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स्वामी विवेकानंद के उपदेश आज भी प्रासंगिक – डाॅ दयाशंकर जांगिड


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स्वामी विवेकानंद के उपदेश आज भी प्रासंगिक – डाॅ दयाशंकर जांगिड

स्वामी विवेकानंद के उपदेश आज भी प्रासंगिक - डाॅ दयाशंकर जांगिड

जनमानस शेखावाटी संवाददाता :  रविन्द्र पारीक

नवलगढ़ : आज देश के प्रसिद्ध संत स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर एस.एन शिक्षण संस्थान व अलायंस क्लब द्वारा हर वर्ष की भांति एस.एन बी.एड काॅलेज में स्थित उनकी मूर्ति पर दीप प्रज्वलन कर पुष्पांजलि देकर श्रदांजलि दी गई। इस अवसर पर पूर्व अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ दयाशंकर जांगिड ने बताया कि स्वामीजी के उपदेश आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होने युवाओं को संदेश दिया था कि अपने आपको कमजोर समझना पाप है भय मुक्त रहे व हीरो की भांति रहे। आपने युवाओं से कहा उठो जागो लगे रहो जब तक काम पूरा ना हो जाये। आपने बताया कि दुर्भाग्य से स्वामी जी के 31 रोग थे जिनमें मुख्य मधुमेह पित की थैली में पथरी अनिद्रा तथा हदय रोग थे। वे तीसरे हार्ट अटैक से दिमाग की नस फटने की वजह से मृत्यु को प्राप्त हुये। उनको मृत्यु का आभास हो गया था। वे अपने शिष्यों से कहते थे कि मै 40 साल से ज्यादा नहीं जिउंगा। मृत्यु के अंतिम दिन रात को 7 बजे वे अपने कमरे में चले गये और शिष्यो से कहा कि वे उनको व्यवधान नहीं पहुंचाये। रात्रि को 9.30 बजे घ्यान करते करते 39 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया। एस एन शिक्षण संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी डाॅ देवकीनंदन शर्मा ने बताया कि स्वामीजी का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनका देहांत 1902 में हो गया। उनका खेतड़ी के राजा अजीतसिंह से धनिष्ठ संबन्ध था। खेतड़ी दिवंगत नरेश अजीतसिंह जी ने उनका नाम नरेन्द्र से स्वामी विवेकानंद रखा। उनकी वेशभूषा भी राजा अजीतसिंह जी ने ही बनवाई जिसमें वे हमेशा नजर आते है। स्वामी विवेकानंद जी को शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन मे जाना था। स्वामी जी के पास कोई अर्थ का जरिया नहीं था। अजीतसिंह जी ने उनके जाने की व्यवस्था करवाई। शिकागो मे उनको बोलने का भी समय नहीं दिया गया था लेकिन किसी प्रकार अमेरिका के एक सहयोगी ने उनको पांच मिनट का समय दिया गया। स्वामीजी ने अपने उदबोधन से भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म से दुनिया को परिचय करवाया। वे काफी समय तक बोले। सभी लोग आश्चर्य चकित हो गये। स्वामी जी का डंका पूरी दुनिया मे बजने लगा। स्वामी के घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। अजीतसिंहजी उनके परिवार को भी आर्थिक सहयोग देते थे। खेतड़ी में वे तीन बार आये। 109 दिवस उन्होने प्रवास किया। अपने गुरू से व्याकरण की शिक्षा भी ली। खेतड़ी मे उनके नाम से सरकार ने संग्रहालय बना रखा है। प्रतिवर्ष उनकी याद मे कार्यक्रम होते रहते है। अलायंस क्लब नवलगढ द्वारा युवा दिवस 2020 उनकी एक भव्य मूर्ति मुस्लिम समाज के मकबूल सैयदन को प्रेरित कर लगवाई गई। साम्प्रदायिक सौहार्द का एक प्रेरणाप्रद कार्य संपादित हुआ। स्वामीजी युवाओ के प्रेरणा स्रोत रहे। इस अवसर पर जगदीश प्रसाद जांिगड व मुरली मनोहर चोबदार ने उनके जीवन पर अपने विचार प्रकट किये। धन्यवाद ज्ञापन एस.एन बी.एड काॅलेज प्राचार्या संतोष पिलानिया ने दिया। कार्यक्रम मे एस.एन स्कूल प्राचार्य नवीन शर्मा स्कूल का स्टाफ बी.एड काॅलेज का स्टाफ व विद्यार्थी सीताराम वर्मा नेमीचंद बद्रीप्रसाद टेलर छितरमल आदि उपस्थित रहे।

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