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औंधे मुंह लिटाकर गोली मारी, अब भी पैर में फंसी:नूंह दंगे का आरोपी मुनफेद बोला- डॉक्टर पाकिस्तानी कहते थे


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औंधे मुंह लिटाकर गोली मारी, अब भी पैर में फंसी:नूंह दंगे का आरोपी मुनफेद बोला- डॉक्टर पाकिस्तानी कहते थे

औंधे मुंह लिटाकर गोली मारी, अब भी पैर में फंसी:नूंह दंगे का आरोपी मुनफेद बोला- डॉक्टर पाकिस्तानी कहते थे

नूंह दंगा : पुलिसवालों ने मेरी आंखों पर पट्टी बांधी, गाड़ी में बिठाया और पहाड़ी पर ले गए। मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है? तभी एक पुलिसवाले ने जबरदस्ती मेरे हाथ में पिस्टल पकड़ाई और गोली चलवा दी। मुझे जमीन पर औंधे मुंह लिटाया और पैर में गोली मार दी। वो गोली अब भी पैर में फंसी है। एक महीने जेल के हॉस्पिटल में रहा और एक महीने जेल में। वहां का स्टाफ मुझे आतंकी और पाकिस्तानी कहता था।’

मुनफेद खान हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई, 2023 को हुई हिंसा में अरेस्ट किए गए 420 लोगों में से एक हैं। नल्हड़ के नल्हरेश्वर मंदिर के पास रहकर दूध बेचते थे। अब धंधा बंद कर गांव में रहते हैं। पैर में गोली फंसी है, इसलिए लंगड़ाकर चलते हैं।

नल्हरेश्वर मंदिर से शुरू हुई ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा पर पथराव और उसके बाद भड़की हिंसा में पुलिस ने कुल 60 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इनमें तीन लोगों मुनफेद, आमिर और ओसामा पहलवान की गिरफ्तारियों पर सबसे ज्यादा सवाल उठे थे। तीनों को पुलिस ने एनकाउंटर के बाद अरेस्ट किया था। इनके परिवारों ने कहा कि पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर किए हैं। मुनफेद और आमिर को जमानत मिल गई है, ओसामा अब भी जेल में है।

हमारी मीडिया टीम ने मुनफेद और आमिर के घर जाकर उनसे एनकाउंटर की कहानी सुनी। हम उस पहाड़ी पर भी गए, जहां पुलिस ने मुनफेद का एनकाउंटर करने का दावा किया था। हमने नूंह हिंसा की जांच को लीड कर रहे एडिशनल एसपी से भी बात की। उन्होंने कुछ दिन पहले ही जॉइन किया है, इसलिए वे केस के बारे में कुछ खास नहीं बता पाए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट-

मुनफेद खान, पेशा: दूध का कारोबार
गांव: तावड़ू का ग्वारका

डेयरी बंद, पैर में पुलिस की गोली, डॉक्टर इलाज तक नहीं करते
मुनफेद दो महीने जेल में रहने के बाद 6 अक्टूबर, 2023 को बेल पर छूटे हैं। उनका दूध का काम बंद हो गया है। दोबारा ये काम कब शुरू कर पाएंगे, उनके पास जवाब नहीं है। इतना जरूर कहते हैं, ‘जहां हमने अपना काम जमाया था, वो जगह नल्हड़ मंदिर से 1-2 किलोमीटर ही दूर है। वहां रहने में अब रिस्क है।’

मुनफेद के एनकाउंटर के बाद हमारी मीडिया टीम ने उनके घर से रिपोर्ट की थी। तब पिता जैकम खान ने बताया था कि पुलिस ने एक दिन पहले मुनफेद को पकड़ा था और दूसरे दिन पैर में गोली मारी। फिर उसे एनकाउंटर का नाम दे दिया। हमने मुनफेद से पूछा, तब क्या हुआ था?

मुनफेद बताते हैं, ‘9 अगस्त को मैं राजस्थान के चुहेड़पुर गांव से घर लौट रहा था। मैं वहां भैंस देखने गया था। चचेरा भाई सैकुल भी साथ में था। हम दोनों बाइक पर थे। तभी एक बोलेरो रुकी। उसमें से कुछ पुलिसवाले निकले और हमें पकड़ लिया।

उन्होंने पूछा कहां से आए हो? मैंने कहा- चुहेड़पुर गांव से। वे बोले- तुम दंगे में शामिल थे। मैंने कहा- नहीं, मैं नहीं था। मैं तो चुहेड़पुर में था। आप मेरी लोकेशन चेक कर लो। इतना सुनते ही एक पुलिसवाले ने मुझे थप्पड़ जड़ दिए।’

सिलखो गांव के बाहर पहले इस जगह नाका था। पुलिस के मुताबिक, मुनफेद और सैकुल से यहीं मुठभेड़ हुई थी।
सिलखो गांव के बाहर पहले इस जगह नाका था। पुलिस के मुताबिक, मुनफेद और सैकुल से यहीं मुठभेड़ हुई थी।

गिरफ्तारी के बाद आपको कहां ले गए? मुनफेद ने जवाब दिया- तावड़ू की हवालात में। मुझे लगा कुछ पूछताछ होगी, फिर छोड़ देंगे। ऐसे ही पूरी रात बीत गई। 10 अगस्त की सुबह करीब 5 बजे पुलिसवालों ने मुझे और सैकुल को उठाया और आंखों पर पट्टी बांध दी। हमें गाड़ी में बिठा दिया। रास्ते में एक जगह गाड़ी रुकी। उन्होंने सैकुल को नीचे उतार दिया। फिर मुझे पहाड़ी पर ले गए। मेरे पैर में गोली मारी और नल्हड़ अस्पताल में एडमिट करा दिया।’

हॉस्पिटल में पुलिस ने कुछ पूछताछ की थी क्या? मुनफेद बताते हैं, ‘’कुछ नहीं पूछा, मैं उन्हें कहता रहा कि आप लोग मेरे फोन से लोकेशन चेक कर लो। मैं दंगे में नहीं था। मैं जैसे ही कुछ बोलता, वो लोग थप्पड़ मार देते। वो सुन ही नहीं रहे थे। मैं जब तक नल्हड़ अस्पताल में भर्ती रहा, मुझे एक बार भी घरवालों से नहीं मिलने दिया।’

हॉस्पिटल में डॉक्टर कहते थे- तुम आतंकवादी हो, तुम्हारा इलाज नहीं करेंगे
मुनफेद बताते हैं, ‘नल्हड़ के हॉस्पिटल में एक डॉक्टर था। उसका नाम मुझे नहीं पता, लेकिन बड़ा डॉक्टर था। उसने मेरा इलाज करने से मना कर दिया। बोला- तुम आतंकवादी हो, पाकिस्तानी हो, तुम्हारा इलाज नहीं करेंगे।’

‘फिर मुझे जेल में शिफ्ट कर दिया, लेकिन नल्हड़ हॉस्पिटल दिखाने लाते थे। मेरे पैर में गोली फंसी थी। मैंने डॉक्टर से कहा- गोली निकाल दो, बहुत दर्द होता है। उसने मेरे कागज फेंक दिए और कहा- नहीं निकालेंगे। बाद में डॉ. मंजीत ने मेरा इलाज किया। वे भले इंसान थे। हालांकि गोली अब भी पैर के अंदर ही है।’

डॉक्टरों ने गोली क्यों नहीं निकाली? मुनफेद कहते हैं, ‘पता नहीं, क्यों नहीं निकाल रहे हैं। रिहा होने के बाद भी मैं नल्हड़ और फिर दूसरे सरकारी अस्पताल गया, पर डॉक्टर ने कहा अभी नहीं निकाल सकते।’

मुनफेद ने अपने पैर पर गोली का निशान दिखाया। अंदर गोली फंसे होने की वजह से उनके पैर पर सूजन रहती है।
मुनफेद ने अपने पैर पर गोली का निशान दिखाया। अंदर गोली फंसे होने की वजह से उनके पैर पर सूजन रहती है।

जेल में तैनात पुलिसवाले पाकिस्तानी कहते थे
मुनफेद बताते हैं, ‘मैं एक महीने नूंह जेल के अस्पताल में रहा और एक महीने जेल की कोठरी में। मेरे साथ मारपीट तो नहीं हुई, लेकिन स्टाफ का बर्ताव अच्छा नहीं था। जेल में तैनात पुलिस और बाकी सब लोग मुझे देखकर आतंकवादी कहते थे। स्टाफ के लोग दूसरे कैदियों से कहते थे- इससे मत मिलना, ये पाकिस्तानी है। अगर कोई हमसे मिलने आता तो उसे भी रोक देते थे।’

क्या जेल में परिवार के लोगों से मिलने दे रहे थे? ‘उनसे तो नहीं मिलने दे रहे थे। जेल में पहले से बंद कुछ लड़के मेरे लिए बिस्किट और कोल्ड ड्रिंक लेकर आते थे, उन्हें भी मुझसे नहीं मिलने देते थे।’

जेल में कुछ पूछताछ नहीं हुई? ‘नहीं। कभी कुछ नहीं पूछा। बस फोन ले लिया था।’

इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर ने कभी कुछ जानने की कोशिश नहीं की? ‘नहीं, एक बार भी नहीं।’

दो महीने पहले डेयरी शुरू की थी, वो बंद हो गई, अब गार्ड की नौकरी
मुनफेद कहते हैं, ‘मैंने जून में डेयरी का काम शुरू किया था। काम अच्छा चलने लगा था। जेल गया तो सब ठप हो गया। गाय-भैंसों की देखभाल करने वाला कोई था नहीं। अब कुछ दिन पहले मैंने तावड़ू में एक कंपनी में गार्ड की नौकरी जॉइन की है। वहीं नाइट ड्यूटी करता हूं।’

आमिर, पेशा: मोटर मैकेनिक
गांव: डिढ़ारा

पुलिस ने मोबाइल रख लिया, उसी से लोकेशन का पता चलेगा
मुनफेद जैसी ही कहानी आमिर की है। पुलिस ने आमिर का 21 अगस्त की रात एनकाउंटर किया था। वे बताते हैं, ‘मुझे पुलिस ने 20 अगस्त को पकड़ा था। मैं गाजियाबाद की साहिबाबाद मंडी में था। उस दिन मैं बेंगलुरु से नारियल लेकर आया था। मंडी में ठेकेदार को डिलीवरी देने गया था, तभी पुलिस ने उठा लिया। एक दिन तावड़ू की हवालात में रखा। 21 अगस्त की रात मुझे पहाड़ी पर ले गए और पैर में गोली मार दी। गोली आर-पार हो गई थी।’

क्या आंखों पर पट्टी बांधकर ले गए थे? आमिर बताते हैं, ‘नहीं, ऐसे ही ले गए थे। बस मुझे जगाया और कहा- चलो किसी को गिरफ्तार करना है। फिर सिलखो की पहाड़ी पर ले गए। पुलिसवालों ने मेरे हाथ में पिस्टल थमा दी और कहा चला इसे। मुझे तो पिस्टल चलानी नहीं आती। वही पिस्टल बरामदगी में भी दिखा दी।’

दंगे के वक्त बहन के घर गया था, किसी के कहने पर अरेस्ट कर लिया
आमिर बताते हैं, ’31 जुलाई को मैं बहन के घर पुन्हाना में था। नल्हड़ के आसपास भी नहीं था। किसी ने मेरा नाम लिया और बस मुझे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के पास मेरा मोबाइल है, लेकिन इसका जिक्र डॉक्यूमेंट में नहीं है। डॉक्यूमेंट में बाइक और पिस्टल का जिक्र है, लेकिन मोबाइल का नहीं है क्योंकि उससे मेरी लोकेशन पता चल जाएगी।’

आपने पुलिस से मोबाइल देने के लिए नहीं कहा? ‘कहा था। पुलिस ने कहा- पैसे ले लो, मोबाइल नहीं देंगे। मेरे मोबाइल की लोकेशन चेक की जाए, तो सब सच पता चल जाएगा। पुलिसवाले मोबाइल दे ही नहीं रहे।’

जेल में मारपीट तो नहीं हुई? ‘नहीं, मेरे साथ तो नहीं हुई। हां, प्रशासन के लोग मुझे भला-बुरा जरूर बोलते थे। कहते थे- तुम लोगों ने दंगे किए हैं। आपस में बात करते थे कि मेवात तो मिनी पाकिस्तान बन गया है।’

आमिर के पिता बोले- हम तो झोपड़ी में रहते हैं, बेल कराने में 3-4 लाख लग गए
आमिर के पिता हासम दीन बताते हैं, ‘केस में उस तरफ से सरकारी वकील था। उसे हर तारीख में 2000-2500 रुपए देने पड़ते थे। केस की जांच कर रहे अधिकारी को भी हर बेल पर एक हजार रुपए देने पड़े। जाने-आने में भी खर्च हुआ। अब भी हो रहा है।’

सरकारी वकील और आईओ को क्यों पैसा देना पड़ा? ‘वकील कहता था कि पैसे दो, मैं बहस में कुछ नहीं बोलूंगा। आईओ ने कहा था कि वो चार्जशीट में कुछ नहीं लिखेगा। वकील ने तो वादा पूरा किया, लेकिन आईओ ने चार्जशीट में बहुत कुछ लिख दिया।’

आपकी स्थिति तो नहीं लगती, 3-4 लाख कैसे खर्च किए? ‘सब कर्ज लेकर ही किया।’

आमिर पर 7 केस, एक महीने में 14 दिन कोर्ट के चक्कर
आमिर के पिता कहते हैं, ‘आमिर पर 7 केस दर्ज हैं। पहले हम बेल के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे। अब आमिर हर तारीख में कोर्ट जाता है। नूंह आने जाने का खर्च और पूरा दिन कोर्ट में अलग से। इस वजह से आमिर कोई काम नहीं कर पा रहा है।’

हिंसा के पाकिस्तान कनेक्शन की बातें हुईं, पर अब तक मिला नहीं
नूंह के SP नरेंद्र बिजारनिया ने सितंबर में बताया था कि हिंसा भड़काने के पीछे पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे यूट्यूब और टेलीग्राम चैनल थे। हालांकि पुलिस को अब तक पाकिस्तान कनेक्शन मिला नहीं है।

नूंह हिंसा की जांच के लिए 4 स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनी हैं। इन्हें एडिशनल एसपी कुलदीप सिंह लीड कर रहे हैं। हालांकि वे 15 दिन पहले ही ट्रांसफर होकर आए हैं। हमने उनसे केस के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि अभी दंगों की जांच के बारे में मुझे ज्यादा पता नहीं है। हां, ये जरूर है कि जांच बहुत तेज चल रही है।

नूंह दंगों के पाकिस्तान कनेक्शन पर ASP कुलदीप सिंह ने कहा कि अब तक तो ऐसा कुछ नहीं मिला। बाकी हम बहुत कुछ आपको बता नहीं सकते। नूंह अब भी बेहद सेंसिटिव है।

हमने एक SIT को लीड कर रहे तावड़ू के DSP मुकेश कुमार से बात की। उन्होंने बताया, ‘हिंसा नूंह में हुई थी। तावड़ू में तो ऑफ्टर इफेक्ट था। अभी जांच चल रही है। राजस्थान और पाकिस्तान कनेक्शन की बात हो रही थी, ऐसा तो कुछ नहीं मिला अभी।

इसके बाद हमने फिरोजपुर झिरका के DSP कप्तान सिंह से बात की। वे भी SIT को लीड कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जांच चल रही है। ये दंगे साजिश के तहत कराए गए थे। कुछ वॉट्सऐप ग्रुप से सुराग मिले हैं। हालांकि बहुत पहले की दंगे की प्लानिंग नहीं थी। राजस्थान और पाकिस्तान से भी कुछ कॉन्क्रीट कनेक्शन नहीं मिला है।

वकील बोले- बेगुनाही का सबूत मोबाइल लोकेशन, चार्जशीट में देखेंगे पुलिस क्या देती है
मुनफेद के वकील ताहिर हुसैन रुपड़िया अब तक नूंह हिंसा में 335 लोगों की बेल करा चुके हैं। उन्हें जमीयत उलेमा ए हिंद ने दंगों में आरोपी बनाए गए मुस्लिमों की मदद के लिए वकील नियुक्त किया है। ताहिर मुनफेद के एनकाउंटर को फेक बताते हैं।

हमने पूछा- आप कैसे साबित करेंगे कि एनकाउंटर फेक था? ताहिर हुसैन कहते हैं, ‘मोबाइल की लोकेशन मैच की जाएगी। हमारे पास और भी सबूत हैं, जो अभी डिस्क्लोज नहीं कर सकते। कोई CCTV फुटेज सामने नहीं आया है। बाकी देखते हैं कि चार्जशीट में पुलिस क्या सबूत पेश करती है।’

वहीं, आमिर का केस लड़ रहे वसीम कहते हैं, ‘आमिर का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं था। नूंह दंगों में ही उसका नाम आया। वो भी सीधे नहीं आया। किसी राहुल ने इसका नाम लिया था। उसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया। आमिर पर 302, 395 समेत कई धाराएं लगी हैं। उस पर एक केस तावड़ू में हुआ, बाकी 7 केस नूंह में हुए।’

आमिर को किस आधार पर बेल मिली? वसीम बताते हैं, ‘सबसे बड़ी बात तो है आमिर की लोकेशन अब तक सामने नहीं आई है, न ही किसी CCTV फुटेज में आमिर है। हमने यही दलील दी।

केस में कांग्रेस विधायक और हिंदूवादी नेताओं के नाम आए, वे अब कहां हैं

फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस के विधायक मामन खान फिलहाल जमानत पर हैं। नूंह हिंसा मामले में वे 19 सितंबर से 3 अक्टूबर तक जेल में रहे। ब्रजमंडल यात्रा से पहले 31 जुलाई को मोनू मानेसर ने वीडियो जारी कर कहा था कि वो यात्रा में शामिल होने टीम के साथ नूंह आएगा।

इसके जवाब में मामन खान ने फेसबुक पर लिखा, ‘किसी भी साथी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। मैंने विधानसभा में भी आपकी लड़ाई लड़ी थी। मेवात में भी आपकी लड़ाई मैं ही लडूंगा।’ हिंदूवादी संगठनों के लोगों का आरोप है कि इसी पोस्ट की वजह से हिंसा भड़की।

राजस्थान के नासिर-जुनैद मर्डर केस में आरोपी मोनू मानेसर अभी गुरुग्राम की भोंडसी जेल में है। हरियाणा पुलिस ने मोनू मानेसर को 12 सितंबर को गिरफ्तार किया था। नूंह में निकलने वाली यात्रा से पहले मोनू मानेसर ने एक वीडियो जारी किया। कहा कि 31 जुलाई को मेवात ब्रजमंडल यात्रा है। सभी भाई इस यात्रा में जाएं। हम खुद और हमारी टीम इसमें शामिल होगी।

इसके बाद मोनू का एक और वीडियो सामने आया। इसमें मोनू अपने साथियों के साथ गाड़ी में है। दावा किया गया कि वो यात्रा में शामिल होने जा रहा है। पुलिस रिकॉर्ड में मोनू उस वक्त फरार चल रहा था।

नूंह हिंसा के आरोपी गोरक्षा बजरंग फोर्स का राष्ट्रीय अध्यक्ष बिट्टू बजरंगी अभी जमानत पर है। ब्रजमंडल यात्रा के दौरान नूंह हिंसा में सदर थाने में केस दर्ज किया गया था। इसमें बिट्टू को मुख्य आरोपी बनाया गया था। पुलिस के मुताबिक, ब्रजमंडल यात्रा से पहले बिट्टू ने कई भड़काऊ वीडियो सोशल मीडिया पर डाले थे। इस मामले में भी उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। हालांकि उसे जमानत पर छोड़ दिया गया था।

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