पुनर्वास के नाम पर 4 महीने से 10 लोग बंधक:NGO की निगरानी में थे, पुलिस को सूचना मिली तो मुक्त कराया
पुनर्वास के नाम पर 4 महीने से 10 लोग बंधक:NGO की निगरानी में थे, पुलिस को सूचना मिली तो मुक्त कराया

झुंझुनूं : झुंझुनूं में पुनर्वास के नाम पर एक एनजीओ ने 10 लोगों को 4 महीने से बंधक बना रखा था। झुंझुनूं पुलिस को स्थानीय लोगों से इसकी जानकारी मिली तो सभी लोगों को मुक्त कर घर भिजवाया गया।
झुंझुनूं शहर में हमीरी रोड पर स्थित वार्ड 55 में बालाजी गेस्ट हाउस में नागौर के एनजीओ बाबा रामदेव मेडिकल एंड एजुकेशन सोसायटी (डीडवाना) की ओर से 2 दिन पहले ही कुछ लोगों को लाकर रखा गया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि गेस्ट हाउस की बालकनी से एक व्यक्ति ने पड़ोसियों से कहा कि उन्हें यहां बंधक बना रखा है। वे अपने घर जाना चाहते हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची। वहां रह रहे लोगों व एनजीओ प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद अंदर रह रहे दस लोगों को मुक्त करवाकर जयपुर भेजा गया।
बंधकों ने बताया- जबरन रखा
बंधक बनाकर रखे लोगों ने बताया कि करीब चार माह पहले उन्हें जयपुर में नशे की हालत में जबरन पकड़ कर यहां लाया गया। तब दो दिन में छोड़ने की बात कही। चार महीने हो गए। चार माह के दौरान उन्हें झुंझुनूं में अलग अलग जगहों पर रखा गया।
रामगंज मंडी कोटा निवासी रमेश कुमार ने बताया कि वह जयपुर में मजदूरी करता था। 14 अगस्त को उसे नशे की हालत में गाड़ी में बैठा लिया। सवेरे छोड़ने की बात कहीं, लेकिन अभी तक नहीं छोड़ रहे हैं। घरवालों से बातें भी नहीं करवा रहे हैं।
जयपुर के मुरलीपुरा में रहने वाले ओम सिंह ने बताया कि जन्माष्टमी की रात को उसे पकड़ा था। पांच सात दिन में घर भेजने की बात कहीं थी, लेकिन अभी तक नहीं छोड़ा है। नशा छुड़ाने या अन्य किसी तरह की दवा भी नहीं दी गई है। बाराबंकी यूपी निवासी अनवर अहमद ने बताया कि वह परिवार के साथ जयपुर में रहकर सिलाई का काम करता था। उसे भी रात को सड़क किनारे से उठाकर ले आए।
नशा करने वाले व बेसहारा लोगों का पुनर्वास
बाबा रामदेव मेडिकल एंड एजुकेशन सोसायटी डीडवाना के मैनेजर जितेंद्र कुमार का कहना है कि सरकार की ओर से मुख्यमंत्री पुनर्वास गृह योजना के तहत बेसहारा व नशा करने वाले लोगों को पुनर्वास के लिए पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। इच्छा विरुद्ध लोगों को रखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि नशा करने वाला हर व्यक्ति घर जाने की जिद करता है। यहां इनको कोई परेशानी नहीं है।
इसलिए रखते हैं जबरन
दरअसल असहाय, बेसहारा लोगों के लिए सरकार एनजीओ के माध्यम से पुनर्वास केंद्र खोलती है। वहां उनको भोजन, वस्त्र, दवाई वगैरह सभी चीजें मुहैया कराई जाती है। व्यक्ति को पुनर्वास करने के लिए प्रयास किए जाते हैं, इसके बदले एनजीओ को करीब ढाई हजार रुपए प्रति व्यक्ति मदद मिलती है।
इस कारण कई संस्थाएं सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए ऐसे लोगों को भी अपने पास रख लेती हैं जो इस योजना के दायरे में नहीं होते। यहां रखे गए लोग भी अपने परिजनों के साथ जाना चाहते थे। एक साथ पिता पुत्र को रखा गया था। वे कहते थे कि हमारे कमाने से ही घर चल रहा था। ये लोग जबरन उन्हें यहां रखा हुआ है। पहले उन्हें दूसरे स्थान पर रखा गया था। बाद में उन्हें यहां लाया गया था।