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ददरेवा में लक्खी मेले की शुरुआत:गोगाजी महाराज की जन्मस्थली पर 9 दिनों में 5 लाख श्रद्धालु पहुंचेंगे


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ददरेवा में लक्खी मेले की शुरुआत:गोगाजी महाराज की जन्मस्थली पर 9 दिनों में 5 लाख श्रद्धालु पहुंचेंगे

ददरेवा में लक्खी मेले की शुरुआत:गोगाजी महाराज की जन्मस्थली पर 9 दिनों में 5 लाख श्रद्धालु पहुंचेंगे

सादुलपुर : राजस्थान समेत पंजाब, हरियाणा, गुजरात और उत्तरप्रदेश के लोगों की धार्मिक आस्था और लोक परंपरा का जीवंत प्रतीक, जाहरवीर गोगाजी महाराज की जन्मस्थली ददरेवा में लक्खी मेले की शुरुआत हो चुकी है। भादवा मास में आयोजित इस मेले की ऐतिहासिक महत्ता सदियों पुरानी है। अगले 9 दिनों तक यहां देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों जातरू (श्रद्धालु) पहुंचेंगे। मंगलवार सुबह से ही ददरेवा में पीले वस्त्रधारी भगतों का सैलाब उमड़ना शुरू हो गया। परिवारों के साथ निशान लिए, कीर्तन गाते और ‘गोगाजी महाराज की जय’ के जयकारे लगाते श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। मेले में लगभग चार से पांच लाख जातरुओं के आने का अनुमान है।

हवन कर गुरु गोरखनाथ आश्रम में धोक लगाते हैं श्रद्धालु

जातरू ददरेवा पहुंचते ही सबसे पहले तालाब में स्नान करते हैं, फिर हवन कर गुरु गोरखनाथ आश्रम में धोक लगाते हैं, और अंत में गोगाजी मंदिर में दर्शन करते हैं। यह क्रम पीढ़ियों से यहां की धार्मिक परंपरा का हिस्सा रहा है।

सुरक्षा में 125 पुलिसकर्मी तैनात, आपातकालीन टीमें तैयार

गोरक्ष टीला महंत बालयोगी कृष्णनाथ ने भास्कर से बातचीत में बताया कि दर्शनार्थियों के लिए मंदिर परिसर में बैरिकेड्स लगाए गए हैं। धूप से बचाव के लिए पूरे परिसर को टेंट से ढका गया है, साथ ही 40 स्वयंसेवकों को सेवा में लगाया गया है। कंट्रोल रूम, शीतल जल, लाइट, पंखे, टीनशेड और टेंट की भी उचित व्यवस्था की गई है।

सुरक्षा और व्यवस्था की जिम्मेदारी भी चाक-चौबंद है। सरपंच मोहम्मद जाहिद ने बताया कि मेले में 125 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है, तालाब पर एसडीआरएफ टीम को लगाया गया है और सफाई के लिए 24 से ज्यादा सफाईकर्मी लगाए गए हैं। स्नान घाट पर तैराक, टॉयलेट, अतिरिक्त लाइटें और फायर ब्रिगेड की सुविधा मौजूद है। थानाधिकारी राजेश कुमार के अनुसार, मेले के दौरान एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और एसडीआरएफ टीम लगातार तैनात रहेंगी ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।

मेले में उमड़ा रंग और रौनक

मेले में चारों ओर से ढोल-नगाड़ों की थाप, भजन-कीर्तन और पीले वस्त्रों में श्रद्धालुओं के जत्थे दिखाई दिए। दुकानों पर गोगाजी महाराज के झंडे, निशान और प्रसाद बिक रहे हैं, जबकि ग्रामीण मेलों की पारंपरिक रौनक (खेल, झूले और लोक नृत्य) भी देखने को मिल रही है।

ददरेवा का यह लक्खी मेला न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि राजस्थान की लोक संस्कृति, सामाजिक एकता और ऐतिहासिक धरोहर का अद्वितीय उत्सव भी है। अगले कई दिनों तक यहां की गलियां, मंदिर परिसर और तालाब आस्था, भक्ति और लोक रंग में डूबे रहेंगे।

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