राजस्थान में फिर डंपर ने बरपाया कहर
बाइक सवार मां-बेटी और मामा की दर्दनाक मौत, 14 लोगों की चीखों से गूंजा ट्रोमा सेंटर
जयपुर : राजधानी जयपुर फिर एक बार सड़क पर बहते खून और मातम से सिहर उठी। हरमाड़ा में तेज रफ्तार डंपर ने बाइक सवार तीन लोगों को कुचल दिया—मां, बेटी और मामा की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद चारों ओर चीख-पुकार मच गई। यह सिर्फ तीन जानें नहीं गईं, बल्कि 14 मौतों के उस दर्दनाक सिलसिले की अगली कड़ी बन गईं, जिसने पूरे जयपुर को झकझोर दिया।
“हे भगवान… कहां गया बेटा…”
ट्रोमा सेंटर की दीवारों ने सोमवार को जो चीखें सुनीं, शायद वैसी कभी नहीं गूंजी थीं। “हे राम… बेटा कहां है… भाई कहां चला गया…” – किसी मां के टूटे शब्द, किसी बहन का असहाय रुदन… हर चीख में था एक घर उजड़ जाने का दर्द। 28 दिन बाद ट्रोमा सेंटर में फिर वही मातम का मंजर था, जहां कुछ ही हफ्ते पहले आग की घटना में कई जानें गई थीं।
अस्पताल बना शोक का केंद्र
हरमाड़ा से लेकर कांवटिया अस्पताल और एसएमएस ट्रोमा सेंटर तक अफरा-तफरी का माहौल रहा। हादसे में घायल 21 लोगों को अस्पताल लाया गया। कांवटिया अस्पताल में 10 लोगों को मृत घोषित किया गया, जबकि 8 गंभीर घायलों को एसएमएस ट्रोमा सेंटर रेफर किया गया। कांवटिया की 6 शवों की क्षमता वाली मोर्चरी फुल हो गई, शवों को एसएमएस भेजना पड़ा।
अब भी कई जिंदगी फंसी सांसों के सहारे
ट्रोमा सेंटर में भर्ती घायलों में से दो ने आते ही दम तोड़ दिया, जबकि वर्षा बुनकर (19), दानिश (28) और अजय पारीक (55) अब भी वेंटिलेटर पर जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं। चार घायल – मनोज, देशराज, कमल और ज्ञानरंजन का इलाज जारी है।
सवाल वही-कब रुकेगी रफ्तार की ये मौत?
यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और लापरवाह रफ्तार की चेतावनी है। हरमाड़ा की सड़कों से लेकर जयपुर की गलियों तक अब सवाल गूंज रहा है – “कब थमेगी ये दौड़ जो हर बार किसी का घर उजाड़ देती है?”
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