1 करोड़ रुपए सालाना कमाता है भैंसा ‘सिंघम’:सीकर में 3 करोड़ रुपए लगी बोली, स्पेशल ग्वार और बिनोला फीड खाता है
1 करोड़ रुपए सालाना कमाता है भैंसा 'सिंघम':सीकर में 3 करोड़ रुपए लगी बोली, स्पेशल ग्वार और बिनोला फीड खाता है

सीकर : सीकर के बेरी पशु मेले में पहले दिन सोमवार को भैंसा ‘सिंघम’ छाया रहा। भादवासी गांव से आए मुर्रा नस्ल के भैंसे की कीमत करीब 3 करोड़ रुपए आंकी गई। भैंसे के मालिक डॉ. मुकेश दूधवाल ने बताया- सिंघम की एक ड्रॉप सीमन की कीमत 2400 रुपए है। 34 माह का यह भैंसा अपनी चमकदार काया और खास डाइट के लिए मशहूर है।
इसे स्पेशल ग्वार और बिनोला फीड दी जाती है। इसकी मां एक बार में 24 लीटर दूध देती है, जो इसकी नस्ल की खासियत है। मुकेश खुद एक पशु डॉक्टर हैं। उन्होंने एक डेयरी फर्म के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर रखा है। उन्होंने बताया कि एक साल में 1 करोड़ से अधिक का इसका सीमन बेचते हैं।
बेरी पशु मेला 8 से 13 सितंबर तक चलेगा। मेले में जयपुर, नागौर, जोधपुर, बीकानेर, अलवर और झुंझुनूं सहित प्रदेश के कोने-कोने से पशु व्यापारी, किसान और पशुपालक पहुंच रहे हैं। मेले में खेती-किसानी के आधुनिक उपकरण, पशुओं के चारे, दवाइयां, सजावट की वस्तुएं और पारंपरिक पहनावे की दुकानें सजी हुई हैं।

700-900 डोज बनाए जाते हैं
सिंघम के मालिक डॉ. मुकेश दूधवाल ने बताया- एक भैंसे से एक बार में 10-14 मिलीलीटर सीमन निकाला जा सकता है। इसे डायल्यूट कर 700-900 डोज बनाए जाते हैं। प्रत्येक डोज की कीमत 2400 रुपए तक है। मुर्रा भैंसे की कीमत उनकी गुणवत्ता और जेनेटिक्स के आधार पर 50 हजार से लेकर 20 करोड़ तक की होती है। आज मेले में आए एक व्यापारी ने 3 करोड़ कीमत लगाई है।

घोड़ी-ऊंट नृत्य और लोक संस्कृति का रंग
मेले में घोड़ी और ऊंट नृत्य भी दर्शकों को भा रहा है। स्थानीय कलाकार पारंपरिक वेशभूषा में लोक गीतों और नृत्यों के साथ मेले की रौनक बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, पारंपरिक हस्तशिल्प की दुकानें भी ग्रामीण कला और संस्कृति को प्रदर्शित कर रही हैं।

पशुपालकों के लिए सुनहरा मंच
आयोजकों का कहना है कि इस मेले का मुख्य उद्देश्य पशुपालकों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने पशुओं की खरीद-बिक्री के साथ-साथ आधुनिक कृषि उपकरणों और पशुपालन की नई तकनीकों की जानकारी हासिल कर सकें।
यह मेला न केवल स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी एक शानदार मंच साबित होगा। ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों के लिए यह आयोजन एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां वे नई तकनीकों और आधुनिक उपायों से रू-ब-रू हो सकते हैं।