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कांग्रेस की कैंपेन कमिटी ERCP को बनाएगी चुनावी मुद्दा, 13 जिलों में 83 सीटों को करेगी टारगेट


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कांग्रेस की कैंपेन कमिटी ERCP को बनाएगी चुनावी मुद्दा, 13 जिलों में 83 सीटों को करेगी टारगेट

कांग्रेस पार्टी इस बार के चुनाव में ERCP यानी पूर्वी राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है. पिछले दिनों पीसीसी की कैंपेन कमेटी की बैठक के बाद पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने इस बात का ऐलान किया.

जयपुर : कांग्रेस पार्टी इस बार के चुनाव में ERCP यानी पूर्वी राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है. पिछले दिनों पीसीसी की कैंपेन कमेटी की बैठक के बाद पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने इस बात का ऐलान किया, तो उधर पार्टी की स्थानीय इकाई ERCP को लेकर निकाले जाने वाली रैलियों की तैयारी में जुटी हुई है.

चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी

माना जा रहा है कि 23 सितंबर को राहुल गांधी का जयपुर दौरा होगा उसके बाद 25 सितंबर से पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस बड़े पैमाने पर ERCP को लेकर घर-घर जाती दिखाई देगी. इसके जरिए पार्टी प्रदेश की 41 फीसदी सेटों को टार्गेट करेगी.

ERCP का मुद्दा लपकने की तैयारी

कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी ERCP का मुद्दा लपकने के साथ ही इसको एग्रेसिव तरीके से लोगों के बीच ले जाने की तैयारी कर ली है. दरअसल कांग्रेस की कैंपेन कमिटी में पिछले दिनों इस बात पर चर्चा हुई. पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि प्रदेश की 200 सीटों में से बड़ा हिस्सा ERCP के 13 जिलों में आ रहा है.

13 जिलों में 83 सीटों को करेगी टारगेट 

ऐसे में पूर्वी राजस्थान नहर के मुद्दे को इन 13 जिलों में हर घर तक पहुंचाया जाए, तो लोग कांग्रेस पार्टी के साथ आ सकते हैं. इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ERCP के मुद्दे पर मुखर दिख रही है. पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा भी पूर्वी राजस्थान और संबंधित जिलों में रैलियां निकाली जाने की बात कर चुके हैं. पद यात्राओं की शुरुआत 25 सितंबर से हो सकती है.

क्या है ERCP का मुद्दा

ERCP का मुद्दा पूर्वी राजस्थान में आने वाली नहर से जुड़ा हुआ है. दरअसल पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के समय ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट बनाया गया. इसके दायरे में 13 जिलों को रखा गया. यहां नहर से पीने और सिंचाई के लिए पानी पहुंचाना था. जिससे 13 जिलों की आबादी को पीने का पानी मिलता, तो साथ ही ढाई लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन सिंचित हो सकती थी.

विशेषज्ञों का मानना है कि ERCP बनती तो प्रदेश की आर्थिक समृद्धि में और रफ्तार आती. वसुंधरा सरकार के तैयार समय तैयार हुई प्रोजेक्ट रिपोर्ट में राज्य सरकार की मांग है कि इसे नेशनल प्रोजेक्ट घोषित किया जाए. दरअसल राज्य सरकार का कहना है कि नेशनल प्रोजेक्ट घोषित होने से इसमें केंद्र और राज्य की हिस्सा राशि 90 और 10 फ़ीसदी के अनुपात में हो जाएगी. इससे राज्य को बड़ी राहत मिलेगी.

ईआरसीपी के मुद्दे पर मांगेगी वोट 

जबकि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कहते हैं, कि इसे नदी जोड़ने की परियोजना में शामिल कर लिया जाए, तो केंद्र सरकार 90 फ़ीसदी पैसा देने के लिए तैयार है. इसी बात को लेकर राज्य और केंद्र सरकार में गतिरोध है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की धरती पर दो बार ERCP का जिक्र करते हुए वादा किया था कि इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की दिशा में काम किया जाएगा.

ईआरसीपी को लेकर निकाली जाने वाली कांग्रेस की यात्राओं में तकरीबन आधा मंत्रिमंडल शामिल होगा. गहलोत सरकार की मौजूदा मंत्रिपरिषद में आधे से ज्यादा मंत्री ऐसे हैं जो ईआरसीपी से प्रभावित जिलों में आते हैं.

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