8वीं क्लास की फर्जी टीसी से रोडवेज में 32-साल नौकरी:जांच के बाद रोडवेज ने बर्खास्त किया; दर्ज करवाई एफआईआर
8वीं क्लास की फर्जी टीसी से रोडवेज में 32-साल नौकरी:जांच के बाद रोडवेज ने बर्खास्त किया; दर्ज करवाई एफआईआर
झुंझुनूं : राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) में फर्जी टीसी(ट्रांसफर सर्टिफिकेट) से एक ड्राइवर ने 32 साल तक नौकरी की। शिकायत हुई तो विभागीय जांच शुरू हुई। नोटिस दिए गए, लेकिन आरोपी और उसकी पत्नी ने घर आए नोटिसों को लेने से इनकार कर दिया। ड्राइवर को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया, लेकिन वो एक बार भी हाजिर नहीं हुआ। अब 32 साल बाद विभाग ने जयपुर आगार में कार्यरत ड्राइवर सतवीर सिंह को सेवा से बर्खास्त किया है। साथ ही एफआईआर दर्ज कराई है। आरोप है कि सतवीर ने 8वीं क्लास का फर्जी ट्रांसफर सर्टिफिकेट लगाकर सरकारी नौकरी ली थी।
मामला झुंझुनूं जिले के सौंथली गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल का है। स्कूल प्रिंसिपल ने पत्र क्रमांक 952 के जरिए 2 नवंबर 2022 में पुष्टि की कि सतवीर सिंह के नाम से जिस एसआर नंबर 1071 की टीसी प्रस्तुत की गई, वो फर्जी है। इस नंबर पर स्कूल रजिस्टर में ‘प्रभाती लाल शर्मा’ नामक छात्र का रिकॉर्ड दर्ज है। यानी सतवीर का नाम स्कूल रिकॉर्ड में कभी रहा ही नहीं।
अब सिलसिलेवार पढ़िए पूरा मामला
शिकायत पर हुई जांच
एक शिकायत पर मुख्य प्रबंधक, जयपुर आगार ने सतवीर सिंह के खिलाफ 23 जनवरी 2023 को जांच के आदेश दिए। सतवीर पर फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी पाने, निगम को गुमराह करने और आर्थिक लाभ उठाने के गंभीर आरोप लगाए गए। जांच अधिकारी के रूप में रिटायर्ड आरएएस अधिकारी हनुमान सिंह गुर्जर को नियुक्त किया गया। जांच के दौरान सतवीर सिंह को कई बार जवाब और साक्ष्य प्रस्तुत करने के अवसर दिए गए, लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सका।
हाईकोर्ट में दी चुनौती, पर केस खारिज
सतवीर सिंह ने विभागीय कार्रवाई को चुनौती देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर में याचिका (एसबी सिविल रिट पिटीशन नं. 6280/2023) दायर की थी। कोर्ट ने 26 अप्रैल 2023 को कहा था कि विभागीय जांच जारी रह सकती है, लेकिन कोई अंतिम प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए। हालांकि बाद में 20 सितंबर 2025 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, जिस पर हाईकोर्ट ने केस ‘गैर-प्रवर्तन’ (non-prosecution) के आधार पर खारिज कर दिया। इसके बाद निगम ने जांच फिर से शुरू की।
सुनवाई में भी नहीं पहुंचा आरोपी ड्राइवर
हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगम ने सतवीर सिंह को एक और मौका देते हुए व्यक्तिगत सुनवाई नोटिस क्रमांक 657 दिनांक 24 सितंबर 2025 भेजा। लेकिन घर पर मौजूद पत्नी ने नोटिस लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद नोटिस उनके जयपुर के झोटवाड़ा स्थित घर के बाहर चस्पा किया गया। इसके बाद भी आरोपी सुनवाई में उपस्थित नहीं हुआ।
जांच में फर्जीवाड़ा साबित, एफआईआर दर्ज
मुख्य प्रबंधक कार्यालय ने पूरी फाइल, स्कूल से प्राप्त रिपोर्ट, आरोपी के बयान और दस्तावेजों का अध्ययन किया। पाया कि सतवीर सिंह ने 1993 में ड्राइवर पद पर नियुक्ति लेते समय 8वीं क्लास पास का फर्जी सर्टिफकेट लगाया था। इस आधार पर जांच अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि नियुक्ति आदेश ‘शुरुआत से ही शून्य’ (ab initio void) है।
नौकरी से बर्खास्त और अब पुलिस केस
जयपुर आगार के मुख्य प्रबंधक नवीन तिवाड़ी ने 29 सितंबर 2025 को एक आदेश जारी कर सतवीर सिंह की नियुक्ति को शुरू से ही अमान्य मानते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया। इसके बाद 14 अक्टूबर 2025 को जयपुर आगार से थानाधिकारी विधायकपुरी, जयपुर को रिपोर्ट भेजी गई। इसमें फर्जी दस्तावेजों से नौकरी प्राप्त करने पर एफआईआर दर्ज कराने का अनुरोध किया गया। रिपोर्ट में लिखा गया- सतवीर सिंह ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर निगम में ड्राइवर पद पर नियुक्ति ली, ऐसे में इनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाए। यह रिपोर्ट की निगम के प्रतिनिधि बाबूलाल निवासी बुनकर कॉलोनी, झोटवाड़ा ने दी।
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