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जैसलमेर : जैसलमेर में करोड़ों साल पहले का मिला फॉसिल:जहां मिले डायनासोर के फॉसिल, वहीं मिला अंडा, डायनासोर का होने की संभावना


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जैसलमेर : जैसलमेर में करोड़ों साल पहले का मिला फॉसिल:जहां मिले डायनासोर के फॉसिल, वहीं मिला अंडा, डायनासोर का होने की संभावना

जैसलमेर में करोड़ों साल पहले का मिला फॉसिल:जहां मिले डायनासोर के फॉसिल, वहीं मिला अंडा, डायनासोर का होने की संभावना

जैसलमेर : जैसलमेर के जेठवाई- गजरूप सागर की पहाड़ियों में एक जीवाश्म की खोज हुई है। जैसलमेर के भू जल वैज्ञानिक नारायण दास इनखिया को पत्थर बन चुके अंडे का फोसिल मिला है। ये वही इलाका है जहां डायनासोर के जीवाश्म मिले थे। अब अंडे का जीवाश्म मिलने से डायनासोर के अंडे होने की संभावना बढ़ गई है। भू जल वैज्ञानिक नारायण दास इनखिया ने बताया कि इस अंडे के जीवाश्म कि जांच होगी। संभवतया ये अंडा डायनासोर का हो सकता है।

पहाड़ियों में मिला अंडे का जीवाश्म।
पहाड़ियों में मिला अंडे का जीवाश्म।

गौरतलब है कि भू जल वैज्ञानिक डॉ नारायण दास इनखिया शनिवार को अपनी बेटी के साथ मेघवाल समाज के भीम कुंज पहाड़ी एरिया में घूम रहे थे। ये वही इलाका है जहां कुछ साल पहले भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वे और आईआईटी की टीम ने डायनासोर के जीवाश्म खोजे थे। अब ये किस प्रजाति का जीवाश्म है ये जांच के बाद ही जानकारी मिल जाएगी।

जीवाश्म विज्ञान की लैबोरेटरी में होगी जांच

डॉ नारायण दास इनखिया ने बताया कि अब वे खुद इस अंडे के जीवाश्म को लेकर जयपुर जाएंगे। जयपुर स्थित जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की जीवाश्म विज्ञान की लैबोरेटरी में इस अंडे कि जांच करवाएंगे। इनखिया ने बताया कि भू वैज्ञानिक काल क्रम के अनुसार ये अंडा डायनासोर या उस काल के किसी जीव का भी हो सकता है। सारी चीजें जांच के बाद ही साफ हो सकेगी।

इसी जगह मिल चुके हैं डायनासोर के जीवाश्म

गौरतलब है कि जैसलमेर की जेठवाई-गजरूप सागर इलाके की पहाड़ियों में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के वैज्ञानिक देबाशीष भट्टाचार्य, कृष्ण कुमार, प्रज्ञा पांडे और त्रिपर्णा घोष ने 2018 में रिसर्च शुरू किया था। जिले के जेठवाई गांव की पहाड़ियों में रिसर्च के दौरान सबसे पुराने शाकाहारी डायनासोर थारोसोरस के जीवाश्म मिले थे। सबसे ज्यादा डायनासोर की रीढ़, गर्दन, सूंड, पूंछ और पसलियों के जीवाश्म मिले थे। थार रेगिस्तान में मिले डायनासोर के जीवाश्म को ‘थारोसोरस इंडिकस’ यानी भारत के थार का डायनासोर नाम दिया गया है।

चीन में मिले जीवाश्म से भी पुराने

थारोसोरस से पहले चीन में मिले डायक्रेओसोराइड के जीवाश्म को सबसे पुराना समझा जाता था। वह 16.6 करोड़ से 16.4 करोड़ साल पुराना था। भारत में हुई ताजा खोज ने चीन के जीवाश्म को 10 से 30 लाख साल पीछे छोड़ दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन सभी खोजों को जोड़ कर देखें तो पक्के सबूत मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप डिप्लोडोसॉइड डायनोसोरों की उत्पत्ति और उनके क्रमिक-विकास का केंद्र था।

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