसके लिए कोचिंग ली। चयन प्रकिया और इंटरव्यू 5 दिन का था। सितंबर में SSB की पूरी तैयारी के साथ मैं इंटरव्यू का सामना करने विशाखापत्तनम पहुंच गई। वहां मैंने नेवी के अधिकारियों को करीब से देखा। तब विचार किया कि अब इस मौके को मैं हाथ से जाने नहीं दूंगी। मैंने इंटरव्यू के 5 दिन में चयनकर्ताओं को ऐसा कोई चांस नहीं दिया कि वे मुझे रिजेक्ट कर सकें। इंटरव्यू अच्छा रहा और आखिर अब नए साल पर सिलेक्शन हो गया। हालांकि जब आप सपने के इतने करीब होते हैं तो वह समय कठिन होता है।

ईशा ने कहा- मेरे माता-पिता, परिवार, शिक्षक, दोस्त और उन सभी को सफलता का श्रेय दूंगी, जिन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया। परिवार के सपोर्ट के बिना यह मुकाम हासिल करना मुमकिन नहीं था। कई लोगों ने मुझे डायरेक्ट और इंडायरेक्ट इंस्पायर किया। उन सभी का धन्यावाद।

विशाखापत्तनम में ईशा का इंटरव्यू 5 दिन चला। इसमें उन्होंने सफलता हासिल की।
विशाखापत्तनम में ईशा का इंटरव्यू 5 दिन चला। इसमें उन्होंने सफलता हासिल की।

मुश्किलों से भागो मत, सॉल्व करो

युवाओं से उन्होंने कहा- हर किसी की लाइफ में मुश्किलें आती हैं। हमें उनसे पीछे नहीं हटना चाहिए। बल्कि सॉल्यूशन ढूंढना चाहिए। बिना हार माने आगे बढ़ते रहना चाहिए। सच्ची मेहनत और लगन से वह सब कुछ पाया जा सकता है, जो हम चाहते हैं।

बता दें कि ईशा ने शुरुआती पढ़ाई बैरवा गांव से ही की। इसके बाद उन्होंने खेतड़ी में पढ़ाई की। वर्तमान में राजोता से बीएससी कर रही हैं। दसवीं बोर्ड में ईशा ने 89 परसेंट और 12वीं में 90 फीसदी अंक हासिल किए थे। ईशा के दादा दलीप सिंह हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड खेतड़ी में कर्मचारी थे। इसलिए पढाई भी खेतड़ी नगर में ही हुई। मां राजबाला राजकीय बालिका स्कूल माकड़ो में अध्यापिका हैं और भाई अभिनव बास्केटल बॉल का खिलाड़ी है।

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