OPS: दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में जुटे 20 राज्यों के सरकारी कर्मचारी, जानें क्या है उनकी मांगें?
Protest Against New Pension Scheme: दिल्ली के रामलीला मैदान में जारी महारैली में प्रदर्शनकारियों ने नई पेंशन योजना का विरोध करते हुए कहा कि वे सेवानिवृत्ति के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) को लेकर अलग-अलग दलों के बीच सियासी खींचतान के बीच दिल्ली के रामलीला मैदान (Ramlila maidan) में भारी संख्या में देशभर के सरकार कर्मचारी (Government Employee) जुटे हैं, लेकिन यह मसला अभी सुर्खियों में कम है. दरअसल, पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को बहाल करने की मांग को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के हजारों कर्मचारी यहां रामलीला मैदान में एकत्र हुए हैं. कई विपक्षी दलों ने प्रदर्शनकारियों के प्रति अपना समर्थन जताया है.
सरकारी कर्मचारियों की महारैली में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके कांग्रेस सहयोगियों अरविंदर सिंह लवली, संदीप दीक्षित और उदित राज के अलावा बहुजन समाज पार्टी के सांसद श्याम सिंह यादव तथा किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए. विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकारी कर्मचारियों की मांग का खुला समर्थन किया है.
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रामलीला मैदान के आसपास रहने वाले दुकानदारों ने बताया कि उन्होंने अपनी उम्र में रामलीला मैदान में इतनी बड़ी भीड़ नहीं देखी थी! रामलीला मैदान में भीड़ का अब तक का सारा रिकार्ड आज टूट गया! #पेंशन_शंखनाद_महारैली… pic.twitter.com/Z3nsJvBPxn
— बेसिक शिक्षा: सूचना और सामग्री (@TrAhmad_SIR) October 1, 2023
2004 के बाद से OPS का नहीं मिल रहा लाभ
दिल्ली के रामलीला मैदान में जारी ओल्ड पेंशन शंखनाद महारैली में प्रदर्शनकारियों ने नई पेंशन योजना (News Pension Scheme) का विरोध करते हुए कहा कि वे सेवानिवृत्ति के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम ज्वाइंट फोरम फॉर रेस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम और नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के बैनर तले पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग के लिए यह महारैली आयोजित कर रहे हैं. ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक एवं महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, ‘जो कर्मचारी एक जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए हैं, वे नई पेंशन योजना का कड़ा विरोध कर रहे हैं. कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें पुरानी पेंशन योजना से वंचित कर दिया गया है और नई पेंशन योजना में शामिल होने को मजबूर किया गया है.
रामलीला मैदान में जुटे 20 राज्यों के सरकारी कर्मचारी
महारैली के आयोजकों ने दावा किया कि रैली में 20 राज्यों के सरकारी कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जो पार्टी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का वादा करेगी उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्ता में लाना चाहिए. हाथों में तख्तियां और झंडे लिए प्रदर्शनकारियों ने ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और ‘कर्मचारी एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाए. ‘नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम’ ( एनएमओपीएस) के नेता विजय कुमार बंधु ने पीटीआई वीडियो सेवा से कहा, ‘‘हमने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को वापस लाने का आह्वान किया था और हम अपने संघर्ष से कई राज्यों में ओपीएस को सफलतापूर्वक वापस लाने में कामयाब रहे हैं.’’
रामलीला मैदान से AAP ने उठाया बड़ा सवाल
दिल्ली के रामलीला मैदान में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर देशभर के सरकारी कर्मचारियों का शक्ति प्रदर्शन. जहां आप नेता संजय सिंह ने देश के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. उन्होंने कहा कि अगर 40 दिन विधायक सांसद रहने वालो को जिंदगीभर पेंशन मिलती है तो 40 साल काम करने वाले कर्मचारियों को पेंशन क्यों नहीं दी जा रही.
संजय सिंह ने किया सरकारी कर्मचारियों को संबोधित
आज दिल्ली के रामलीला मैदान में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सरकारी कर्मचारियां का स्वागत किया. उन्होंने मंच से उनका अभिवादन किया और उन्हें पूरा समर्थन देने की बात कही. आप सांसद संजय सिंह के साथ मंच पर किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी दिखाई दिए. उन्होंने भी सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन किया. संजय सिंह ने कहा कि, देश के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. 40 दिन विधायक सांसद रहने वाले को पूरी ज़िंदगी पेंशन, तो 40 साल काम करने वाले कर्मचारी को पेंशन क्यों नहीं? अरविंद केजरीवाल का नारा है ‘जहां AAP का शासन वहां पुरानी पेंशन.’
देश के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला।
40 दिन विधायक सांसद रहने वाले को पूरी ज़िंदगी पेंशन।
तो 40 साल काम करने वाले कर्मचारी को पेंशन क्यों नही?@ArvindKejriwal का नारा है “जहाँ AAP का शासन वहाँ पुरानी पेंशन” pic.twitter.com/kVoQ2xHaMI— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) October 1, 2023
5 राज्यों में लागू है OPS
बता दें, नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़े संगठन इस रैली में शामिल हुए हैं. वहीं दिल्ली पुलिस ने मैदान में टेंट लगाने की अनुमति नहीं दी है बावजूद इसके कर्मचारियों की भारी संख्या रैली में हिस्सा लेने पहुंची है. 2024 के लोकसभा चुनाव में जातिगत जनगणना और पुरानी पेंशन योजना की मांग प्रमुख मुद्दा बन चुका है. लाखों की संख्या में मौजूद किसान, कर्मचारी मोदी सरकार के ओल्ड पेंशन स्कीम के बहाली की मांग कर रही हैं. इस समय देश के 5 राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम लागू है जिसमें कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़ व हिमाचल और महागठबंधन सरकार झारखंड शामिल है. वहीं 2022 में पंजाब में भी OPS लागू है.
केंद्र में बनी हमारी सरकार तो ओपीएस करेंगे लागू
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी टीम का मानना था कि अगर केंद्र सरकार ओपीएस की पुष्टि करती है, तो जिम्मेदारी राज्य सरकार पर नहीं होगी. यही कारण है कि हम दिल्ली के रामलीला मैदान में विरोध जताने के लिए आए हैं. कांग्रेस शासित राज्यों ने ओपीएस बहाल कर दिया है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य पार्टी नेताओं ने कहा कि जैसे ही केंद्र में उनकी सरकार बनेगी, वह पूरे देश में ओपीएस लागू करेंगे. रैली में जहां टिकैत ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि किसान उनके साथ हैं, वहीं संजय सिंह ने कहा कि उन्होंने हमेशा संसद में पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा उठाया है. उदित राज ने कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आयी तो पहले ही दिन पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी जाएगी.
ओल्ड पेंशन स्कीम को इस तरह समझें
केंद्र सरकार और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के बीच लंबे समय से नई और पुरानी पेंशन स्कीम (New And Old Pension) को लेकर टकराव जारी है. इस खींचतान के बीच एक बार फिर से OPS की मांग को लेकर प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. हालांकि, सरकार पुरानी पेंशन स्कीम बहाली के पक्ष में नहीं है. सबसे पहले बात कर लेते हैं कि आखिर ये Old Pension Scheme (OPS) है क्या? तो बता दें कि ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी को अनिवार्य पेंशन का अधिकार मिलता है. ये रिटायरमेंट के समय मिलने वाले मूल वेतन का 50 फीसदी होता है. यानी कर्मचारी जितनी बेसिक पे पर अपनी नौकरी पूरी करके रिटायर होता है, उसका आधा हिस्सा उसे पेंशन के रूप में दे दिया जाता हैं..
Old Pension Scheme में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को वर्किंग एंप्लाई की तरह लगातार महंगाई भत्ता समेत अन्य भत्तों का लाभ भी मिलता है, मतलब अगर सरकार किसी भत्ते में इजाफा करती है, तो फिर इसके मुताबिक पेंशन में बढ़ोतरी देखने को मिलती है.
न्यू पेंशन स्कीम से कितना अलग OPS?
न्यू पेंशन स्कीम को साल 2004 में लागू किया गया था और इसके दायरे में वे सरकारी कर्मचारी आते हैं जिनकी नियुक्ति 2004 के बाद हुई है. पुरानी और नई पेंशन स्कीम में जहां काफी अंतर है, तो दोनों के कुछ फायदे और नुकसान भी हैं. इनमें सबसे बड़ा अंतर ये है कि OPS के तहत पेंशन की रकम का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है और इस स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से किसी तरह का कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है. वहीं NPS के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है. नई पेंशन स्कीम में GPF की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि पुरानी पेंशन स्कीम में ये सुविधा कर्मचारियों को मिलती है. नई पेंशन स्कीम शेयर बाजार (Stock Market) पर आधारित है, तो इसमें लॉन्ग टर्म में रिटर्न बेहतर मिलने की संभावना रहती है, हालांकि, कम रिटर्न की स्थिति में फंड घटने की आशंका भी बनी रहती है..
सरकारी खजाने पर बोझ का कैलकुलेशन
सरकार की ओर से कहा जाता रहा है कि ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ाने का काम करती है. इसे लेकर बीते सितंबर महीने में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें इस बोझ के बारे में आंकड़ों के साथ जानकारी दी गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने से राजकोषीय संसाधनों पर ज्यादा दबाव पड़ेगा और राज्यों की सेविंग प्रभावित होगी. आरबीआई की मानें तो उसकी स्टडी में सामने आया है कि ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से अपनाने पर छोटी अवधि में राज्यों के पेंशन खर्च में कमी जरूर आएगी, लेकिन भविष्य में अनफंडेड पेंशन देनदारियों में बड़ा इजाफा देखने को मिलेगा. OPS के कारण बढ़ने वाला पेंशन बोझ 2030 तक राज्यों के NPS में दिए जाने वाले योगदान से ज्यादा होगा.
राज्यों की वित्तीय हालत पर असर
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की इस स्टडी रिपोर्ट में बताया गया कि Old Pension Scheme को अपनाने के बाद पेंशन पर होने वाला खर्च New Pension Scheme के तहत अनुमानित पेंशन खर्च का करीब 4.5 गुना बढ़ जाएगा. इसके कारण सरकारी खजाने पर पड़ने वाला बोझ भी बढ़कर 2060 तक जीडीपी का 0.9 फीसदी तक पहुंच सकता है. केंद्रीय बैंक के मुताबिक, ओपीएस को बहाल करने से राज्यों की वित्तीय हालत पर भी असर होगा और ये खराब हो सकती है.