Rajasthan Poll: गहलोत के सबसे करीबी उनसे दूर क्यों हुए? दाधीच ने नाम क्यों लिया वापस, भाजपा का थामेंगे दामन?
Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनावों में नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जानिए कौन फायदे में रहा और किसको होगा नुकसान। अब किन सीटों पर होगा आमने-सामने का मुकाबला और कहां होगा त्रिकोणीय संघर्ष, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है।

जोधपुर : राजस्थान के विधानसभा चुनाव में गुरुवार दोपहर 3:00 बजे नाम वापसी का समय समाप्त होने के साथ ही चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गई। करीब 50 से ज्यादा सीटों पर बगावती उम्मीदवारों का सामना कर रहे भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को कुछ बड़े बागियों को मनाने में सफलता मिली है। लेकिन, अभी भी कई सीटों पर दोनों ही दलों को बागी प्रत्याशियों का सामना करना पड़ेगा।

नामांकन के बाद नाम वापस लिया
रामेश्वर दाधीच सूरसागर की सीट से कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। पार्टी ने शहजाद खान को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके बाद दाधीच ने बगावत का बिगुल बजा दिया था। उन्होंने चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरा और गुरुवार सुबह नामांकन वापस ले लिया। हालांकि बगावत के दिन से ही दाधीच के भाजपा जॉइन करने की चर्चा थी।

गहलोत के बागी मित्र सूरसागर में हुए बीजेपी के साथ
सूरसागर सीट पर गहलोत के सबसे नजदीकी मित्र माने जाने वाले रामेश्वर दाधीच ने अपना नामांकन भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में वापस ले लिया है। इसी के साथ यह सीट अब हिंदू-मुस्लिम के ध्रुवीकरण में फंस गई है। सूत्रों के मुताबिक दाधीच जयपुर में आज ही बीजेपी ज्वाइन करेंगे।
शाह के फोन के बाद माने राजपाल सिंह बागी
प्रत्याशियों का मनाने के मामले में भाजपा को बड़ी सफलता जयपुर की झोटवाड़ा सीट पर मिली जहां पूर्व मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेहद नजदीकी माने जाने वाले राजपाल सिंह शेखावत ने नामांकन दाखिल कर दिया था। लेकिन, बुधवार रात गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत के बाद गुरुवार सुबह उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। अमित शाह ने प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह को फोन करके राजपाल से बात करने के लिए कहा। अरुण सिंह ने राजपाल को फोन करके बुलाया और समझाया। बुधवार देर शाम राजपाल ने कोर कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह से अमित शाह ने मुझे वादा किया गया है, इस बारे में सोचना जरूरी है। इसके बाद राजपाल सिंह ने नामांकन वापस ले लिया।
जनता को भ्रष्ट कांग्रेस से मुक्ति दिलाना जरूरी
आक्या, यूनुस अभी भी चुनौती