कांग्रेस के स्टार प्रचारक सचिन पायलट मैदान में:चेहरा ही मुद्दा, कांग्रेस के ‘लोकप्रिय’ का मुकाबला भाजपा के ‘लोकल’ से
कांग्रेस के स्टार प्रचारक सचिन पायलट मैदान में:चेहरा ही मुद्दा, कांग्रेस के ‘लोकप्रिय’ का मुकाबला भाजपा के ‘लोकल’ से
टोंक : टोंक में शाम 6 बजे सचिन पायलट का कारवां लांबा, सोहनवा गांव में पहुंचा तो लोग उन्हें देखने, मिलने, हाथ मिलाने और फोटो खिंचवाने के लिए बेताब नजर आए। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पार्टी के स्टार प्रचारक पायलट इन दिनों टोंक में गली-गांवों की पगडंडियां नाप रहे हैं। शुक्रवार को एक के बाद एक 24 गांवों में दौरा किया।
समर्थक और कई लोग मानते हैं, यहां उनका चेहरा ही उनके लिए वोट है। जबकि सीधे मुकाबले में भाजपा के प्रत्याशी अजीत सिंह मेहता इसी बात को काउंटर कर रहे हैं कि ‘सेलिब्रिटी’ की जगह लोगों को ‘लोकल’ चेहरा चुनना है, जो 10 साल से उनके बीच मौजूद है।
मेहता ने दोपहर 1:30 बजे गुलाबपुरा के गुर्जरों से आशीर्वाद लिया तब और शाम 4 बजे रहमानिया के कुछ मुस्लिम परिवारों से अपील के दौरान यही बात दोहराई। चंदलाई, बीचपड़ी, तारण गांव में लोगों से टोंक के मुद्दाें के बारे में पूछा तो भाजपा या कांग्रेस के बजाय उनकी जुबान पर सिर्फ चेहरों की बात थी। कहने को तो यहां 8 प्रत्याशी मैदान में हैं लेकिन सीधा मुकाबला पायलट व मेहता के बीच है।
सभाओं का असर
प्रचार का जिम्मा दोनों प्रमुख प्रत्याशियों ने ही अपने कंधों पर उठाया है। जैसे पायलट के लिए किसी दूसरे स्टार प्रचारक की जरूरत नहीं, वैसे ही भाजपा से कोई बड़ा नेता यहां नहीं पहुंचा और न ही कोई सभा तय है। ध्रुवीकरण की चर्चाओं के बीच भाजपा प्रभारी रमेश विधूड़ी भी अब टोंक के बजाय मालपुरा में सक्रिय हैं।
मतदाताओं के मन में क्या
आसपास के गांवों में खेती के लिए नहरों से पानी को लेकर हाल ही बड़ा प्रदर्शन हुआ था। जनता दोनों प्रत्याशियों को भांप रही है। केंद्र व राज्य की मदद से पूरे शहर में सीवर लाइन, 50 हजार प्रधानमंत्री आवास व एक लाख शौचालय बने हैं।
सीट को लेकर रणनीति
- कांग्रेस : पायलट ने पिछले कुछ समय से जो सक्रियता दिखाई, उससे जाहिर है कि क्षेत्रवासियों में अपनी लोकप्रियता को भुनाना चाहते हैं।
- भाजपा : मेहता इसे अपना श्रेय समझते हैं कि उन्होंने आखिरकार कांग्रेस के स्टार पायलट को गांव-घरों तक पहुंचाकर प्रचार में जुटा दिया है।
- सीट का ट्रेंड : मुस्लिम बहुल सीट, पर भाजपा-कांग्रेस को बारी-बारी से मौका। भाजपा के अजीत 2013 में जीते, 2018 में टिकट कटा। पिछली बार पायलट ने भाजपा के यूनुस खान को 54 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। यह सीट 2008 में कांग्रेस व 2003 में भाजपा के पाले में गई थी। 2013 में अजीत 30 हजार वोटों से जीते थे।