निजी स्वार्थ के कारण प्राणी तामसी वृतियों में प्रवेश कर जाता है : ब्रह्म राकेशानंद
निजी स्वार्थ के कारण प्राणी तामसी वृतियों में प्रवेश कर जाता है : ब्रह्म राकेशानंद

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय पर स्थानीय अग्रसेन नगर में चल रही श्रीशिव महापुराण के छठे दिन कथा वाचक श्रीएक ब्रह्म राकेशानंद ने कहा कि प्राणी के मन के अंदर विषय चिंतन से आसक्ति प्रबल होती है। जिससे एक कामना उत्पन्न होती है और वह पूर्ण न होने पर क्रोध की उत्पत्ति होती है। जिससे प्राणी का विवेक नष्ट हो जाता है। अविवेक शक्ति प्रबल होने से बुद्धि भ्रमित हो जाती है। जिसके कारण प्राणी श्रेष्ठ साधन से पतित हो जाता है।
ब्रह्म राकेशानंद ने कहा कि प्राणी को अपने में कभी अहम की उत्पत्ति नहीं होने देनी चाहिए। अहम से स्वार्थ प्रबल हो जाता है और जीवन के अंदर शांत वृत्ति नष्ट हो जाती है। निजी स्वार्थ के कारण प्राणी तामसी वृतियों में प्रवेश कर जाता है। जिससे वह अधोगति को प्राप्त होता है। वह प्रभु नाम भक्ति से विमुख हो जाता है। जबकि कलयुग में नाना प्रकार के यज्ञों से भी जो फल प्राप्त होता है, वह फल प्रभु का नाम लेने से सहज ही प्राप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस काली काल में प्रभु नाम भक्ति से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। यद्यपि वह अज्ञानता के वशीभूत होकर प्रभु की आलोचना करता है। उसे आलोचना में भी प्रभु नाम विरोधी होने पर भी उसे सद्गति की प्राप्ति हो जाती है। संत एक बार प्रभु नाम लेना भूल सकता है जबकि विरोध करने वाले की जीभ पर प्रभु नाम बना ही रहता है। शिव पुराण में जिसने भी प्रभु का विरोध किया है, उसका भी प्रभु ने कल्याण किया है। गुरुवार को शिव पुराण कथा विश्राम व्यासजी पूजन का कार्यक्रम होगा। आज की आरती सौम्या कंवर, श्रीकृष्ण सारस्वत, सुशील भावसिंहका, पवन पुजारी, मांगीलाल शर्मा, निशांत शर्मा, सुशील जांगिड़ के साथ अन्य प्रबुद्धजनों के द्वारा की गई।