नेपाल की आग में झुलस रही शेखावाटी की मेहनत:करोड़ों की सेवा संस्थाएं और होटल राख, एयरपोर्ट पर फंसे कारोबारी
नेपाल की आग में झुलस रही शेखावाटी की मेहनत:करोड़ों की सेवा संस्थाएं और होटल राख, एयरपोर्ट पर फंसे कारोबारी

झुंझुनूं : नेपाल इन दिनों हिंसा की आग में झुलस रहा है। राजधानी काठमांडू से लेकर अन्य हिस्सों तक उपजे आक्रोश ने न केवल स्थानीय ढांचे को नुकसान पहुंचाया है बल्कि वहां बसे और कारोबार करने वाले भारतीयों खासतौर पर शेखावाटी के प्रवासियों की दशकों की मेहनत को भी राख में बदल दिया है।
झुंझुनूं, सीकर और चूरू के लोग लंबे समय से नेपाल में कारोबार और सेवा कार्यों से अपनी पहचान बना चुके हैं, लेकिन अब हालात ऐसे बन गए हैं कि उनकी सुरक्षा, कारोबार और भविष्य तीनों पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं। इनकी सेवा संस्थाओं को जला दिया गया है। इससे करोड़ों का नुकसान तो हुआ ही है, साथ ही व्यापार भी प्रभावित हुआ है।

मारवाड़ी सेवा परिषद का सपना राख में
काठमांडू में बत्तीस पुतली इलाके में बन रहा मारवाड़ी सेवा परिषद का 18 मंजिला विशाल भवन वहां बसे प्रवासी मारवाड़ियों के सामूहिक सहयोग से खड़ा किया जा रहा था। करीब 60 करोड़ नेपाली रुपए की लागत से बनने वाले इस भवन की 12 मंजिलें पूरी हो चुकी थीं। उद्देश्य था- राजस्थान और भारत की सेवा परंपरा को नेपाल में भी आगे बढ़ाना। लेकिन मंगलवार को आक्रोशित युवाओं ने इस निर्माणाधीन इमारत को आग के हवाले कर दिया।
झुंझुनूं निवासी राजेंद्र केडिया ने बताया कि इस भवन के जरिए मारवाड़ी समाज सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े कार्यों को और सुदृढ़ करना चाहता था। लेकिन देखते ही देखते लपटों ने उस सपने को खाक कर दिया। करोड़ों का नुकसान हो चुका है और प्रवासियों का हौसला बुरी तरह डगमगा गया है।

अस्पताल और डायलिसिस केंद्र भी जले
सिर्फ भवन ही नहीं, बल्कि वह अस्पताल भी राख हो गया जहां रोजाना औसतन 70 मरीजों की निशुल्क डायलिसिस होती थी। पशुपतिनाथ मंदिर के सामने स्थापित इस अस्पताल को मारवाड़ी समाज ने मिलकर बनाया था। यहां आधुनिक मशीनें लगी थीं और सबसे ज्यादा लाभ नेपाल के स्थानीय लोगों को मिलता था।
राजेंद्र केडिया ने बताया- यहां हर दिन गरीब मरीज बिना पैसे डायलिसिस करवाते थे। इसके अलावा निशुल्क कृत्रिम अंग लगाने की सुविधा भी थी। अब सबकुछ जलकर खत्म हो गया। इसी परिसर में बनाई गई गोशाला और गेस्ट हाउस भी आग से प्रभावित हुए। सेवा की वह पूरी श्रृंखला जिसे प्रवासी मारवाड़ियों ने वर्षों की मेहनत से खड़ा किया था, एक ही दिन में ढह गई।
5 स्टार होटल भी जलकर खाक
काठमांडू के कमल पोखरी इलाके में राजस्थान के कारोबारी का एक पांच सितारा होटल था। मंगलवार को भीड़ ने इस होटल को भी आग के हवाले कर दिया। झुंझुनूं निवासी अनिल टीबड़ा ने बताया कि होटल पूरी तरह नष्ट हो गया है। करोड़ों की संपत्ति और रोजगार देने वाला यह होटल अब सिर्फ राख का ढेर है।

एयरपोर्ट पर फंसे कारोबारी
हालात ऐसे बने कि झुंझुनूं और शेखावाटी के सैकड़ों कारोबारी और परिवारजन काठमांडू एयरपोर्ट पर फंस गए। झुंझुनूं निवासी कपड़े के कारोबारी अनिल टीबड़ा अपनी पत्नी के साथ वहां मौजूद है। उनका कहना है— पिताजी की तबीयत खराब थी। उनसे मिलने के लिए टिकट पहले ही बनवा लिया था। मंगलवार 9 सितंबर को सुबह 8 बजे एयरपोर्ट पहुंचे, लेकिन हिंसा बढ़ गई और एयरपोर्ट बंद कर दिया गया। अब यही सबसे सुरक्षित जगह है, लेकिन खाने-पीने का भारी संकट है।
पहले दिन तो उन्होंने नमकीन और बिस्कुट से पेट भरा। रात भी भूख में ही गुजारी। फोन पर घरवाले लगातार कुशलता पूछते रहे। टीबड़ा कहते हैं- अब हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील कर रहे हैं कि हमें सुरक्षित भारत पहुंचाया जाए। हमें उम्मीद है कि सरकार हमें यहां से निकाल लेगी।

दूतावास से मिली राहत
बुधवार 10 सितंबर को भारत के दूतावास की ओर से एयरपोर्ट पर फंसे यात्रियों और कारोबारियों तक भोजन के पैकेट पहुंचाए गए। उन्हें आश्वासन भी दिया गया कि बहुत जल्द उन्हें भारत भेजने की व्यवस्था की जाएगी। फंसे लोगों में झुंझुनूं, सीकर, चूरू के अलावा राजस्थान के अन्य जिलों के लोग भी शामिल हैं। एयरपोर्ट उनके लिए इस समय आश्रय स्थल जैसा है, क्योंकि वहां तक प्रदर्शनकारी नहीं पहुंच पा रहे।
कारोबारी जगत में बेचैनी
नेपाल में शेखावाटी के हजारों लोग कारोबार कर रहे हैं। कपड़ा, होटल, निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं में उनकी मजबूत पकड़ है। अचानक भड़की हिंसा ने इन सभी कारोबार को प्रभावित कर दिया है। करोड़ों का नुकसान तो साफ दिखाई दे रहा है, लेकिन भविष्य को लेकर भी बड़ी चिंता है। काठमांडू में बसे व्यवसायी बताते हैं कि सबसे ज्यादा असर राजधानी में हुआ है। प्रतिष्ठान बंद हैं, बाजार ठप पड़े हैं और आवागमन भी मुश्किल हो गया है। प्रवासी परिवार डरे-सहमे अपने घरों और ठिकानों में दुबके हुए हैं।

सेवा और कारोबार, दोनों पर चोट
मारवाड़ी समाज का नेपाल में योगदान सिर्फ कारोबार तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और जनसेवा के क्षेत्र में भी बड़े काम किए हैं। अस्पताल, गोशाला, गेस्ट हाउस, कृत्रिम अंग वितरण केंद्र और डायलिसिस सुविधा सभी फ्री थीं। लेकिन इस हिंसा ने इन सेवाओं पर ताला जड़ दिया। यह नुकसान सिर्फ प्रवासी मारवाड़ियों का नहीं है, बल्कि नेपाल के स्थानीय गरीब मरीजों और जरूरतमंदों का भी है।
शेखावाटी में चिंता और उम्मीद
झुंझुनूं, सीकर और चूरू में बैठे परिजन लगातार फोन पर नेपाल में रह रहे अपनों का हाल ले रहे हैं। हर कॉल पर बेचैनी झलकती है। लोग कहते हैं कि..
एक तरफ आग में वर्षों की मेहनत खाक हो गई है, दूसरी तरफ अपनों की जान की चिंता सता रही है।
लेकिन इसी अंधेरे में उम्मीद की किरण भी है। भारत सरकार और दूतावास की सक्रियता से लोगों को भरोसा है कि फंसे हुए नागरिक जल्द ही सुरक्षित भारत पहुंच जाएंगे।
आग के बाद का सवाल
नेपाल में यह आग कब थमेगी और वहां कारोबार करने वाले शेखावाटी प्रवासी फिर से खड़े हो पाएंगे या नहीं, यह अभी कहना मुश्किल है। लेकिन इतना तय है कि इस आग ने शेखावाटी के हर घर को झकझोर दिया है। एक तरफ करोड़ों का नुकसान है, दूसरी तरफ जान-माल की सुरक्षा का संकट।
फिलहाल सबकी निगाहें भारत सरकार की ओर हैं। उम्मीद यही है कि जो लोग एयरपोर्ट पर फंसे हैं, उन्हें जल्द सुरक्षित वापसी का रास्ता मिलेगा और जो वहां रहकर कारोबार व सेवा कार्य कर रहे हैं, उनके लिए भी हालात सामान्य होंगे।