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डोटासरा और सरकार का प्रचार देख रहे अरोड़ा में विवाद:प्रदेशाध्यक्ष बोले- वो सोचें कि सरकार उसकी मेहरबानी से टिकी है तो CM बन जाते


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डोटासरा और सरकार का प्रचार देख रहे अरोड़ा में विवाद:प्रदेशाध्यक्ष बोले- वो सोचें कि सरकार उसकी मेहरबानी से टिकी है तो CM बन जाते

डोटासरा और सरकार का प्रचार देख रहे अरोड़ा में विवाद:प्रदेशाध्यक्ष बोले- वो सोचें कि सरकार उसकी मेहरबानी से टिकी है तो CM बन जाते

जयपुर : सरकार की स्ट्रेटजी, कैम्पेन आदि देख रही एजेंसी डिजाइन बॉक्स्ड के फाउंडर नरेश अरोड़ा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बीच प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की मौजूदगी में विवाद हो गया है। दोनों के बीच जमकर बहस हुई। यह घटना 23 सितंबर को राहुल गांधी की सभा से एक दिन पहले हुई थी। दोनों के बीच हुई यह टकराहट चर्चा में है।

मीडिया: डिजाइन बॉक्स्ड के नरेश अरोड़ा के साथ आपकी बहस किस बात पर हुई?

डोटासरा: स्ट्रेटजिस्ट सोचें कि सरकार संगठन उसकी मेहरबानी से टिके हैं तो वे खुद ही सरकार बना कर मुख्यमंत्री न बन जाते। कैम्पेन क्या होगा, नारा क्या होगा, यह तो बताना पड़ेगा ना।

सवाल: डिजाइन बॉक्स्ड के फाउंडर नरेश अरोड़ा के साथ हुई बहस के मूल में क्या था?

डोटासरा: पार्टी चुनाव में जाएगी तो पता होना चाहिए ना कि क्या कैम्पेन होगा, क्या नारा होगा। यही सवाल पूछा था। कोई न कोई तो सवाल पूछेगा कि नहीं? खरगे जी थोड़ी आएंगे पूछने, हमारी जिम्मेदारी है। पार्टी ने विश्वास किया है। इन्वेस्ट किया है। कोई दायित्व है कि नहीं? पार्टी और संगठन की बात आएगी तो रखनी पड़ेगी ना मुझे कि क्या करना है क्या नहीं करना है ? हम न इसके हैं, न उसके हैं, पार्टी के हैं। राहुलजी ने पार्टी का अध्यक्ष बनाया है तो ड्यूटी बनती है ना मेरी।

सवाल: यानी डिजाइन बॉक्स्ड जो कैम्पेन डिजाइन कर रहा है उसमें । उक्त चीजें नहीं हैं?

डोटासरा: आपने होर्डिंग देखे हैं ना। अशोक जी अच्छा काम कर रहे हैं। इसमें किसी को संदेह नहीं है। हम कॉम्प्लीमेंट करते ही हैं। मैं तो पहला अध्यक्ष हूं जो सरकार के कामों की इतनी बढ़ाई करता है। हर आयोजन में शामिल होता है, लेकिन अब चुनाव का समय आ गया है ना। सरकार के काम बताने हैं लेकिन संगठन कोई दूसरा आदमी थोड़ी देखेगा, हम ही तो देखेंगे।

सवाल: सीएम गहलोत आपसे मिलने भी आए।

डोटासरा: नहीं वह मेरा स्वास्थ्य पूछने आए थे। वर्षों से मुझे एलर्जी की दिक्कत है, ज्यादा जोर से बोलने से गला छिल जाता है।

सवाल: अच्छा तो आपने अरोड़ा के सामने जोर से बोला और आपको एलर्जी हो गई?

डोटासरा: नहीं नहीं लक्ष्मणगढ़ में मेरी सभा थी फिर राहुलजी खड़गे जी का कार्यक्रम वहां भाषण दिया था।

सवाल: आजकल राजनीतिक दल और नेता पॉलिटिकल स्ट्रेटजिस्ट रखते ही हैं और वे प्रोफेशनल तरीके से अपना काम करते हैं। इसमें किसी को क्या दिक्कत होनी चाहिए?

डोटासरा: अच्छी बात है लेकिन कोई ऐसा व्यक्ति यह सोचे की उसकी मेहरबानी से सरकार और पार्टी खड़ी है तो यह उसकी गलतफहमी है। हम सब जो कुछ हैं वह कार्यकर्ता की मेहनत के कारण हैं। ऐसे किसी स्ट्रेटजिस्ट की मेहनत से सरकारें आती तो ये खुद पार्टी बना कर मुख्यमंत्री न बन जाते।

सवाल: बात सामने आई कि आपकी, रंधावा की और अरोड़ा की मीटिंग में बहस काफी हल्के स्तर पर उतर आई। क्या इसकी रिपोर्ट आलाकमान को भेजी गई है?

डोटासरा: रंधावा जी के सामने बात हुई है। रिपोर्ट वगैरह वही जानें।

सवाल: इस पूरी घटना पर सीएम गहलोत की क्या प्रतिक्रिया रही?

डोटासरा: यह मेरी जानकारी में नहीं लेकिन जो इस सोच का आदमी हो जिसे पार्टी पर थोड़ा बहुत भी भरोसा नहीं है, उससे हम सबको चिंतित होना ही चाहिए।

सवाल: तो आगे का कैम्पेन और डिजाइन बॉक्स्ड का आगे का कॉन्ट्रेक्ट फाइनल हुआ या नहीं?

डोटासरा: यह तो एआईसीसी का काम है।

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