डूबते_पत्रकार_गिरती_पत्रकारिता
डूबते_पत्रकार_गिरती_पत्रकारिता

“पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है !” ऐसा हम हर रोज सुनते हैं , लेकिन पत्रकारिता केवल नेशनल न्यूज़ चैनलों से ही जुड़ी हुई नहीं है, यह मोहल्ले से लेकर गाँव, शहर और देश-विदेश तक अपना संबंध रखती है।आजकल माइक पकड़कर फेसबुक-यूट्यूब पर कोई भी पत्रकार बन बैठा है,
जब हम इनकी पत्रकारिता फेसबुक पर देखते हैं, तो ऐसा लगता है – इन्हें यह सब करने की इजाज़त कौन दे रहा है ? लेकिन विडंबना यह है कि ये लोग बड़े राजनेताओं और उच्चस्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों के इंटरव्यू ले रहे हैं, और जब इनकी रिपोर्टिंग देखते हैं, तो शर्म आती है कि यह कर क्या रहे हैं । स्कूल से निकले बच्चे या परीक्षा से निकले किसी अभ्यर्थी से ये ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जैसे इनसे बड़ा कोई आलिम-फ़ाजिल इस दुनिया में नहीं है ,अगर इनसे कोई पत्रकारिता से जुड़े सवाल पूछें जाएं तो क्या यह एक भी जवाब दे पाएंगे ? किसी मुद्दे पर इस तरह सवाल पूछ रहे हैं जैसे ये लोग ही पुलिस और प्रशासन का कार्यभार सम्भाले हुए हैं । क्या निजता किसी का अधिकार नहीं ?पत्रकार का कार्य सूचनाएँ इकट्ठा कर उन्हें स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करना है, न कि उन पर अपने फैसले सुनाना, फैसलों का जिम्मा प्रशासन का है । किसी की मृत्यु पर ये लोग उनके परिजनों के आंसुओं पर वीडियो बना रहे हैं , विलाप का प्रसारण कब से पत्रकारिता का हिस्सा हो गया ? लोग इस तरह से कैमरे के सामने आने के लिए तरस रहे हैं जैसे जो है सो यही हैं । हर कर्म,कला और व्यवसाय का एक दायरा होता है ; उस दायरे से हटना नीचता है, अगर समय रहते हुए समाज के सभ्य और जिम्मेदार लोगों ने इन्हें नही रोका तो वो दिन दूर नहीं कि ये लोग नहाते हुए व्यक्ति से भी सवाल जवाब पूछने बैठ जाएंगे ।
मैं हर पत्रकार की बात नहीं कर रहा, आज भी हमारी आदर्श सूची में ऐसे पत्रकार हैं जिन्हें देखकर हम खुश होते हैं ,उनसे सीखते हैं, उनकी वाहवाही करते हैं, वो समाज का एक आईना होते हैं ,लोकतंत्र में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं, पत्रकारिता के क्षेत्र की शिक्षा और दीर्घ अनुभव रखते हैं । अचानक से हाथ में माइक लेकर वीडियो बनाना पत्रकारिता नहीं हो सकती, इसके लिए किसी वरिष्ठ पत्रकार के अधीन तपना पड़ता है, सीखना पड़ता है । लाइक, व्यूज और फॉलोअर्स ही पत्रकारिता की प्रसिद्धि नहीं हो सकती । विज्ञापन तो अखबार भी दर्शाता है, लेकिन उसकी रूपरेखा पत्रकारिता धर्म की मर्यादाओं में संजोई होती है ।
~ आबिद खान गुड्डू ।