सादुलपुर में श्रमिक संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन:सरकार की नई नीतियों को लेकर जताया रोष, राष्ट्रपति के नाम भेजा ज्ञापन
सादुलपुर में श्रमिक संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन:सरकार की नई नीतियों को लेकर जताया रोष, राष्ट्रपति के नाम भेजा ज्ञापन
सादुलपुर : केंद्र सरकार की नई श्रम संहिताओं के विरोध में बुधवार को देशभर में मजदूर संगठनों ने प्रतिरोध दिवस मनाया। यह विरोध प्रदर्शन 21 नवंबर 2025 को चार नई श्रम संहिताओं को लागू करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ था, जिसे केंद्रीय श्रम संगठनों से बिना विचार-विमर्श के लिया गया था।
संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित इस राष्ट्रीय विरोध कार्यक्रम के तहत राजस्थान की राजधानी जयपुर सहित सभी जिलों में विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त प्रदर्शन किए। सादुलपुर में भी उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर विरोध दर्ज कराया गया।
मजदूर संगठनों का आरोप है कि ये नई श्रम संहिताएं कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने वाली और मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करने वाली हैं। संगठनों ने इन संहिताओं को श्रमिक वर्ग पर “युद्ध” के समान बताया और कहा कि यह श्रमिकों को “मास्टर-एंड-सर्वेंट” प्रणाली की ओर धकेलने वाली प्रतिगामी नीति है।
राजस्थान में इंटक, एआईएसएमएस, सीटू, एआईसीसीटीयू सहित कई केंद्रीय श्रम संगठनों और स्वतंत्र यूनियनों के प्रतिनिधि श्रम भवन, जयपुर पर एकत्र हुए। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे इन श्रम संहिताओं के खिलाफ वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं, जिसमें धरना, प्रदर्शन, रास्ता रोको और राष्ट्रीय हड़तालें शामिल हैं, लेकिन सरकार ने उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज कर अधिसूचना अचानक लागू कर दी।
प्रदर्शन के बाद मजदूर संगठनों ने श्रम आयुक्त, राजस्थान के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। उन्होंने सरकार से अधिसूचना को तत्काल निरस्त करने की मांग की और चेतावनी दी कि आगामी दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
ज्ञापन देने वालों में कर्मवीर लखलान, जगत सिंह, कॉमरेड हरिराम टाड़ी, पिकन्तु कालदी, कर्मवीर लाखलाण, मनीषपुरी क्षणी माफी, राहताष लाखल्लाण और नरेश लुगणा आदि शामिल थे।
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