स्वयं के उत्पाद का प्रसंस्करण कर किसान कमा सकते हैं अधिक मुनाफा – महरमपुर में किसान संगोष्ठी
स्वयं के उत्पाद का प्रसंस्करण कर किसान कमा सकते हैं अधिक मुनाफा – महरमपुर में किसान संगोष्ठी

महरमपुर : किसानों के लिए एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड एवं रामकृष्ण जयदयाल सेवा संस्थान द्वारा किया गया, जिसमें किसानों को दालों के उत्पादन एवं उनके प्रसंस्करण (प्रोसीसींग) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गईं। कार्यक्रम में बताया गया कि यदि किसान अपने उत्पाद का सीधे बाज़ार में विक्रय करने की बजाय उसका वैल्यू एडिशन (वैल्यू एडिसन ) करके बेचें, तो उन्हें सामान्य बिक्री की तुलना में कहीं अधिक मुनाफा प्राप्त हो सकता है। किसानों को वैल्यू एडिशन करने की मशीनरी एवं विधि का भी वर्णन किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जिला विकास प्रबंधक सौरभ नागपाल ने किसानों को समूह में काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से सामूहिक प्रसंस्करण एवं विपणन से न केवल लागत घटेगी बल्कि किसानों को उचित दाम भी मिलेगा साथ ही उन्होंने द्वारा किसानों को अनाज एवं दालों को निर्यात करने की प्रक्रिया के बारे में समझाकर समूह बनाकर निर्यात करने की भी सलाह दी गई। डालमिया सेवा संस्थान के कृषि एवं वानिकी समन्वयक शुभेन्द्र भट्ट ने किसानों को बागवानी संबंधित उत्पादों के प्रसंकरण के बारे में जानकारी प्रदान कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को बगीचा लगाकर वैल्यू एडिशन करके बाजार में विक्रय करने की सलाह दी, साथ ही उन्होंने फल एवं सब्जियों को नवीनतम मशीनरी के माध्यम से सुखाकर विक्रय करने के बारे में भी जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों ने दालों की विभिन्न प्रसंस्करण विधियों, आधुनिक तकनीकों और बाज़ार की मांग पर विस्तार से चर्चा की। किसानों को प्रोत्साहित किया गया कि वे प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना करें और अपने उत्पादों को पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन के माध्यम से बड़े बाज़ार तक पहुँचाएँ। कार्यक्रम के दौरान कृषि विशेषज्ञ राकेश महला, सहकारी समिति के व्यवस्थापक रामस्वरूप, ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष विद्याधर, बाबूलाल इत्यादि लोगों ने भी अपने विचार रखें।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे और उन्होंने प्रसंस्करण एवं वैल्यू एडिशन से संबंधित सवाल भी पूछे। संगोष्ठी का मुख्य संदेश यही रहा कि किसान यदि परंपरागत खेती के साथ-साथ प्रसंस्करण पर भी ध्यान दें, तो उनकी आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है।