31 बसों की मांग, एक भी नहीं मिली:यात्री और कर्मचारी नाराज, पुराने वाहनों के सहारे चल रहा काम
31 बसों की मांग, एक भी नहीं मिली:यात्री और कर्मचारी नाराज, पुराने वाहनों के सहारे चल रहा काम

झुंझुनूं : झुंझुनूं रोडवेज डिपो को एक बार फिर उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है। राजस्थान रोडवेज के बेड़े में 288 नई बसें शामिल की गई हैं, लेकिन झुंझुनूं डिपो को एक भी नई बस नहीं मिली। जबकि डिपो ने यात्री भार और रूट की जरुरतों को देखते हुए 31 बसों की मांग की थी। मुख्यालय ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया, जिससे डिपो के सामने बसों की पुरानी कमी बनी हुई है। इससे यात्रियों के साथ-साथ कर्मचारियों की परेशानी भी बढ़ रही है।
पड़ोसी डिपो को मिलीं बसें, झुंझुनूं रहा खाली हाथ
इस बार जहां झुंझुनूं को खाली हाथ रहना पड़ा, वहीं खेतड़ी डिपो को पांच और पड़ोसी सीकर डिपो को दस नई बसें आवंटित की गई हैं। वर्तमान में झुंझुनूं डिपो से 64 बसें चलती हैं, जिनमें से 19 ठेके पर ली गई हैं। ठेका बसों पर निर्भरता से सेवा की गुणवत्ता और स्थिरता पर असर पड़ रहा है। लगातार बढ़ते यात्री भार के बावजूद, पुराने और जर्जर वाहनों पर ही काम चलाना पड़ रहा है, जो यात्रियों के लिए एक बड़ी समस्या है।
ग्रामीण इलाकों में परिवहन सुविधा नदारद
जिले के कई ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों जैसे बुहाना, पचलंगी, पापड़ा, जोधपुरा, और सुरपुरा में सरकारी परिवहन सुविधा नहीं है। यहां के लोग निजी बस ऑपरेटरों पर निर्भर हैं, जो मनमाना किराया वसूलते हैं। सूरजगढ़ जैसे कस्बे में भी रोडवेज बसें नाममात्र की चलती हैं। निजी बस संचालकों द्वारा यात्रियों से दुर्व्यवहार की शिकायतें भी आम हैं, लेकिन सरकारी बसों की कमी के कारण यात्री इन पर निर्भर रहने को मजबूर हैं।
मुख्य आगार प्रबंधक गिरिराज स्वामी ने बताया कि 31 बसों का प्रस्ताव ठोस तथ्यों और आवश्यकताओं पर आधारित था, लेकिन इसके बावजूद एक भी बस नहीं मिली। उन्होंने साफ किया कि इस स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों तक सेवा का विस्तार संभव नहीं है। डिपो प्रशासन जल्द ही फिर से मांग पत्र भेजने की तैयारी कर रहा है।