देर रात तक जमा कवि सम्मेलन का रंग:कवि बोले गुगल से ज्यादा गुरु पर भरोसा, मोबाइल सुविधा है समस्या मत बनाओ
देर रात तक जमा कवि सम्मेलन का रंग:कवि बोले गुगल से ज्यादा गुरु पर भरोसा, मोबाइल सुविधा है समस्या मत बनाओ

जोधपुर : जोधपुर में नवनिर्मित मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर सभागार में तीन दिवसीय संस्कृति उत्सव की शुरुआत शनिवार को कवि सम्मेलन व मुशायरे के साथ हुई। पहले दिन प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. संपत सरल जयपुर, शायर शीन काफ निजाम जोधपुर, शायर डॉ. लोकेश कुमार सिंह साहिल, हास्य व्यंग्य के कवि दिनेश बावरा मुंबई, कवित्री मुमताज नसीम गाजियाबाद, गीतकार किशन दाधीच उदयपुर, राजस्थानी हास्य कवि राजकुमार बादल ने अपनी काव्य रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं से तालियां बटोरी।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों ने दीप प्रज्वलन के साथ की। इसमें राज्य मानव अधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस जीके व्यास, मेला प्राधिकरण चेयरमैन रमेश बोराणा, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी अध्यक्ष बिनाका जैश मालू, बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल, केंद्र निदेशक सुपारस भंडारी शामिल हुए। इसके बाद मुमताज ने सरस्वती वंदना के साथ शुरुआत की।
पहली प्रस्तुति राजकुमार बादल ने दी। इस दौरान उन्होंने भारतीय और राजस्थानी संस्कृति से जुड़ी कविता भी सुनाई। कविता के माध्यम से संस्कारों की बात भी कही। इसका प्रभाव गर्भ में पड़ रहे बच्चे पर पड़ता है। रिश्ते टूटने के पीछे सबसे बड़ी समस्या एंड्रॉयड मोबाइल है। मोबाइल सुविधा है इसे समस्या मत बनाओ। उन्होंने फेरा खाने की जरूरत पर अपना गीत सुनाया।
इंग्लिश का नेट, हिंदी में जाल
कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे मुंबई से आए दिनेश बावरा ने कई हास्य व्यंग सुनाए। कहा इसने हमारा संस्कार छीना है। इसने घर में एक साथ बैठकर बतियाने वाला परिवार छीना है। इसने छीना है नई किताब की गंध को, घूंघट को, इसने आपके जीवन जीने का आधार छीना है।
आज के जमाने पर कहा दुनिया तूने कुछ अजीब सा छीना है आज हमें गुरु से ज्यादा गुगल पर भरोसा है। पहले गुरु का जो मान सम्मान था वो आज हम भूल गए हैं।

ये भी एक कमाल है जो इंग्लिश में नेट है हिंदी में वो जाल हैं। उन्होंने कहा नेट के जाल से बचकर अपनों के साथ भी समय बिताए। यदि आप खुद को चाहते हैं बचाना तो इस दुनिया से थोड़ा दूर है जाना। अपने हौंसले को बुलंद करना सीखिए
मोबाइल चलाना तो सीख लिया अब बंद करना सीखिए।
मधुमेह नही मधुमास हो
देश के लोगों में बढ़ती मधुमेह की बीमारी को लेकर कहा देश में मधुमास होना चाहिए। लोगों के दिलों, जुबान में मिठास होनी चाहिए। दहेज को लेकर व्यंग में कहा बीमारी होने पर बड़े तो परहेज से मरते हैं, हम गरीब लोग हैं बेटी होने पर दहेज से मरते हैं।
संपत सरल ने देश की राजनीति पर व्यंग सुनाए तो उपस्थित लोगों ने जमकर ठहाके लगाए।
उन्होंने कहा निजीकरण और लोकतंत्र साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा आज डर और सपने बेचे जा रहे है। टीवी देखने से बचने की सलाह दी। सोशल मीडिया की दुनिया से बाहर निकलकर प्रेम से रहने का बात हास्य के माध्यम से कही। उन्होंने कई राजनीतिक व्यंग किए। पुराने समय के विरोधाभास को लेकर सुनाते हुए कहा पहले मोबाइल और लैंडलाइन नहीं था। झूठ सामने सामने आने पर ही बोला जाता था।

कवि किशन दाधीच ने एक बूंद पानी है, एक रेत की जवानी हैं सुनाकर इसका अर्थ बताया। कहा इस रेत की महिमा ऐसी है की यदि आप इसका तिलक सिर पर लगा दें तो ये अपना प्राण न्यौछावर कर देती है। यदि ये बिफर जाए तो पहाड़ को ढक देती है। इसलिए इस देश की राजनीति करने वालों को यही सीख है की आप इस रेत से न खेलें। इसे मस्तक पर लगाओ आदर दो तो आपको बहुत सम्मान देंगी।

डॉ. लोकेश कुमार सिंह साहिल ने कृष्ण के बारे में बताया सीख देती हुई गोपिका कृष्ण है, जल में डूबी हुई द्वारिका कृष्ण है, एक ग्वाले की बंशी जा जादू है, ये रुक्मणि कृष्ण है, राधिका कृष्ण है, एक ग्वाला हुआ हर कला में निपुण, रण से भागे वो चोर भी कृष्ण है सुनाया।
मुमताज नसीम ने तेरा मफलर जब से मिला अपना दुपट्टा भूल गई, तूने जब आवाज लगाई, दरवाजे पर आ पहुंची, इतनी में बेताब हुई, परदा वरदा भूल गई
ऐ अजीजों मुझे तुमसे कुछ शिकायत भी नहीं
और सच पूछो तो अब इसकी जरूरत नहीं
सुनाया।
अंत में अध्यक्षता कर रहे शायर शीन काफ निजाम ने सुनाया। उन्होंने हर्फ एक तुम भी हो, हर्फ एक में भी हूं, लफ्ज़ क्यों ने हो जाए सुनाया तो ऑडियंस की तालियों से सेंटर गूंज उठा।