बिरोल के लाल रामस्वरूप राड़ की सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि, गांव ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई
7 माह पूर्व ड्यूटी के दौरान लगी थी सिर में गंभीर चोट, जयपुर में इलाज के दौरान ली अंतिम सांस

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : रविन्द्र पारीक
नवलगढ़ : उपखंड क्षेत्र के बिरोल ग्राम पंचायत स्थित पेमा वाली ढाणी में रविवार को आईटीबीपी (इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस) के जवान रामस्वरूप राड़ पुत्र शिशुपाल सिंह राड़ की अंत्येष्टि सैन्य सम्मान के साथ की गई। देश सेवा के दौरान घायल हुए इस वीर सपूत की अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए और नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
ड्यूटी के दौरान लगी थी सिर में गंभीर चोट
आईटीबीपी में कानपुर में तैनात रामस्वरूप राड़ को 3 मार्च 2025 को ड्यूटी के दौरान सिर में गंभीर चोट लग गई थी। घटना के बाद उन्हें तत्काल कानपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जयपुर एम्स रेफर किया गया।
करीब साढ़े छह महीने तक चला लंबा इलाज – कभी स्थिति सुधरती तो कभी बिगड़ जाती।
बीच में स्वास्थ्य सुधार के चलते कुछ समय के लिए उन्हें घर भी लाया गया था, लेकिन दोबारा तबीयत बिगड़ने पर जयपुर ले जाया गया, जहां शनिवार 4 अक्टूबर 2025 को इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। मौत की खबर मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
पार्थिव देह जैसे ही रविवार सुबह बिरोल पहुंची, परिवार में कोहराम मच गया। माता-पिता, पत्नी सरिता और भाइयों का रो-रोकर बुरा हाल था। गांव के लोग शहीद के घर पहुंचकर परिजनों को ढांढस बंधाते रहे। अंतिम यात्रा से पहले धार्मिक क्रियाकर्म किए गए, इसके बाद शव यात्रा पेमा वाली ढाणी मुक्तिधाम तक पहुंची।
आईटीबीपी की टुकड़ी ने दी सलामी
अंत्येष्टि स्थल पर आईटीबीपी की टुकड़ी ने जवान रामस्वरूप राड़ को अंतिम सलामी दी। अधिकारियों ने शहीद के भतीजे दिवांशु को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा। इसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और परिजनों ने मुखाग्नि दी। कुछ ही देर में यह वीर सपूत पंचतत्व में विलीन हो गया।
नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दी श्रद्धांजलि
अंतिम संस्कार में पूर्व चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा, पूर्व सैनिक कल्याण समिति अध्यक्ष कैप्टन रामलाल सांखणिया, कैप्टन शिशुपाल सिंह दूत, पंसस प्रताप पूनियां, ग्राम पंचायत प्रशासक प्रतिनिधि नरेंद्र कड़वाल, जय किसान आंदोलन के प्रदेशाध्यक्ष कैलाश यादव, राजेश कटेवा, पूर्व एसीबीईओ नेकीराम पूनियां, संजय कड़वाल, कॉमरेड हरिसिंह बुरड़क, सुभाष पोस्टमास्टर, प्रहलाद मास्टर, अमी लाल राड़, महेंद्र कड़वाल, प्रमोद झाझड़िया, सुरेश मास्टर सहित बड़ी संख्या में लोगों ने पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
शत-प्रतिशत दिव्यांग है रामस्वरूप राड़ का 12 वर्षीय पुत्र रौनक
परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। रामस्वरूप की पत्नी सरिता, जिन्होंने एमएम तक पढ़ाई की है, अब परिवार की जिम्मेदारी अकेले संभाल रही हैं। उनका इकलौता पुत्र रौनक (12 वर्ष) जन्म से ही शत-प्रतिशत दिव्यांग है – वह न तो चल सकता है, न बोल सकता है और न ही सुन सकता है। पति के निधन के बाद अब पत्नी और परिवार पर गहरा संकट छा गया है।
छुट्टी काटकर लौटे थे, तीसरे दिन ही हुआ हादसा
परिजनों ने बताया कि रामस्वरूप राड़ 31 जनवरी 2025 को छुट्टी पर घर आए थे। करीब एक महीना गांव में रहकर 28 फरवरी को खुशी-खुशी ड्यूटी पर लौटे। लेकिन सिर्फ तीसरे दिन, 3 मार्च को ड्यूटी के दौरान सिर में चोट लग गई, जिसने उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी।
गांव ने कहा – रामस्वरूप राड़ की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी
गांव के लोगों ने कहा कि रामस्वरूप राड़ ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए हैं, उनकी शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा। गांव में उनके नाम से स्मृति द्वार या चौक बनाने की मांग भी उठाई गई है, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके बलिदान से प्रेरणा ले सकें।
अंतिम यात्रा से जुड़ी PHOTOS…






