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सरकारी हॉस्पिटल में नवजात का गला घोंटा:जन्म के 5 घंटे बाद ही मृत मिला, डॉक्टर बोले- गर्दन पर निशान, हत्या की आशंका


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सरकारी हॉस्पिटल में नवजात का गला घोंटा:जन्म के 5 घंटे बाद ही मृत मिला, डॉक्टर बोले- गर्दन पर निशान, हत्या की आशंका

सरकारी हॉस्पिटल में नवजात का गला घोंटा:जन्म के 5 घंटे बाद ही मृत मिला, डॉक्टर बोले- गर्दन पर निशान, हत्या की आशंका

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : चूरू के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल में जन्म के 5 घंटे बाद ही नवजात की मौत हो गई। परिजन और हॉस्पिटल ने उसके हत्या की आशंका जताई है। डॉक्टर्स का दावा है कि प्रारंभिक जांच में उसकी गर्दन पर निशान मिले हैं, जो कि मर्डर की ओर इशारा कर रहे हैं। घटना गवर्नमेंट डीबी हॉस्पिटल की शुक्रवार सुबह की है। फिलहाल नवजात की बॉडी को मॉर्च्युरी में रखवाया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

सबसे पहले जानिए- क्या है मामला?

पुलिस के अनुसार गुरुवार रात करीब 12:30 बजे के बीच गांव अजीतसर की प्रसूता गुड्डी देवी (40) ने एक नवजात लड़के को जन्म दिया था। सामान्य प्रसव के बाद प्रसूता और नवजात को लेबर रूम से वार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया था। रात भर सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन सुबह करीब 5 बजे नवजात के मामा उसे बेहोशी की हालत में वार्ड में लेकर पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत बता दिया। अब पोस्टमार्टम के बाद ही बॉडी परिवार को सौंपी जाएगी।

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एमएम पुकार (ब्लैक शर्ट) ने कोतवाली पुलिस को मामले की जानकारी दी।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एमएम पुकार (ब्लैक शर्ट) ने कोतवाली पुलिस को मामले की जानकारी दी।

परिवार पर शक, बच्चे को लेने में आनाकानी

हॉस्पिटल प्रशासन के अनुसार लेबर रूम में देर रात गुड्डी देवी के सामान्य प्रसव से बेटा पैदा हुआ था। बेटा होने की सूचना परिजनों को तुरन्त दे दी गई। मगर काफी देर बाद भी परिजनों की ओर से बेटे को लेने के लिए कोई नहीं आया। इससे भी मामला कुछ संदिग्ध लग रहा है। लेबर रूम स्टाफ के अनुसार प्रसूता को जब परिजन लेकर आये थे। तब उसके पास 9 महीने की प्रेग्नेंसी समय में कराई गई एक भी जांच की पर्ची नहीं थी। जब उनसे जांच के बारे में पूछा गया तो परिजन कुछ भी नहीं बोल पाए।

हर 1000 में से 27 बच्चों की मौत

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार राजस्थान में 2022 में शिशु मृत्यु दर 30 प्रतिशत रही। साल 2023 में इसमें मामूली कमी आई और कुल दर 29 फीसदी रही। एनएफएचएस की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में 1000 पर 39 बच्चों की मौत होती थी। यह बच्चे अपने जीवन का पहला साल नहीं देख पाते थे। साल 2023 अब यह संख्या 27 पर आ गई। अब 27 बच्चों की जन्म लेने के एक साल के भीतर मृत्यु हो जाती है।

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