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झुंझुनूं में सैनिटरी नैपकिन के लिए लगी वेंडिंग मशीनें खराब:शहर में बनाए बूथ एक साल से बंद, अधिकारी बोले- टेंडर प्रक्रिया की वजह से अटकी योजना


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झुंझुनूं में सैनिटरी नैपकिन के लिए लगी वेंडिंग मशीनें खराब:शहर में बनाए बूथ एक साल से बंद, अधिकारी बोले- टेंडर प्रक्रिया की वजह से अटकी योजना

झुंझुनूं में सैनिटरी नैपकिन के लिए लगी वेंडिंग मशीनें खराब:शहर में बनाए बूथ एक साल से बंद, अधिकारी बोले- टेंडर प्रक्रिया की वजह से अटकी योजना

झुंझुनूं : झुंझुनूं शहर में नगर परिषद द्वारा लगाए गए वातानुकूलित शौचालयों में लगी सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें खराब पड़ी हैं, वहीं राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘इंदिरा महिला शक्ति उड़ान योजना’ भी लंबे समय से ठप है। दोनों सुविधाओं के बंद होने से खासकर ग्रामीण किशोरियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरी में वे फिर से सस्ते, पुराने और असुरक्षित विकल्पों का उपयोग कर रही हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।

रखरखाव के अभाव में शोपीस बनी मशीनें

शहर के व्यस्ततम इलाकों—रोडवेज बस स्टैंड, कलेक्ट्रेट और नगर परिषद परिसर—में लगे आधुनिक शौचालयों का हाल बुरा है। शुरुआत में वेंडिंग मशीनों ने महिलाओं को राहत दी थी, लेकिन अब ये केवल शोपीस बनकर रह गई हैं।

  • रोडवेज बस स्टैंड पर लगी तीनों मशीनें पूरी तरह खराब हो चुकी हैं।
  • नगर परिषद परिसर में लगी चार मशीनों में से ज्यादातर खाली हैं, और कुछ में स्विच ऑन करने पर भी पैड नहीं निकल रहे।
  • कलेक्ट्रेट के सामने बने शौचालय में भी यही स्थिति है।

स्थानीय महिलाओं का कहना है कि नगर परिषद ने मशीनें लगाकर जिम्मेदारी पूरी मान ली, लेकिन रखरखाव और नियमित आपूर्ति पर ध्यान नहीं दिया। सुलभ इंटरनेशनल, जो इन शौचालयों का संचालन करती है, वह भी समस्या हल करने में नाकाम रही है। यही हाल जिले के अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है।

‘उड़ान योजना’ भी जमींदोज

सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने का दूसरा बड़ा स्रोत, ‘इंदिरा महिला शक्ति उड़ान योजना’, भी लगभग एक साल से ठप है। दिसंबर 2021 में शुरू हुई इस योजना के तहत 14 से 45 वर्ष की महिलाओं और किशोरियों को आंगनबाड़ी केंद्रों और विद्यालयों के माध्यम से नि:शुल्क नैपकिन उपलब्ध कराए जाने थे।

वर्ष 2024-25 में जिले में 26 लाख से अधिक पैड वितरित हुए थे, लेकिन जून 2024 के बाद से एक भी खेप जिले तक नहीं पहुंची। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि महिलाएं अब केंद्रों पर आना बंद कर चुकी हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वहां नैपकिन नहीं मिलेंगे।

ग्रामीण महिलाओं का आरोप है कि सरकार ने योजना शुरू कर वाहवाही तो लूट ली, लेकिन इसे जारी रखने में पूरी तरह विफल रही। गरीब परिवारों की किशोरियों के लिए यह स्थिति और भी दुखद है, क्योंकि वे महंगे पैड नहीं खरीद सकतीं।

टेंडर अटका, विभाग मौन

महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक विजेंद्र राठौड़ ने बताया कि समस्या राज्य स्तर पर अटकी हुई है। नैपकिन की सप्लाई के लिए टेंडर प्रक्रिया लंबित है और इसके पूरा होने के बाद ही वितरण शुरू हो सकेगा। वहीं, नगर परिषद भी मशीनों की मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है।

महिलाएं इस लापरवाही से नाराज हैं। उनका कहना है कि शुरुआत में जब ये सुविधाएं मिलीं तो उन्हें उम्मीद थी कि स्वास्थ्य और स्वच्छता की दिशा में सुधार होगा, लेकिन आज हालात पहले से भी बदतर हो गए हैं। मजबूरी में अब उन्हें महंगे दामों पर दुकानों से नैपकिन खरीदने पड़ रहे हैं।

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