बीकानेर जा सकता है झुंझुनूं का सेना भर्ती कार्यालय
Jhunjhunu Army recruiting office will go to Bikaner : भर्ती कार्यालय 1962 में भारत-चाइना के बीच हुई लड़ाई के वक्त से चल रहा है। उस वक्त इसकी जिम्मेदारी एक जेसीओ रैंक के आफिसर के पास थी। बाद में एक जून 1969 को इसे शाखा भर्ती कार्यालय (बीआरओ) के रूप में स्थापित कर इसकी कमान लेफ्टिनेंट कर्नल को संभलाई। वर्ष 2006 में इसे शाखा भर्ती कार्यालय से सेना भर्ती दफ्तर (एआरओ) बना दिया गया था।

झुंझुनूं. Jhunjhunu Army recruiting office will go to Bikaner : वीरों की भूमि झुंझुनूं में गुढ़ा रोड पर संचालित सेना भर्ती दफ्तर (एआरओ) को बीकानेर शिफ्ट करने की कवायद चल रही है। इस संबंध में डॉयरेक्टर रिक्रुटिंग की ओर से पिछले दिनों जिला कलक्टर को पत्र लिखा गया था। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी को भी पत्र की प्रति देकर इस संबंध राय मांगी गई है। मामले में सभी के अपने-अपने तर्क हैं। एक सुझाव यह भी दिया गया है कि राज्य में अब पचास जिले हो चुके हैं। ऐसे में बीकानेर में नया भर्ती कार्यालय खोला जा सकता है। उधर सेना भर्ती कार्यालय की शिफ्टिंग की कवायद पर पूर्व सैनिकों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि सेना भर्ती कार्यालय के शिफ्ट हो जाने से नई भर्ती वाले नौजवानों, सैनिकों व उनके परिवारों को कई प्रकार के कामकाज में परेशानी उठानी पड़ेगी।
पंचदेव से 2019 को गुढ़ा रोड पर शिफ्ट हुआ : पहले भर्ती दफ्तर किसान कालोनी में एक भवन में चलता था। आज यहां होमगार्ड कार्यालय चल रहा है। इसके बाद इसे पंचदेव मंदिर के सामने भवन में शिफ्ट कर दिया गया। यहां पर लंबे समय तक बीआरओ और एआरओ के रूप में यह संचालित होता रहा। यहां से इसे शहर के गुढ़ा रोड पर ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक के पास 27 फरवरी 2019 को शिफ्ट कर दिया गया। सेना से जुड़े लोग बताते हैं कि 1962 में चाइना के साथ हुई लड़ाई के दौरान यहां से काफी जवानों को भर्ती किया गया। इसके बाद भी यहां से लगातार सेना भर्ती रैली के जरिए भर्ती का सिलसिला जारी रहा।
भारत-चाइना की लड़ाई के वक्त से चल रहा है दफ्तर : जानकार बताते हैं कि भर्ती कार्यालय 1962 में भारत-चाइना के बीच हुई लड़ाई के वक्त से चल रहा है। उस वक्त इसकी जिम्मेदारी एक जेसीओ रैंक के आफिसर के पास थी। बाद में एक जून 1969 को इसे शाखा भर्ती कार्यालय (बीआरओ) के रूप में स्थापित कर इसकी कमान लेफ्टिनेंट कर्नल को संभलाई। वर्ष 2006 में इसे शाखा भर्ती कार्यालय से सेना भर्ती दफ्तर (एआरओ) बना दिया गया था।
…तो बीकानेर जाना पड़ेगा
दफ्तर अगर शिफ्ट हो जाता है तो यहां के पूर्व सैनिक व उनके परिवारों को संबंधित कार्य के लिए बीकानेर जाना पड़ेगा। साथ ही सेना में भर्ती होने वाले युवा वेरिफिकेशन के लिए बीकानेर जाएंगे।
पूर्व सैनिक- 55000
तीनों सेनाओं में वर्तमान सैनिक-करीब 60000
अब तक शहीद-480 से अधिक
परमवीर चक्र-
हवलदार मेजर पीरूसिंह (मरणोपरांत)
परम विशिष्ठ सेवा पदक
लेफ्टिनेंट कुंदनसिंह, नौ सेनाध्यक्ष एडमिरल विजयसिंह शेखावत
अति विशिष्ठ सेवा पदक
बिग्रेडियर आरएस श्योरान
- कीर्ति चक्र- 04
- वीर चक्र- 23
- शौर्य चक्र- 10
- सेना मेडल- 23
- नौ सेना मेडल- 2
- मैंनसन इन डिसपेजज- 14
किसने क्या कहा…
जिला ना केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में एकमात्र ऐसा जिला है। जहां पर सबसे अधिक सैनिक व पूर्व सैनिक हैं। यहां के सबसे अधिक गलेंटियर अवार्ड धारक हैं। कार्यालय को बीकानेर शिफ्ट किया जाना अनुचित है। यहां के जवानों के बलिदान को देखते हुए इसे शिफ्ट नहीं किया जाना चाहिए। इसे शिफ्ट नहीं करने को लेकर जिला सैनिक कल्याण अधिकारी को पत्र भी लिखा गया है।
राजपाल फोगाट, पूर्व सैनिक व प्रदेशाध्यक्ष गौरव सेनानी शिक्षक संघ
यहां के नौजवान सबसे पहले अपने कॅरियर को सेना के लिए चुनते हैं। उनकी प्राथमिकता भारतीय सेनाओं में जाने की होती है। नौजवानों, सैनिकों व पूर्व सैनिकों व उनके परिवारों को ध्यान में रखते हुए कार्यालय को यथावत रखा जाए।
कैप्टन महेंद्रसिंह झाझडिय़ा, पूर्व सैनिक
एआरओ कार्यालय के यहां से चले जाने की वजह से सैनिकों व पूर्व सैनिकों के परिवारों के कई कार्यों में परेशानी होगी। साथ ही यहां के नौजवानों का मनोबल भी टूटेगा। सैनिकों, पूर्व सैनिकों व सेना में जाने वाले नौजवानों के हितों को देखते हुए इसे यथावत रखा जाना चाहिए।
कैप्टन रामनिवास नेतड, पूर्व सैनिक