[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

पिता फोन करते रहे, छात्रा फंदे पर लटकी:कोटा में तीन दिन में एक और NEET स्टूडेंट का सुसाइड; इस साल 26 बच्चों ने जान दी


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
कोटाटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

पिता फोन करते रहे, छात्रा फंदे पर लटकी:कोटा में तीन दिन में एक और NEET स्टूडेंट का सुसाइड; इस साल 26 बच्चों ने जान दी

पिता फोन करते रहे, छात्रा फंदे पर लटकी:कोटा में तीन दिन में एक और NEET स्टूडेंट का सुसाइड; इस साल 26 बच्चों ने जान दी

कोटा : कोटा में स्टूडेंट्स सुसाइड के मामले रुक नहीं रहे हैं। तीन दिन के अंदर एक और नीट स्टूडेंट ने फंदे से लटककर जान दे दी। उत्तर प्रदेश के औरैया की रहने वाली छात्रा छह महीने पहले ही कोटा आई थी। बुधवार रात करीब एक बजे महावीर नगर इलाके के प्राइवेट हॉस्टल में उसकी बॉडी मिली। इससे पहले 27 नवंबर को भी नीट की ही तैयारी करने वाले पश्चिम बंगाल के एक स्टूडेंट ने आत्महत्या कर ली थी। इस साल अब तक कोटा में 26 छात्रों ने जान दी है। सुसाइड केसों को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने प्राइवेट हॉस्टल व कोचिंग संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी थी, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है।

पिता फोन करते रहे, नहीं मिला जवाब
औरेया की रहने वाली निशा यादव (21) की सुसाइड से कुछ देर पहले ही पिता से बात हुई थी। इसके बाद फिर से उसे फोन किया तो उसने कॉल रिसीव नहीं किया। इसके बाद उनके हॉस्टल संचालक को सूचना दी। हॉस्टल के स्टाफ ने निशा के कमरे का काफी देर तक गेट खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। संचालक श्याम पेशवानी ने बताया कि इसके रात करीब एक डेढ़ बजे छात्रा के कमरे का गेट तोड़ा गया तो पंखे से लटकी हुई मिली।

निशा के परिजन मॉर्च्युरी पहुंचे और शव के पोस्टमॉर्टम की कार्रवाई की गई।
निशा के परिजन मॉर्च्युरी पहुंचे और शव के पोस्टमॉर्टम की कार्रवाई की गई।

पेशवानी ने बताया हॉस्टल में 19 कमरे हैं। करीब 12 गर्ल्स स्टूडेंट्स यहां रहती है। निशा के सुसाइड करने पर सभी सदमे में हैं। निशा मई के महीने में ही कोटा आई थी। पहले वह कोटा के इंद्र विहार इलाके में रहती थी। इधर, जवाहर नगर थाना ASI कुंदन कुमार ने बताया फिलहाल सुसाइड का कोई कारण सामने नहीं आया है। घर वाले दिवाली के बाद निशा को यहां छोड़कर गए थे। निशा ने कमरे में पंखे से दुप्पट्टे का फंदा बनाया और उस पर लटककर सुसाइड कर लिया।

निशा ने इसी हॉस्टल के कमरे में फंदे से झूलकर सुसाइड किया है।
निशा ने इसी हॉस्टल के कमरे में फंदे से झूलकर सुसाइड किया है।

तीन दिन में दूसरा सुसाइड
गुरुवार को एमबीएस हॉस्पिटल में शव का पोस्टमॉर्टम किया गया। निशा के पिता ओसान सिंह और माता सरोज देवी कोटा पहुंचे। निशा के पिता किसान हैं। शहर में 3 दिन में ये दूसरी सुसाइड की घटना है। 27 नवंबर सोमवार को पश्चिम बंगाल के रहने वाले फोरिद ने फांसी लगाकर जान दी थी। फोरिद भी नीट की तैयारी कर रहा था। बुधवार रात को निशा ने सुसाइड कर लिया।

कोचिंग को कलेक्टर ने दिया नोटिस
तीन दिन में दो नीट स्टूडेंट्स के सुसाइड करने के मामले में जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद मीणा ने काेचिंग इंस्टीट्यूट को नोटिस दिया है। 27 नवंबर को नीट स्टूडेंट फोरिद के मामले में जिला कलेक्टर ने 3 दिन में जवाब मांगा है। नोटिस में लिखा है कि 12 नवंबर की काउंसिलिंग में पता लग गया था कि छात्र अवसाद (तनाव) में है। इसकी काउंसिलिंग संस्थान द्वारा की जा रही थी। इसके बावजूद संस्थान ने इसकी सूचना प्रशासन को नहीं दी। सूचना समय पर दी जाती तो छात्र के माता पिता से समझाइश की जा सकती थी। प्रशासन ने इसे छात्रों के मनोबल बढ़ाने के लिए उदासीनता और निर्देशों की अवज्ञा की श्रेणी में माना है।

3800 हॉस्टल रजिस्टर्ड, 90% में इंस्टॉल है डिवाइस
कोटा में 3800 हॉस्टल रजिस्टर्ड है। अलग-अलग इलाकों के हिसाब से हॉस्टल्स की अपनी एसोसिएशन बनी हुई है। हॉस्टल एसोसिएशन अध्यक्ष नवीन मित्तल के अनुसार शहर के 90 प्रतिशत (3420) हॉस्टल में एंटी हैंगिंग डिवाइस (स्प्रिंग वाले एंटी सुसाइड पंखे लगाए) पंखों के साथ अटैच है।

40 हजार से ज्यादा पीजी, कौन करेगा निगरानी?
मित्तल के अनुसार कोटा में 40 हजार से ज्यादा पीजी (पेइंग गेस्ट) चल रहे हैं। जिनमें एक से लेकर कई कमरों के पीजी शामिल है। यह रजिस्टर्ड भी नहीं है। इनके अलावा कई कॉलोनियों में स्टूडेंट किराए के घरों में रह रहे हैं। प्रशासन ने आदेश जारी कर दिए कि हॉस्टलों और पीजी में एंटी हैंगिंग डिवाइस जरूरी है, लेकिन सवाल यह है कि हॉस्टल पर तो प्रशासन निगरानी रख लेगा, पीजी पर कैसे करेगा।

निशा के माता-पिता कोटा पहुंचे हैं। यहां अस्पताल की मॉर्च्युरी में निशा की मां सरोज देवी का रो-रो कर बुरा हाल है।
निशा के माता-पिता कोटा पहुंचे हैं। यहां अस्पताल की मॉर्च्युरी में निशा की मां सरोज देवी का रो-रो कर बुरा हाल है।

इस साल अब तक 26 सुसाइड हुए हैं…

14 जनवरी: यूपी निवासी अली राजा ने सुसाइड किया था। वह कोटा में JEE की तैयारी कर रहा था। वह पिछले 1 महीने से कोचिंग नहीं जा रहा था।

15 जनवरी: उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले रणजीत (22) फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। स्टूडेंट के पास सुसाइड नोट मिला। लिखा- मैं विष्णु का अंश हूं, मैं भगवान से मिलने जा रहा हूं।

8 फरवरी: कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के लैंडमार्क सिटी इलाके में एक छात्रा ने मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के 10वें माले से कूदकर सुसाइड कर लिया। छात्रा कृष्णा (17) बाड़मेर की रहने वाली थी।

8 फरवरी: उत्तरप्रदेश के धनेश कुमार ने फांसी लगाई थी। वह 3 महीने पहले ही कोटा आया था

24 फरवरी: यूपी के बदायूं का रहने वाले 17 साल के अभिषेक ने फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी। वह दो साल से कोटा में रह रहा था। अभिषेक NEET की तैयारी कर रहा था।

26 अप्रैल: राशि जैन (19) ने हॉस्टल के रूम में फंदा लगाया था। वह मध्यप्रदेश के सागर की रहने वाली थी। जो एक साल से कोटा में रहकर नीट की कोचिंग कर रही थी।

8 मई: स्टूडेंट नासिर (22) बेंगलुरु का निवासी था। उसने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के 10वें माले से कूदकर सुसाइड कर लिया। वह सुसाइड के एक दिन पहले जयपुर में नीट का एग्जाम देकर आया था।

11 मई: धनेश कुमार (15) ने हॉस्टल में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। स्टूडेंट 11वीं क्लास में पढ़ता था। NEET की तैयारी कर रहा था।

12 मई: बिहार के पटना निवासी नवलेश (17) हॉस्टल में फांसी लगाकर सुसाइड किया था। नवलेश 12 वीं की पढ़ाई के साथ नीट की तैयारी कर रहा था।

24 मई: कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में बिहार के नांलदा के रहने वाले आर्यन (16) फांसी लगाकर सुसाइड किया। वह नीट की तैयारी कर रहा था।

7 जून: पश्चिम बंगाल के कुरोलिया निवासी 18 साल के परितोष कोहिरी की संदिग्ध मौत हो गई। वह निजी कोचिंग से नीट की तैयारी कर रहा था।

12 जून: महाराष्ट्र निवासी 17 साल के भार्गव केशव ने कमरे में फांसी लगा ली। वो 2 महीने से JEE की तैयारी कर रहा था।

16 जून: बिहार के समस्तीपुर निवासी रोशन (21) ने सुसाइड किया था। उसने नीट का एग्जाम दिया था। जिसमें फेल हो गया था।

27 जून: यूपी के जोनपुर निवासी आदित्य (17) ने अपने रूम पर फांसी लगा ली। आदित्य नीट की तैयारी कर रहा था।

27 जून: उदयपुर के सलूंबर का निवासी मेहुल वैष्णव (18) ने हॉस्टल में फांसी लगा ली। स्टूडेंट दो महीने पहले ही कोटा आया था।

8 जुलाई: यूपी के रामपुर जिले के निवासी बहादुर सिंह (17) फांसी लगाकर सुसाइड किया। दो महीने पहले ही कोटा आया था।

3 अगस्त: NEET की तैयारी कर रहे यूपी के छात्र मनजोत ने सुसाइड किया था।

4 अगस्त: बिहार के चंपारण के भार्गव मिश्रा ने सुसाइड किया था। JEEकी तैयारी के लिए आया था।

10 अगस्त: यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले मनीष प्रजापति (17) ने हॉस्टल में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। मनीष 6 महीने पहले ही कोटा आया था और जेईई की तैयारी कर रहा था।

16 अगस्त: बिहार का रहने वाला वाल्मीकि प्रसाद जांगिड़ (18) जुलाई 2022 में कोटा आया था। स्टूडेंट ने कमरे की खिड़की से लटक कर सुसाइड किया था।

28 अगस्त: बिहार के रहने वाले आदर्श ने फंदे से लटककर सुसाइड कर लिया था।

28 अगस्त: महाराष्ट्र के स्टूडेंट आविष्कार संभाजी ने सुसाइड कर लिया। वह भी हॉस्टल के कमरे में फंदे से झूल गया था।

12 सितंबर: झारखंड की रिचा सिन्हा ने सुसाइड किया था। उसने बालकनी का दरवाजा बंद कर अपनी रूममेट के सामने ही सुसाइड किया था।

19 सितंबर: यूपी की मऊ की रहने वाली प्रियम सिंह ने सल्फास खाकर सुसाइड किया था। उसकी हॉस्टल के सामने तबीयत बिगड़ गई थी।

27 नवंबर: पश्चिम बंगाल के रहने वाले फोरिद ने फांसी लगाकर जान दी थी। फोरिद भी नीट की तैयारी कर रहा था।

30 नवंबर: नीट की तैयारी कर रही उत्तर प्रदेश के औरैया की रहने वाली निशा यादव ने फंदा लगाकर जान दे दी।

2 स्टूडेंट्स ने की थी सुसाइड की कोशिश

29 जनवरी: विज्ञान नगर इलाके में कोचिंग स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की थी। स्टूडेंट हॉस्टल की चौथी मंजिल की बालकनी से नीचे कूद गया था। गंभीर हालत में उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

19 जनवरी: जवाहर नगर थाना क्षेत्र में एक स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की थी। स्टूडेंट ने खुद को आग लगा ली थी। समय रहते स्थानीय लोगों ने उसे बचाया और हॉस्पिटल पहुंचाया। स्टूडेंट बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले का रहने वाला था।

कमेटी ने बताए थे सुसाइड के कारण

कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड मामलों को लेकर राज्य सरकार ने 20 अक्टूबर को एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने स्टूडेंट्स के सुसाइड करने के कई प्रमुख कारण बताए थे।

  • कॉम्पिटिटिव एग्जाम में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड और अच्छी रैंक लाने का प्रेशर।
  • कोचिंग के प्रैक्टिस टेस्ट में अच्छा परफॉर्म न कर पाने से होने वाली निराशा।
  • बच्चों की योग्यता, रूचि और क्षमता से ज्यादा पढ़ाई का बोझ और पेरेंट्स की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रेशर।
  • टीनएज में होने वाले मानसिक और शारीरिक बदलाव, परिवार से दूर रहना, काउंसिलिंग और सपोर्ट सिस्टम का अभाव।
  • बार-बार होने वाले असेसमेंट टेस्ट और रिजल्ट की चिंता, कम स्कोर करने पर डांट या टिप्पणी सुनना, रिजल्ट के आधार पर बैच बदलने का डर।
  • कोचिंग इंस्टिट्यूट का टाइट शेड्यूल, को-करिकुलर एक्टिविटीज न होना और छुट्टियां न मिलना।

Related Articles