ओवरस्मार्ट सिस्टम से स्मार्ट रोबोट नाकारा हो गए:शहर में चैंबरों की चौड़ाई 2 फीट है मगर रोबोट तो 4 फीट के चैंबर में ही सफाई कर सकता है
ओवरस्मार्ट सिस्टम से स्मार्ट रोबोट नाकारा हो गए:शहर में चैंबरों की चौड़ाई 2 फीट है मगर रोबोट तो 4 फीट के चैंबर में ही सफाई कर सकता है

जयपुर : मेरा नाम बैंडी क्यूट है, एक स्मार्ट रोबोट। मैं सड़कों पर मैनहोल में उतरकर चैंबर सफाई करने के लिए जाना जाता हूं। एक साल पहले मुझे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत स्मार्ट जयपुर में सफाई के लिए खरीदा था मगर ओवरस्मार्ट सिस्टम ने मुझे मूर्ख घोषित कर दिया। दरअसल, शहर के चैंबरों की चौड़ाई 2 फीट है मगर मैं 4 फीट चैंबरों में सफाई करने में सक्षम हूं। मैं और मेरे 2 साथी अक्सर हेरिटेज-ग्रेटर निगम के गैराज में ही नाकारा हाल पड़े रहते हैं। एक बार मुझे सफाई के लिए उतारा गया तो मैं अंदर ही फंस गया लेकिन सरफेस की चौड़ाई कम होने के कारण मजबूरन बिना सफाई मुझे निकालना पड़ा। मुझमें जंग लगता जा रहा है। अब तो मेरी पकड़ भी पहले जैसी नहीं रही। मैं जयपुर की जनता से माफी मांगता हूं कि शहर को साफ और स्मार्ट बनाने में नाकाम रहा।
लापरवाही देखिए; सीवरेज चैंबर की नाप तक नहीं की और खरीद कर ली
एक करोड़ 20 लाख रुपए की कीमत के ये रोबोट खरीदने से पहले जिम्मेदारों ने चैंबरों की नाप लेने की जहमत नहीं उठाई। चैंबर के अंदर से मलबा, पत्थर, मिट्टी और टूटे ढक्कन निकालना रोबोट का काम है। दूसरे राज्यों में यह काम बैंडी क्यूट रोबोट से आसानी से किया जा रहा है। खासियत है कि रोबोट 10 फीट नीचे तक जाकर 200 किलो वजन उठाने में सक्षम है। एक घंटे में 2 लीटर पेट्रोल उपयोग में लेता है।
डीएलबी के एक ऑर्डर के बाद शुरू हुई खरीद की कहानी- डीएलबी की ओर से अप्रैल 2022 में नगर निगम हेरिटेज की प्रोजेक्ट शाखा को एक लेटर मिला था। जिसमें सीवर लाइन की सफाई के लिए रोबोट की खरीद करने को कहा गया था। इसके बाद निगम के तत्कालीन कमिश्नर अवधेश मीणा ने हेरिटेज में सीवर लाइन की परेशानी को ध्यान में रखते हुए दो रोबोट खरीदने के ऑर्डर दिए थे। इस तरह ऑनलाइन बिड के माध्यम से दो रोबोट हेरिटेज के लिए और एक ग्रेटर निगम के लिए खरीद किया गया। यह तीनों रोबोट अक्टूबर 2022 में प्रयोजन शाखा के पास पहुंचे। जहां पर दोनों निगम की गैराज शाखा से पेमेेंट होने के बाद मार्च 2023 में दोनों निगम को सुपुर्द कर दिए गए। -रिपोर्ट : ईशांत वशिष्ठ
…और भी हैं दिक्कतें चैंबर की गोलाई कम होने के अलावा चैंबर के अंदर सीढ़ियां होने के कारण रोबोट बीच में फंस जाता है। मैनहोल का ढक्कन टूटकर अंदर गिर जाए तो निकाल भी नहीं पाता। वहीं, लाइन के अंदर नीचे का बेस पुराने डिजाइन का होने के कारण रोबोट के पैर ऊपर ही रहते हैं। इससे वह कचरा ठीक से पकड़ नहीं पाता है। कचरा पकड़ में आ भी जाए तो चैंबर की गोलाई कम होने के कारण मलबा बाहर नहीं निकाल पाता।
नई सड़कों पर चैंबर सड़क के किनारे, वहां भी कारगर नहीं
जिन इलाकों में नई सड़क डाली गई है, वहां चैंबरों का साइज चौड़ा किया जा रहा है मगर वहां भी रोबोट सफाई नहीं कर पा रहा है। क्योंकि नए चैंबर सड़क के साइड में हैं, जहां पर रोबोट ठीक से खड़ा तक नहीं हो पा रहा है।
तत्कालीन कमिश्नर की देखरेख में निगम बजट से ऑनलाइन बिड के बाद खरीद की गई थी। उसके बाद गैराज शाखा से पेमेंट होने के बाद दोनों निगम के सुपुर्द कर दिए गए। फिजिकल इनका खरीद के बाद ही पता चला था। कचरा कम ज्यादा होने की स्थिति में उसे कम-कम कर निकाला जाता है। -दिनेश कुमार मीणा, जेईएन प्रोजक्ट शाखा, हेरिटेज निगम