पुष्कर मेले में पहली बार कैमल पोलो-हॉर्स राइडिंग:इस बार सीकर के घोड़ों को एंट्री नहीं, सांड करेंगे परेड; दुबई और इंग्लैंड से आएंगे घुड़सवार
पुष्कर मेले में पहली बार कैमल पोलो-हॉर्स राइडिंग:इस बार सीकर के घोड़ों को एंट्री नहीं, सांड करेंगे परेड; दुबई और इंग्लैंड से आएंगे घुड़सवार

पुष्कर : 14 नवंबर से शुरू होने वाला पुष्कर मेले में इस बार बहुत कुछ नया हाेने वाला है। पहली बार इस मेले में कैमल पोलो और हॉर्स राइडिंग को भी शामिल किया जाएगा। 15 दिनों तक चलने वाले इस मेले में कई पशु प्रेमी भी हिस्सा लेंगे। लेकिन, सीकर के घोड़ों की एंट्री इस बार नहीं होगी। इसके अलावा पशुपालन विभाग पहली बार अलग-अलग नस्ल की गायों के लिए परेड भी करवाए, इसका प्रस्ताव भी बना दिया गया है।
मेले में होने वाले नवाचार को लेकर पशुपालन विभाग के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. नवीन परिहार ने बताया कि इस बार कैसे ये मेला खास होने वाला है..।

कैमल पोलो : पुष्कर में होली फेस्टिवल में कैमल पोलो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसको देखने के लिए लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। जिसको देखते हुए पशु मेले में भी कैमल पोलो को शामिल करने का निर्णय लिया गया है। पशु मेले में पहली बार इस प्रतियोगिता को शामिल किया जाएगा। कैमल पोलो में एक टीम देशी-विदेशी पर्यटकों की होगी तो दूसरी टीम देशी पर्यटक व प्रशासन की होगी।
हॉर्स राइडिंग : इस बार मेले में हॉर्स राइडिंग को शामिल करने की तैयारी चल रही है। डॉ. परिहार ने बताया कि पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हॉर्स राइडिंग करवाने का विचार था। हॉलैंड, इंग्लैंड, दुबई और स्विट्जरलैंड से घोड़े और घुड़सवार बुलवाने की तैयारी चल रही थी। गत दिनों सीकर में ग्लैंडर रोग से पीड़ित घोड़े मिलने के कारण अब स्थानीय स्तर पर ही मेले में आने वाले घोड़ों को हॉर्स राइडिंग में शामिल किया जाएगा।

ये प्रतियोगिताएं भी पहली बार
डॉ. परिहार ने बताया कि मेले में गीर नस्ल की बछड़ियों की प्रतियोगिता पहली बार होगी और इसके लिए प्रस्ताव निदेशालय को भेजा गया है। गीर सांड की परेड कराने की भी तैयारी है। नागौरी बैल की प्रतियोगिता भी कराने पर पशुपालकों से संपर्क किया जा रहा है।
पुष्कर पशु मेला-2023 ये रहेगा कार्यक्रम
सम्पूर्ण मेला अवधि 14 नवम्बर से 29 नवंबर 2023 तक झण्डा चौकी-14 से चौकियों की स्थापना-16 से ध्वजारोहण-20 को होगा सफेद चिट्ठी-20 से, रवन्ना 21 से विकास प्रदर्शनी एवं गीर प्रदर्शनी उद्घाटन 23 से सांस्कृतिक कार्यक्रम 20 से 26 तक पशु प्रतियोगिताएं 23 से 26 तक पुरस्कार वितरण समारोह 27 को मेला समापन 29 नवंबर को


नेता या मंत्री नहीं करेंगे उद्घाटन
इस बार पुष्कर मेले के दौरान चुनाव आचार संहिता रहेगी। ऐसे में कोई भी नेता और मंत्री उद्घाटन या समापन समारोह में बतौर अतिथि शामिल नहीं होंगे। मेले का उद्घाटन कलेक्टर द्वारा किए जाने की संभावना है।
सीकर से नहीं आएंगे घोडे़
पशुपालन विभाग ने अश्व पालकों, पशुपालकों और अश्व परिवहन करने वाले व्यक्तियों के लिए गाइडलाइन जारी की है। जिसमें बताया है कि सीकर या किसी दूसरे ऐसे राज्य जहां ग्लैंडर रोग की पुष्टि हो चुकी है, उन जिलों से अश्व परिवहन नहीं किए जाएं और न ही अपने अश्व ऐसे स्थानों पर ले जाएं। इसे सख्ती से लागू कराने के निर्देश जारी किए गए हैं।
मेला मैदान में पिछले साल ढोल की थाप पर नृत्य करती घोड़ी। – फोटो : सोशल मीडिया
अतिक्रमण रोकने के लिए विशेष प्लानिंग
डॉ. परिहार ने बताया कि मेले की शुरुआत से पहले ही दीपावली के आसपास रोड किनारे पशुपालक अवैध रूप से कब्जा कर लेते हैं । इससे सड़क तक अतिक्रमण हो जाता है और आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसे रोकने के लिए इस बार विशेष प्लानिंग की जा रही है। पर्याप्त रोड को छोड़कर रोड किनारे जगह का आवंटन प्रशासन की ओर से नॉर्मल चार्जेज लेकर किया जाएगा।
तीन चरणों में होता है पुष्कर मेला
पुष्कर का 15 दिवसीय मेला तीन चरणों में होता है। पहला चरण में दीपावली के दूसरे दिन से पशु मेला शुरू होता है। इसी दिन से पशु व पशुपालकों की आवक शुरू हो जाती है। दूसरा चरण प्रशासनिक स्तर पर कार्तिक शुक्ल गोपाष्टमी से शुरू होता है। इस दिन जिला कलेक्टर मेला स्टेडियम में ध्वजारोहण कर मेले का विधिवत आगाज करते हैं। इस दिन से खेलकूद व पशु प्रतियोगिता एवं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू होता है। तीसरे और अंतिम चरण के तहत धार्मिक मेला देव उठनी एकादशी को शुरू होता है। पांच दिवसीय धार्मिक मेले का समापन कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर होने वाले महास्नान के साथ होता है।
दुनियाभर में मशहूर पुष्कर मेला – फोटो : सोशल मीडिया
हजारों पशु एवं लाखों श्रद्धालु आते हैं
पुष्कर पशु मेले में हजारों ऊंट, घोड़े समेत विभिन्न प्रजाति के पशु आते हैं। पशुपालकों के बीच करोड़ों रुपयों का लेनदेन होता है। लाखों श्रद्धालु सरोवर में स्नान व मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं। प्रशासन की ओर से मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए कई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए जाते हैं। जिसमें राजस्थानी लोक कलाकारों के साथ-साथ कई अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों को भी आमंत्रित किया जाता है।
मेले में तीन प्रकार की चिट्ठियां रहेंगी
- लाल चिट्ठी : यह चिट्ठी पशु का रजिस्ट्रेशन है। इसमें पशु के बारे में जानकारी दी गई है।
- सफेद चिट्ठी : यह चिट्ठी सेल डीड है। इसमें पशु के क्रय व विक्रय करने वाले पशु पालकों के हस्ताक्षर होते हैं। पशु की नस्ल भी इसमें लिखी होती है।
- रवन्ना : तीसरी महत्वपूर्ण चिट्ठी रवन्ना है। जो पशु इस मेले में बेचा जाएगा, उसका विवरण इसमें जारी किया जाएगा। सेल डीड यानी सफेद चिट्ठी के बाद इसका नंबर आता है। इस रवन्ना को दिखा कर ही खरीदार पशु को बाहर ले जा सकेगा।
