झुंझुनूं : पारम्परिक व्यवसाय से जुड़े कारीगरों-शिल्पकारों को संबल मिलेगा। इनके उत्थान के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना लागू की गई है। इस योजना में कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा पोर्टल या कॉमन सर्विस सेन्टर के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
योजना के तहत कारीगरों शिल्पकारों को उनकी कला से संबंधित प्रमाण पत्र एवं आइडी कार्ड जारी होगा। इसके माध्यम से विश्वकर्मा के रूप में कारीगर की पहचान स्थापित होगी। योजना का मकसद ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में पारंम्परिक व्यवसाय से जुड़े विभिन्न कारीगरों एवं शिल्पकारों यथा लुहार, सुथार, सुनार, मूर्तिकार, कुम्हार, चर्मकार, राजमिस्त्री, खिलौना, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी आदि के उत्पादों एवं सेवाओं को बढ़ावा देना है।
मिलेगी प्रशिक्षण की सुविधा
कारीगरों का कौशल निखारने के लिए कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसमें पांच से सात दिवस की बैसिक स्किल ट्रेनिंग और 15 दिवस के उन्नत प्रशिक्षण के लिए नामांकन एवं कौशल सत्यापन के बाद बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। प्रशिक्षण अवधि में प्रतिदिन 500 रुपए मानदेय दिया जाएगा।
कारीगरों और शिल्पकारों को विश्वकर्मा के रूप में उनकी पहचान व मान्यता देने, उनकी ओर से निर्मित आइटम व ब्रांड के प्रचार-प्रसार, मार्केटिंग की जानकारी एवं बाजार लीकेज के लिए मंच प्रदान किया जाएगा।
जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्र के महाप्रबंधक अभिषेक चोपदर के अनुसार इस में स्वयं की कला से संबंधित टूलकिट के लिए 15 हजार रुपए का अनुदान प्रोत्साहन के रूप में दिया जाएगा। कारीगरों, शिल्पकारों को डिजिटल सशक्तिकरण प्रोत्साहन के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शन पर कुछ राशि दी जाएगी। ऐसे कारीगरों, शिल्पकारों को सहायतार्थ एक लाख रुपए का मॉर्गेज मुक्त उद्यम विकास ऋण जो 18 माह के पुनर्भुगतान के लिए पहली किस्त एवं 2 लाख रुपए 30 माह के पुनर्भुगतान के लिए दूसरी किस्त प्रदान की जाएगी।
इसमें लाभार्थी से ऋण पर पांच प्रतिशत ब्याज लिया जाएगा व शेष ब्याज अधिकतम आठ प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी।