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पाटन के गांवों में निराश्रित गोवंश में खुरपका रोग:बड़ी संख्या में गायें प्रभावित, स्यालोदड़ा में 20 गायों के पैरों में दिखे घाव


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पाटन के गांवों में निराश्रित गोवंश में खुरपका रोग:बड़ी संख्या में गायें प्रभावित, स्यालोदड़ा में 20 गायों के पैरों में दिखे घाव

पाटन के गांवों में निराश्रित गोवंश में खुरपका रोग:बड़ी संख्या में गायें प्रभावित, स्यालोदड़ा में 20 गायों के पैरों में दिखे घाव

पाटन : पाटन के कई गांवों में निराश्रित गोवंश खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) की चपेट में आ गया है। इस संक्रामक बीमारी के कारण बड़ी संख्या में गायें प्रभावित हुई हैं, जिससे क्षेत्र में पशुपालकों और ग्रामीणों के बीच चिंता बढ़ गई है। ग्राम स्यालोदड़ा के ग्रामीणों के अनुसार, उनके गांव में लगभग 20 गायों के पैरों में घाव देखे गए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पालतू पशुओं का नियमित टीकाकरण किया जाता है, लेकिन निराश्रित गोवंश का टीकाकरण न होने के कारण वे इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं।

स्थानीय गोसेवक अपने स्तर पर प्रभावित गायों का उपचार करने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, बड़े पैमाने पर फैले इस रोग से निपटने और प्रभावी नियंत्रण के लिए अधिक संसाधनों और सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पशुधन सहायक विकास सैनी ने खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) के बारे में बताया कि ये एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है। ये मुख्य रूप से गाय, भैंस, सूअर, भेड़ और बकरी जैसे खुर वाले जानवरों को प्रभावित करती है।

इस रोग के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, मुंह और पैरों पर फफोले (छाले) पड़ना शामिल है। इससे पशुओं के दूध उत्पादन में भारी गिरावट आती है। ये रोग अत्यंत तेजी से फैलता है और अत्यधिक संक्रामक है। ये एक वायरस जनित बीमारी है जो हवा (एरोसोल) के माध्यम से लंबी दूरी तक फैलने में सक्षम है।

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