Old pension: पुरानी पेंशन पर सियासी चोट के डैमेज कंट्रोल को भांप रहे कर्मचारी, ‘ओपीएस’ से परे कुछ मंजूर नहीं
पुरानी पेंशन पर केंद्र एवं राज्यों के सरकारी कर्मियों की एक समान राय है। 10 अगस्त को नई दिल्ली के रामलीला मैदान केंद्रीय कर्मियों ने एक विशाल रैली आयोजित की थी। इसमें राज्य सरकार के कर्मियों ने भी हिस्सा लिया था।

‘पुरानी पेंशन’ के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठनों को अब विपक्ष की तरफ से भरपूर समर्थन मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी ने पुरानी पेंशन का वादा कर सत्ता में वापसी कर ली है। अब जहां भी चुनाव हो रहा है, वहीं पर कांग्रेस ने ओपीएस बहाली के मुद्दे को अपने घोषणा पत्र या वचन पत्र में शामिल कर लिया है।
दिल्ली के रामलीला मैदान में ओपीएस बहाली की मांग के लिए हुई सरकारी कर्मियों की दो रैलियों ने केंद्र सरकार को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। अब ओपीएस पर संभावित सियासी नुकसान से बचने के लिए ‘डैमेज कंट्रोल’ की तैयारी हो रही है। सरकार, एनपीएस में ही ओपीएस जैसे कुछ प्रावधानों को शामिल कर सकती है। रिटायरमेंट पर मिली बेसिक सैलेरी का, एनपीएस में 40 से 45 फीसदी भुगतान बतौर पेंशन देने पर विचार हो रहा है। दूसरी तरफ कर्मचारी संगठनों का कहना है कि ये बातें केवल ‘ओपीएस’ से ध्यान भटकाने का प्रयास है। उन्हें बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
ओपीएस पर अब हो रही तीसरी रैली की तैयारी
पुरानी पेंशन पर केंद्र एवं राज्यों के सरकारी कर्मियों की एक समान राय है। 10 अगस्त को नई दिल्ली के रामलीला मैदान केंद्रीय कर्मियों ने एक विशाल रैली आयोजित की थी। इसमें राज्य सरकार के कर्मियों ने भी हिस्सा लिया था। कर्मचारियों ने बिना गारंटी वाली एनपीएस योजना को खत्म कर, ओपीएस को उसके मूल रूप में लागू करने की मांग की थी। इस रैली के बाद यह तय हो गया था कि कर्मचारी संगठन, ‘पुरानी पेंशन’ पर निर्णायक लड़ाई की ओर बढ़ रहे हैं।