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डॉ. जुल्फिकार का नाम ‘लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज


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डॉ. जुल्फिकार का नाम ‘लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज

स्वामी विवेकानंद पर विदेशों में शोध कार्य करने वाले पहले भारतीय मुस्लिम युवा है डॉ. जुल्फिकार

भीमसर : जिले के युवा लेखक व शोधकर्ता डॉ. जुल्फिकार ने स्वामी विवेकानंद पर शोध कार्य के लिए नया कीर्तिमान रचा है। स्वामी विवेकानंद पर विदेशों में शोध कार्य करने वाले पहले भारतीय मुस्लिम युवा के रूप में उनका नाम अब लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है।

संस्था ने गहन जांच के बाद उनकी उपलब्धि को मान्यता प्रदान की है। डॉ. जुल्फिकार ने बांग्लादेश, श्रीलंका और सिंगापुर के रामकृष्ण मठों में रहकर शोध किया। यह उपलब्धि विवेकानंद अध्ययन में नया आयाम मानी जा रही है।

डॉ. जुल्फिकार ने अब तक 50 से अधिक रामकृष्ण मठों का भ्रमण, संतों व विद्वानों से संवाद, पाँच पुस्तकें और 32 राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियाँ आयोजित की हैं। उनकी पुस्तक स्वामी विवेकानंद चिंतन एवं रामकृष्ण मिशन खेतड़ी राजस्थान सरकार के सभी सरकारी पुस्तकालयों में उपलब्ध है।

उन्होंने युवाओं को विवेकानंद विचारधारा से जोड़ने के लिए 60,000 कैलेंडर नि:शुल्क बांटे और 10,000 विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानंद स्वाध्यायमाला प्रतियोगिता से जोड़ा। साथ ही 10,800 से अधिक पीड़ितों की सहायता भी की।

डॉ. जुल्फिकार का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी सफलता यही होगी कि विवेकानंद के विचार जन-जन तक पहुँचे और युवा राष्ट्र निर्माण में उनकी प्रेरणा से जुड़ें।

डॉ. जुल्फिकार की प्रमुख उपलब्धियाॅं

  • पहले भारतीय मुस्लिम युवा जिन्होंने विदेशों में रामकृष्ण मठ – मिशन पर शोध कार्य किया।
  • बांग्लादेश, श्रीलंका और सिंगापुर में मठों के बीच रहकर शोध।
  • स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी व 50 से अधिक मठों का भ्रमण।
  • राजस्थान सरकार के भाषा व पुस्तकालय विभाग से चयनित पुस्तक ‘स्वामी विवेकानंद चिंतन एवं रामकृष्ण मिशन खेतड़ी ‘ राजस्थान के सभी सरकारी पुस्तकालयों में उपलब्ध।
  • स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और उनके संदेश को प्रदेशभर में व्यापक बनाने के लिए 60,000 विवेकानंद कैलेंडर नि: शुल्क वितरण ।
  • जिले के 62 सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों के 10,000 विधार्थियों में ‘स्वामी विवेकानंद स्वाध्यायमाला’ प्रतियोगिता का आयोजन।
  • स्वामी विवेकानंद पर 5 पुस्तकें और 32 राष्ट्रीय – अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठीयों का आयोजन।
  • 10,800 से अधिक कमजोर पीड़ित व्यक्तियों की सहायता।

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