झुंझुनूं के सरकारी हॉस्पिटल में नहीं हो रही सोनोग्राफी:मशीनें आ गई लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होने से बंद पड़ी जाचें
झुंझुनूं के सरकारी हॉस्पिटल में नहीं हो रही सोनोग्राफी:मशीनें आ गई लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होने से बंद पड़ी जाचें

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले के सरकारी हॉस्पिटल में सोानोग्राफी के लिए मरीजों को निजी लैब से जांच करवानी पड़ रही है। यहां मशीनें तो है लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होने की वजह से ये जांच प्रभावित हो रही है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं और अन्य मरीजों को बाहर के प्राइवेट लैब से रुपए देकर जांच करवानी पड़ रही है। झुंझुनूं, खेतड़ी और नवलगढ़ तीनों सरकारी हॉस्पिटल के ये ही हालात है। झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. जितेन्द्र भांबू का कहना है कि सरकार से उम्मीद है कि जल्द ही रेडियोलॉजी प्रोफेसर की नियुक्ति होगी। वहीं नवलगढ़ में भी एक डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन पूरा होते ही सेवाएं शुरू कर देंगे।
बीडीके अस्पताल में दो मशीनें, लेकिन विशेषज्ञ नहीं
जिला मुख्यालय झुंझुनूं के राजकीय भगवानदास खेतान (बीडीके) अस्पताल में फिलहाल दो सोनोग्राफी मशीनें संचालित हैं। इनमें से एक मशीन एमसीएच विंग में लगाई गई है, जो केवल गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए है। इसकी जिम्मेदारी गायनेकोलॉजिस्ट को सौंपी गई है। दूसरी मशीन से अन्य रोगियों की जांच होती है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार यहां प्रतिदिन लगभग 150 मरीजों को सोनोग्राफी की जरूरत होती है, लेकिन विशेषज्ञ न होने के कारण केवल 70 मरीजों की ही जांच हो पाती है। रेडियोलॉजी प्रोफेसर का पद लंबे समय से रिक्त है, जिससे जांच की गुणवत्ता और समय दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
खेतड़ी: चार साल से स्टोर में धूल खा रही मशीन
खेतड़ी उप जिला अस्पताल की स्थिति और भी निराशाजनक है। यहां 8 अप्रैल 2021 को सोनोग्राफी मशीन पहुंचाई गई थी, लेकिन चार साल बाद भी यह स्टोर में बंद पड़ी है। विशेषज्ञ की नियुक्ति न होने के कारण अब तक यह मशीन चालू ही नहीं हो पाई। स्थानीय लोगों ने कई बार आवाज उठाई, लेकिन सरकार की चुप्पी अब भी बरकरार है। मजबूरी में ग्रामीण और कस्बे के लोग निजी लैब्स का रुख करने को विवश हैं।

नवलगढ़: जिला अस्पताल, लेकिन यहां जांच नहीं
झुंझुनूं जिले का दूसरा जिला अस्पताल कहलाने वाले नवलगढ़ की स्थिति भी बेहतर नहीं है। यहां भी वर्षों से मशीन शोपीस बनी हुई है। रेडियोलॉजिस्ट या ट्रेंड सोनोलॉजिस्ट की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई। अस्पताल के पीएमओ डॉ. महेन्द्र सबलानिया ने बताया कि महिला चिकित्सक डॉ. सुमन ने जयपुर से छह माह का रेडियोलॉजिस्ट सर्टिफिकेट कोर्स पूरा कर लिया है। उनका पंजीकरण पूरा होते ही सेवा प्रारंभ हो सकेगी, लेकिन तब तक मरीजों को निजी लैब्स की ही शरण लेनी पड़ रही है।
सरकारी दावे, लेकिन धरातल पर हकीकत अलग
राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के दावे भले ही कर रही हो, लेकिन झुंझुनूं जिले की स्थिति इन दावों को खोखला साबित कर रही है। करोड़ों रुपये खर्च कर उपकरण तो खरीद लिए गए, मगर विशेषज्ञों की नियुक्ति और नियमित रखरखाव की अनदेखी ने सारी कवायद को बेअसर बना दिया। नतीजा यह है कि गर्भवती महिलाओं से लेकर गंभीर रोगियों तक, हर किसी को निजी लैब्स की ओर रुख करना पड़ रहा है।
