झुंझुनूं : झुंझुनूं में ग्राम सेवा सहकारी समिति में गंभीर गड़बड़ी सामने आई है। इसमें समिति के पूर्व व्यवस्थापक ने पहले खुद के परिवार के सदस्यों के लोन बकाया होते हुए नए लोन दे दिए। इसके बाद ऋण माफी योजना में उनको शामिल कर लोन माफ कर डाले। समिति में 36.38 लाख रुपए का घोटाला सामने आया है। मामला जिले के बगड़ की ढाणी बणियावाली ग्राम सेवा सहकारी समिति का है।
इस मामले में वरिष्ठ प्रबंधक करणीराम ने बताया कि झुंझुनूं केंद्रीय सहकारी बैंक के एमडी के निर्देश पर बगड़ ढाणी बणियावाली जीएसएस की 11 साल के कार्यकाल की जांच की। एक महीने की जांच में पूर्व व्यवस्थापक, पूर्व अध्यक्ष व पूर्व शाखा प्रबंधक द्वारा 36.38 लाख रुपए का दुरुपयोग व गबन मिला।
गड़बड़ी सामने आने के बाद झुंझुनूं केंद्रीय सहकारी बैंक के अधिकारी मामले को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। पूर्व व्यवस्थापक से वसूली की जगह नए सिरे से जांच कराने की बात कह रहे हैं। जबकि ऑडिट रिपोर्ट में रोकड़ बही व डे-बुक में काट-छांट करने, बिना आवश्यकता के तीन सहायक व्यवस्थापक नियुक्त कर गलत तरीके से वेतन उठाने व अन्य मामलों से 36.38 लाख रुपए से ज्यादा रुपए का दुरुपयोग व गबन मिला है। इस राशि की वसूली की सिफारिश की गई है।
पत्नी व बेटों को लोन दिए ऋण माफी का लाभ दिया
जांच में सामने आया कि पूर्व व्यवस्थापक चिरंजीलाल ने अपनी पत्नी द्रोपदी देवी को अल्पकालीन ऋण दिलवाया। जिसका ऋण माफी योजना के तहत लगातार दो साल में 101015 रुपए माफ कर दिए। इसके अलावा उन्होंने पुत्र अनिल कुमार को भी ऋण दिलवा कर ऋण माफी योजना में दो साल में 146905 रुपए का ऋण माफ कर दिया।
बेटे को दिए 50 हजार रुपए का ऋण मध्यकालीन बकाया होते हुए भी बार-बार अल्पकालीन ऋण दिया गया। दूसरे बेटे सुनील को बुडाना समिति से ऋण दिलवाया और ऋण माफी योजना में लगातार दो साल में 96927 रुपए माफ करवा दिए।
जबकि सुनील को वर्ष 2012 से 2014 तक स्वयं की समिति से भी अल्पकालीन ऋण दिया था, जो समिति के रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है।
ऐसे समझिए किस साल में कितना घोटाला मिला
2011-12 में यूरिया व खाद बिक्री के बाद रोकड़ बही में काट-छांट करने समेत चार मामलों में 43988 रुपए का गबन पाया।
2012-13 में बिना आवश्यकता के तीन सहायक व्यवस्थापक नियुक्ति कर 72 हजार रुपए का भुगतान उठा लिया।
2013-14 में सहायक व्यवस्थापक की नियुक्ति व समिति में बिना बचत खाते के दो जनों के नाम पर 75620 रुपए उठाए ।
2014-15 में सहायक व्यवस्थापक पद पर पुत्र को लगाने 178976 रुपए का दुरुपयोग मिला है।
2015-16 में वास्तविक रोकड़ में गलत राशि दिखा 2.48 लाख का गबन मिला।
2016-17 में 5 सदस्यों की हिस्सा राशि लेकर शामिल नहीं करने, रोकड़ में कम राशि दिखा 289652 का गबन
2017-18 में काली पहाड़ी समिति की अमानत राशि का दुरुपयोग व दो सहायक व्यवस्थापक लगा 140129 रुपए उठाए।
2018-19 में वर्णित आक्षेप की राशि रोकड़ में जमा नहीं करने, सहायक व्यवस्थापक का वेतन उठाने के लिए
139756 रुपए का गबन मिला।
2019-20 में अनियमित राशि के भुगतान के नाम पर 122400 रुपए का गबन मिला।
2020-21 में व्यवस्थापक ने अपने बेटे सुनील को सहायक व्यवस्थापक बता 120400 रुपए वेतन उठाया।
2021-22 में डीएपी, जैविक खाद, पुराना खाद स्टॉक व यूरिया खाद का चार्ज नहीं देने, ऋण वसूली के लिए जारी रसीद रोकड़ बहीं में जमा नहीं की हिस्सा राशि भुगतान की रसीद नहीं बना 429878.22 रुपए का गबन माना
प्रबंधक की मिलिभगत भी
ऑडिट रिपोर्ट में समिति के पूर्व व्यवस्थापक चिरंजीलाल, पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र कुमार सैनी, पूर्व शाखा प्रबंधक बाणबच्चन वर्मा की मिलीभगत भी पाई गई है। दरअसल इस सहकारी समिति को लेकर शिकायत की गई थी।
जिसको लेकर झुंझुनूं केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक ने अनु. वरिष्ठ प्रबंधक करणीराम व अनु. सहायक अधिकारी दयानंद से समिति का गठन कर ग्राम सेवा सहकारी समिति की 11 साल की जांच करवाई। इसमें 36.38 लाख के गबन का खुलासा हुआ।