हरियाणा का गोरक्षक मोनू मानेसर। दो मुस्लिम युवकों नासिर और जुनैद के मर्डर केस में राजस्थान और हरियाणा पुलिस 8 महीने तक उसे ढूंढती रही, पर वो नहीं मिला। मानेसर में बैठकर इंटरव्यू देता, वीडियो जारी करता, लेकिन पुलिस के हाथ नहीं आता।
32 साल के मोनू पर हरियाणा के नूंह में हिंसा भड़काने का आरोप लगा, तो राजस्थान और हरियाणा के CM ने भी बयान दिए। उसके समर्थन में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और दूसरे हिंदू संगठन आ गए। गांवों में महापंचायतें बैठीं।
हरियाणा के CM मनोहर लाल खट्टर और राजस्थान के CM अशोक गहलोत के ये बयान पढ़िए…
मोनू मानेसर का ये बैकग्राउंड इसलिए बताया, क्योंकि अब सब कुछ बदल चुका है। 12 सितंबर, 2023 को नूंह पुलिस ने मोनू को अरेस्ट कर लिया। उसी दिन राजस्थान पुलिस आई और उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले गई। 50 दिन में मोनू मानेसर को 3 जेलों में शिफ्ट किया जा चुका है।
नूंह दंगों के मामले में एक लाख रुपए के बॉन्ड पर जमानत मिल गई, लेकिन जुनैद-नासिर हत्याकांड में राजस्थान सेशन कोर्ट ने बेल रिजेक्ट कर दी है। इस केस में मोनू मानेसर फरवरी, 2023 से फरार था। उसे अरेस्ट करने की वजह 8 महीने पुराना मर्डर केस नहीं था, बल्कि पुलिस को नूंह दंगों में उसके रोल की जांच करनी थी।
नूंह हिंसा के बाद मोनू मानेसर का वक्त कैसे और कितनी तेजी से बदला, इसे हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के दो बयानों से समझिए।
2 अगस्त, 2023: ‘मैंने मोनू मानेसर की वीडियो देखी है, कहीं पर भी वो दंगा करने के लिए नहीं कह रहा है, वो लोगों को यात्रा में पहुंचने के लिए कह रहा है।’
3 अगस्त, 2023: ‘मोनू मानेसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। करेंगे सख्त से सख्त कार्रवाई। इस केस में भी अगर उसकी कोई भूमिका होगी, तो बख्शा नहीं जाएगा।’
मोनू को राजस्थान के भरतपुर, फिर अजमेर जेल में बंद किया गया, अब वो गुरुग्राम की भोंडसी जेल में है। जुनैद और नासिर मर्डर केस में उसके वकील हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। यही वकील नूंह हिंसा में आरोपी बिट्टू बजरंगी को जमानत दिला चुके हैं। वे मोनू का केस फ्री में लड़ रहे हैं।
मीडिया ने मोनू के वकील एलएन पराशर से जमानत में आ रही अड़चनों और केस के कानूनी पहलुओं पर बात की।
मोनू मानेसर के खिलाफ नूंह दंगा, जुनैद-नासिर मर्डर और पटौदी में आर्म्स एक्ट के तीन मामले चल रहे हैं। उसकी न्यायिक हिरासत अब तक 2 बार बढ़ चुकी है। हत्या और हत्या की कोशिश जैसे दो संगीन मामलों में जमानत नहीं मिल रही है।
हाईकोर्ट में एक महीने बाद भी मोनू की जमानत याचिका दाखिल नहीं हुई है। देरी क्यों हो रही है, इस पर मोनू के वकील एलएन पराशर जल्द ही पिटीशन डालने की बात कहते हैं।
वकील बोले- धर्म का काम मुफ्त में करता हूं, फीस नहीं ले रहा
एडवोकेट एलएन पराशर फरीदाबाद के रहने वाले हैं। हमने उनसे पूछा- मोनू का दंगे भड़काने का केस नूंह का है, वकील तो नूंह का भी हो सकता था, आपको ये केस कैसे मिला? पराशर कहते हैं, ‘बिट्टू बजरंगी की बेल मैंने कराई थी। बिट्टू ने ही मेरा रेफरेंस मोनू को दिया था।’
मोनू का केस लड़ने के लिए आपके पास कौन आया था? पराशर कहते हैं, ‘मोनू की मां, छोटे भाई और अशोक बाबा मेरे पास आए थे।’
नूंह दंगे के दौरान अशोक बाबा का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वो नल्हड़ मंदिर की पीछे वाली दीवार से फायरिंग करते दिखे थे।
पुलिस ने अशोक बाबा से पूछताछ की, तो उन्होंने कहा था, ‘दूसरी तरफ से फायरिंग हो रही थी, इसलिए मैंने मोर्चा संभाला था। मेरे पास लाइसेंसी बंदूक है, उसी से फायरिंग की थी।’
हमने एलएन पराशर से पूछा कि केस लड़ने की फीस कितनी मिल रही है, फीस मोनू का परिवार दे रहा या VHP-बजरंग दल? पराशर ने कहा, ‘मैं धर्म का काम मुफ्त में करता हूं। मोनू के केस की फीस नहीं ले रहा हूं।’
नूंह दंगे में किस आधार पर बेल मिली, बाकी 2 केस कहां अटके
एलएन पराशर बताते हैं, ‘राजस्थान की कामां कोर्ट में हमने बेल के लिए अप्लाय किया था। एक अक्टूबर को याचिका खारिज हो गई। हम जल्द हाईकोर्ट में अप्लाय करेंगे।’
याचिका खारिज हुए एक महीने हो गए हैं, हाईकोर्ट जाने में देरी की कोई खास वजह है क्या? पराशर जवाब देते हैं, ‘डॉक्यूमेंटेशन में लगे थे, अब पूरा हो गया है। जल्द ही याचिका दाखिल करेंगे।’
पराशर कहते हैं, ‘नूंह दंगों में मोनू मानेसर की भूमिका के केस में हमने 16 अक्टूबर को जमानत ले ली है।’
क्या एक से ज्यादा बार बेल के लिए अप्लाय करना पड़ा? पराशर बताते हैं, ‘नहीं, एक बार में ही अपील मंजूर हो गई।’
मोनू मानेसर पर एक केस पटौदी वाला भी है, उसमें बेल के लिए अप्लाय किया क्या? पराशर बताते हैं, ‘राजस्थान के बाद पटौदी मामले में बेल अप्लाय करेंगे।’
नूंह दंगों में किस ग्राउंड पर बेल मिली? पराशर ने जवाब दिया, ‘नूंह दंगों में मोनू मानेसर पर मुख्य रूप से दो धाराएं लगी थीं, पहली अवैध हथियार रखने पर और दूसरी भड़काऊ भाषण देने पर। दंगों की लोकेशन पर मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी दोनों मौजूद नहीं थे। दोनों की लोकेशन मैच ही नहीं हुई। पुलिस ने वैरिफाई भी की।’
लेकिन हथियार तो थे न? इस पर पराशर ने कहा, ‘वो लाइसेंसी थे।’
तो क्या पुलिस ने डेढ़ महीने में ये जांच नहीं की थी? पराशर ने जवाब दिया, ‘रिवॉल्वर का लाइसेंस तो था, लेकिन कुछ वक्त पहले ही कैंसिल हो गया था।’
यानी हथियार अवैध था, पराशर ने कहा, ‘लाइसेंस कैंसिल हुआ था।’
मोनू मानेसर के भड़काऊ भाषण के आरोप का कैसे काउंटर किया?
पराशर कहते हैं, ‘इसमें कोई धारा बनती ही नहीं है। भाषण था- परिणाम की चिंता मत करो। वार एक ही बार होगा, लेकिन अंतिम बार होगा। इसमें किसी समुदाय विशेष या किसी धर्म का जिक्र है ही नहीं।’
मोनू की गिरफ्तारी से पहले सपोर्ट में महापंचायतें, अब सब खामोश
मोनू मानेसर के समर्थन में VHP और बजरंग दल ने प्रदर्शन किए थे, मानेसर में महापंचायत भी हुई। मोनू के राजस्थान पुलिस की कस्टडी में जाने के दूसरे दिन ही VHP के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा था, ‘हम मोनू और उनके परिवार के साथ हैं। हर संभव मदद करेंगे। फिलहाल 8 लोगों की टीम बनाई गई है, जो राजस्थान जाकर मामले की छानबीन करेगी।’
इससे पहले 4 अक्टूबर 2023 को मानेसर के भीष्म मंदिर में हिंदूवादी संगठनों ने VHP और बजरंग दल के साथ मिलकर महापंचायत भी की थी। उसके बाद से मोनू मानेसर को लेकर न कोई बयान आया और न ही कोई पंचायत हुई।
VHP ने कहा, चुनावी राजनीति में बलि का बकरा बना मोनू
मीडिया ने VHP के प्रवक्ता विनोद बंसल से मोनू मानेसर के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग लगातार गोरक्षकों को फंसाने में लगे हैं। खासतौर पर इस्लामिक ताकतें, जिहादी फोर्स और गोतस्कर। दूसरे धड़े के गोभक्षी और कांग्रेसी भी इसी कोशिश में हैं। राजस्थान पुलिस के अधिकारी ने खुद कहा था कि इस मामले में मोनू मानेसर शामिल नहीं है।’
विनोद बंसल ने कहा, ‘चार्जशीट में भी मोनू का नाम नहीं है। उम्मीद है कि वे बेगुनाह होकर निकलेंगे। गोतस्करों को समझ लेना चाहिए कि आप जितने ही आरोप लगाओ, गोरक्षक अपना काम नहीं भूल सकता।’
VHP के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने मोनू की मदद के लिए टीम बनाने की बात कही थी, टीम का क्या मकसद था? इसके जवाब में विनोद बंसल कहते हैं, ‘मदद का सीधा मतलब कानूनी मदद है। टीम बनाने का मकसद था कि राजस्थान पुलिस ने आखिर इतने महीने बाद मोनू को क्यों गिरफ्तार किया, इसकी तह का पता लगाएं।’
‘जुनैद-नासिर हत्याकांड में शामिल लोगों को तो पुलिस अब तक पकड़ नहीं पाई। अपनी खीझ मिटाने और धर्म की पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाने के लिए ये सब किया गया है। मोनू मानेसर को तो बलि का बकरा बनाया गया है।’
VHP और बजरंग दल की टीम राजस्थान गई थी, उसकी पड़ताल में क्या मिला? विनोद बताते हैं, ‘उस टीम की स्पेसिफिक जानकारी मेरे पास नहीं है। टीम को पता लगाना था कि राजस्थान में मर्डर के मामले में मोनू को क्यों फ्रेम किया गया। उनके पास सबूत क्या है, इतने महीने बाद राजस्थान पुलिस क्यों जागी?’
‘पहले राजस्थान पुलिस के IG ने बयान दिया कि मोनू मानेसर इस केस में शामिल नहीं है। चार्जशीट में भी मोनू का नाम प्राथमिकता से नहीं था। बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। ये चेक और बैलेंस के लिए किया गया। कांग्रेस की ये नीति तो इंदिरा के समय से रही है, अगर 6 मुस्लिम गिरफ्तार करो तो 4 हिंदू भी पकड़ो।’
अशोक बाबा ने कहा- जब से मोनू जेल में, तब से गोतस्करों के हौसले बुलंद
नूंह दंगों के दौरान फायरिंग करते दिखे अशोक बाबा खुद भी वकील हैं। मोनू के केस में एक्टिव हैं। उन्होंने ही मोनू का केस एडवोकेट एलएन पराशर को सौंपा था। अशोक कहते हैं, ‘मोनू न दंगों में दोषी है और न राजस्थान केस में, उसे केवल फंसाया गया है।’
अशोक ने कहा, ‘मेरा सवाल है, 8 महीने तक पुलिस क्या करती रही? पुलिस को जिसे गिरफ्तार करना होता है, तो 100 तरीके होते हैं, वर्ना न पकड़ने के बहाने भी उतने ही होते हैं। राजस्थान पुलिस को मोनू को अरेस्ट करना होता तो पहले ही कर चुकी होती। अब अचानक अरेस्ट कर लिया। ये सब पॉलिटिकल मामला है।’
बोलेरो में जली हालत में मिले थे जुनैद और नासिर के शव
16 फरवरी 2023 को बोलेरो में जले हुए दो शव मिले थे। इनकी पहचान नासिर और जुनैद के तौर पर हुई थी। दोनों राजस्थान के भरतपुर के घाटमिका गांव के रहने वाले थे। आरोप है कि गोतस्करी के शक में उनकी हत्या की गई थी।
14 अगस्त 2023 को राजस्थान के DGP उमेश मिश्र ने कहा था, ‘इस घटना में मोनू मानेसर का सीधा हाथ नहीं है। पर्दे के पीछे उसकी भूमिका थी या नहीं, इसका पता लगाने की कोशिश चल रही है।’
इसके एक महीने के अंदर नूंह पुलिस ने मोनू को पकड़ा तो राजस्थान पुलिस ने उसे मर्डर केस में ट्रांजिट रिमांड पर ले लिया।
भरतपुर, अजमेर, फिर भोंडसी जेल लाया गया मोनू
मोनू मानेसर को नूंह पुलिस ने अरेस्ट किया, फिर राजस्थान पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। 12 से 22 सितंबर तक वो राजस्थान की भरतपुर जेल में बंद था। उसके बाद गुपचुप तरीके से 22 सितंबर को अजमेर जेल में शिफ्ट कर दिया गया। पुलिस प्रशासन ने इसकी वजह मोनू की सुरक्षा को बताया।
11 अक्टूबर को उसे पटौदी केस के सिलसिले में हरियाणा पुलिस ने रिमांड पर लिया। उसके बाद से मोनू को गुरुग्राम की भोंडसी जेल में रखा गया है। मीडिया ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों से भी बात की, लेकिन उन्होंने केस पर कोई बयान नहीं दिया।