[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

प्रदेश की राजनीति मेंं रहा झुंझुनूं का दबदबा:विधानसभा अध्यक्ष से लेकर प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली, 2008 के दशक में 4 मंत्री के साथ मिली तीन बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

प्रदेश की राजनीति मेंं रहा झुंझुनूं का दबदबा:विधानसभा अध्यक्ष से लेकर प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली, 2008 के दशक में 4 मंत्री के साथ मिली तीन बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां

प्रदेश की राजनीति मेंं रहा झुंझुनूं का दबदबा:विधानसभा अध्यक्ष से लेकर प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली, 2008 के दशक में 4 मंत्री के साथ मिली तीन बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां

झुंझुनूं : प्रदेश की राजनीति में झुंझुनूं का हमेशा से ही दबदबा रहा है। दोनों ही पार्टी ने झुंझुनूं के नेताओं को तरजीह दी है। लेकिन कांग्रेस सरकार में जिले का दबदबा और भी ज्यादा रहा है। 2008 के दशक में राजस्थान सरकार में झुंझुनूं को एक या दो नहीं बल्कि 4 मंत्री पद मिले। वहीं तीन बड़ी राजनीतिक नियुक्तिया दी गई थी। पिछले एक दशक से जिले को कैबिनेट मंत्रियों के ताज मिलता रहा है।

2008 झुंझुनूं की राजनीति का स्वर्णिम काल

राजस्थान में 2008 में गहलोत की सरकार रही। झुंझुनूं की राजनीति के लिए ये स्वर्णिम काल रहा। गहलोत सरकार में झुंझुनूं जिले से बृजेन्द्र सिंह ओला, राजकुमार शर्मा, डॉ जितेन्द्र सिंह, और राजेन्द्र सिंह गुढा मंत्री रहे। इसके अलावा किठाना निवासी रणदीप धनखड़ को आरटीडीसी का चेयरमैन बनाया था। इसी प्रकार नूआं निवासी रिटायर्ड आईजी लियाकत अली खान वक्फ बोर्ड के चेयरमैन बनाए गए थे। नवलगढ निवासी वीरेंद्र पूनिया को सीनियर सिटीजन बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था।

भाजपा सरकार में सिर्फ सुंदरलाल केबिनेट में हुए शामिल

उसके बाद 2013 में भाजपा की सरकार बनी तो जिले को ज्यादा तरजीह नहीं दी गई। एकमात्र नेता काका सुंदरलाल को कैबिनेट में जगह मिली। उन्हें सिर्फ एस सी आयोग अध्यक्ष बनाया गया।

दो मंत्री, दो CM एडवाइजर तथा मदरसा बोर्ड भी मिला

2018 में दोबारा कांग्रेस की सरकार बनी तो दो मंत्री पद मिले। बृजेन्द्र ओला को परिवहन मंत्री तो बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए राजेंद्र गुढ़ा को सैनिक कल्याण मंत्री का दर्जा दिया गया। वहीं नवलगढ़ विधायक राजकुमार शर्मा व खेतड़ी विधायक जितेन्द्र सिंह को सीएम सलाहाकार के रूप में नियुक्ति मिली। इसके अलावा एमड़ी चोपदार को मदरसा बोर्ड का चेयरमैन बनाकर राजनीतिक की बड़ी नियुक्ति दी।

5 बार जीतने के बाद भी श्रवण को नहीं मिली तववजों

प्रदेश में जब भी कांग्रेस की सरकार बनी है तो दो-तीन बार चुनाव जीतने वाले अनुभवी नेता को ही मंत्री पद की कमान सौंपी। लेकिन 5 बार विधायक का चुनाव जीत चुके सूरजगढ़ के पूर्व विधायक श्रवण का सूखा आज तक खत्म नहीं हुआ। श्रवण कुमार की जिले के सबसे दिग्गज नेताओं में गिनती होती है। उन्हें आज तक मंत्री का पद नहीं मिला। श्रवण कुमार 4 बार कांग्रेस से विधायक रहे वहीं एक बार निर्दलीय चुनाव जीते है।

विधानसभा अध्यक्ष से लेकर प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली

झुंझुनूं के नेताआें को प्रदेश राजनीति में बडे बडे पदों पर जिम्मेदारी मिली है। झुंझुनूं जिले की अलग अलग सीटों पर चुनाव लड़कर 9 बार की विधायक रहने वाली सुमित्रा सिंह राजस्थान विधानसभ की पहली महिला अध्यक्ष बनी थी। वहीं राजस्थान के पहले विधानसभा अध्यक्ष नरोत्तम लाल जोशी भी झुंझुनूं के रहने वाले थे। झुंझुनूं सीट से पहला चुनाव इन्होंने ही जीता था। कांग्रेस दिग्गज नेता स्व. रामनारायण चौधरी व डाक्टर चंद्रभान प्रदेशाध्यक्ष रह चुके है।

केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी

झुंझुनूं के नेताआें के प्रदेश की राजनीति के साथ केंद्र में भी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे स्व. शीशराम ओला सेंट्रल मिनिस्टर रह चुके है। 23 मई 2004 से 27 नवम्बर 2004 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए वन सरकार में श्रम एवं रोजगार विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे। 27 नवम्बर 2004 से 22 मई 2009 तक खान विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे। उन्हें 2010 में लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल का उपनेता मनोनीत किया गया था. सितम्बर 2013 में उन्हें पुनः केन्द्रीय मंत्रिमंडल में श्रम व रोजगार मंत्री बने।

Related Articles