Nuh violence : मेवात हिंसा से दूरी बना जाटों ने गड़बड़ाई खट्टर की सोशल इंजीनियरिंग, करवट लेगी प्रदेश की सियासत
Nuh violence: धनखड़ खाप के प्रधान और सर्व खाप पंचायत के कोऑर्डिनेटर डॉ. ओम प्रकाश धनखड़ ने भी दो टूक बात कह दी। वे बोले, मेवाती हमारे भाई हैं। हमारे लोगों को उनके खिलाफ किसी भी हिंसा में शामिल नहीं होना है। यह हिंसा प्रायोजित है...

Nuh violence : हरियाणा के मेवात में हुई हिंसा के बाद प्रदेश के ‘राजनीतिक’ और ‘सामाजिक’ समीकरणों में बदलाव की आहट सुनाई पड़ रही है। किसान और पहलवान आंदोलन में कई तरह के आरोप झेल चुके जाट समुदाय ने अब मेवात की हिंसा से खुद को पूरी तरह अलग रखने का फैसला किया है। जाट समुदाय के इस कदम को खाप पंचायतों का भी समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया पर जाटों को उकसाने के लिए कई तरह के संदेश लिखे गए, मगर इस समुदाय ने मेवात से पूरी तरह दूरी बनाकर रखी। जाट महासभा के सचिव युद्धवीर सिंह ने साफतौर पर कह दिया कि जाट समाज ‘सेक्युलर’ है। हम किसी की गलत बात को स्पोर्ट नहीं करेंगे। मेवात में अगर सरकार ने वक्त रहते कदम उठाया होता, तो हिंसा टाली जा सकती थी। मोनू मानेसर के खिलाफ सरकार ने एक्शन क्यों नहीं लिया। राजनीतिक जानकारों का कहना है, जाट समुदाय के इस कदम से भाजपा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सोशल इंजीनियरिंग गड़बड़ा सकती है।
किसान आंदोलन के दौरान जाट समुदाय को कई तरह के आरोपों की बौछार झेलनी पड़ी थी। यहां तक कि इस समुदाय के लिए ‘खालिस्तान समर्थक’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद जंतर-मंतर पर जब पहलवानों का आंदोलन शुरू हुआ, तो उस दौरान भी इस समुदाय को अलग-थलग करने का प्रयास किया गया। ये अलग बात है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जाटों ने भाजपा को समर्थन देकर प्रदेश की सभी दस सीटें पीएम मोदी की झोली में डाल दी थीं। हालांकि विधानसभा में भाजपा को उतना समर्थन नहीं मिल सका। प्रदेश में 2016 के दौरान हुए आरक्षण आंदोलन में जाट समुदाय को अलग-थलग कर प्रदेश की पॉलिटिक्स में नई ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का गणित तैयार करने की कोशिश हुई। हरियाणा की सत्ता में आने से पहले भाजपा को गैर जाटों की पार्टी या शहरी लोगों की पार्टी बताया जाता था। मेवात हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के संदेश देखने को मिले हैं। इनमें अप्रत्यक्ष तौर पर जाट समुदाय से अपील की गई कि वे मेवात में हिंदुओं का साथ दें। बजरंग दल के द्वारा, जाट समाज से मदद का आह्वान किया गया था, लेकिन जाट लीडरशीप ने उनका साथ देने से मना कर दिया।
जाटों के साथ राजपूत समुदाय को लेकर क्या कहा
जाट महासभा के सचिव युद्धवीर सिंह ने कहा, जाट समाज धर्म निरपेक्ष है। मेवात हिंसा में हरियाणा सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हिंसा, किसी बात का हल नहीं है। धनखड़ खाप के प्रधान और सर्व खाप पंचायत के कोऑर्डिनेटर डॉ. ओम प्रकाश धनखड़ ने भी दो टूक बात कह दी। वे बोले, मेवाती हमारे भाई हैं। हमारे लोगों को उनके खिलाफ किसी भी हिंसा में शामिल नहीं होना है। यह हिंसा प्रायोजित है। इससे पहले डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी कहा था कि नूंह में यात्रा आयोजकों ने जिला प्रशासन को पूरी जानकारी नहीं दी। प्रशासन को यह मालूम ही नहीं था कि यात्रा में कितनी भीड़ जुटेगी। केंद्रीय मंत्री और गुरुग्राम के लोकसभा सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने भी हिंदू संगठनों द्वारा निकाली गई ब्रजमंडल यात्रा पर सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा, इस तरह की यात्रा में हथियार लेकर कौन जाता है। एक पक्ष की ओर से उकसावे वाली कार्रवाई तो हुई है। इसके बाद सोशल मीडिया में एक बहस छिड़ गई। जाटों के साथ राजपूत समुदाय को लेकर भी कहा जाने लगा कि उन्हें मेवात में हिंदुओं का साथ देना चाहिए। हालांकि दोनों ही समुदायों के लोगों ने अपने-अपने तर्कों के द्वारा, मेवात में कोई हस्तक्षेप करने की बात को नकार दिया।